वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

कोविड-19: ‘जवाबी कार्रवाई में विकलांग व्यक्तियों का भी रखें ध्यान’

दक्षिण सूडान में व्हीलचेयर पर बास्केटबॉल खेलते कुछ एथलीट.
UNMISS/Isaac Billy
दक्षिण सूडान में व्हीलचेयर पर बास्केटबॉल खेलते कुछ एथलीट.

कोविड-19: ‘जवाबी कार्रवाई में विकलांग व्यक्तियों का भी रखें ध्यान’

मानवाधिकार

दुनिया की कुल आबादी का लगभग 15 फ़ीसदी हिस्सा यानि क़रीब एक अरब लोग विकलांगता के साथ जीवन गुज़ारते हैं. कोविड-19 संकट से उपजे हालात में विश्व आबादी के इस बड़े हिस्से को ज़रूरी मदद और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में मुश्किलें पेश आ रही हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार को एक रिपोर्ट पेश की है जिसमें महामारी से निपटने की कार्रवाई में विकलांगों का समावेश सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है. 

यूएन प्रमुख के मुताबिक सामान्य परिस्थितियों में भी विकलांग व्यक्तियों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और आय के अवसरों की उपलब्धता मुश्किल होती है और अपने समुदायों में भागीदारी के अवसर कम मिलते हैं.  

Tweet URL

उनके निर्धनता में रहने और हिंसा, उपेक्षा व दुर्व्यवहार का शिकार होने की आशंका ज़्यादा होती है.

बुधवार को जारी रिपोर्ट में कोविड-19 पर कार्रवाई में विकलांगता समावेश सुनिश्चित करने के लिए ऐसी सिफ़ारिशों का उल्लेख किया गया है जिनके ज़रिए समावेशी व सुलभ समाजों का निर्माण संभव है.

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि इस महामारी ने पहले से मौजूद इन असमानताओं को और ज़्यादा गंभीर बना दिया है और नए ख़तरे पैदा कर दिए हैं. 

कोविड-19 महामारी का विकलांगों पर भारी असर हुआ है और वे सार्वजनिक स्वास्थ्य जानकारी की सुलभता और बुनियादी साफ़-सफ़ाई के उपायों में अवरोधों का सामना कर रहे हैं. अक्सर स्वास्थ्य सुविधाओं तक उनकी पहुँच संभव नहीं होती. 

“अगर वे कोविड-19 से संक्रमित हो जाएँ, उनकी तबीयत बिगड़ने की संभावना ज़्यादा होती है और यह मौत का सबब भी बन सकती है.”

कोरोनावयरस ने उन देखभाल केंद्रों को भी अपनी चपेट में ले लिया है जहाँ वृद्धजन रहते हैं और अक्सर विकलांगता से भी पीड़ित होते हैं. ऐसे देखभाल केंद्रों में बड़ी संख्या में बुज़ुर्गों की मौतें हो रही हैं.   

कुछ देशों की स्वास्थ्य प्रणालियों पर भारी बोझ पड़ा है और आपात हालात में स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए डॉक्टरों को भेदभावपूर्ण पैमानों के आधार पर फ़ैसले करने पड़ रहे हैं. जैसे मरीज़ की उम्र, विकलांगता, उनके जीवन का मूल्य या उसकी गुणवत्ता.

यूएन महासचिव ने कहा कि इस चलन को इसी तरह जारी रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. 

“हमें महामारी के दौरान स्वास्थ्य देखभाल और जीवनरक्षक प्रक्रियाओं तक विकलांग व्यक्तियों की पहुँच में समान अधिकारों की गारंटी देनी होगी.”

रोज़गार खोने व घरेलू हिंसा का जोखिम

कोविड-19 के कारण विकलांग व्यक्ति कई मायनों में अलग-अलग तरह से प्रभावित हुए हैं.

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि जिन लोगों ने संकट से पहले रोज़गार क्षेत्र में बहिष्करण का सामना किया है, उनके रोज़गार छिनने की संभावना अब ज़्यादा है. साथ ही काम पर वापिस लौटने में भी उन्हें ज़्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. 

30 फ़ीसदी से भी कम विकलांग व्यक्तियों की सामाजिक लाभ प्रदान करने वाली सेवाओं तक पहुँच है. कम आय वाले देशों में यह संख्या महज़ एक फ़ीसदी है.  

इस बीच, विकलांगों – ख़ासकर महिलाओं व लड़कियों – को घरेलू हिंसा का ज़्यादा ख़तरा है क्योंकि महामारी के दौरान इन मामलों में तेज़ बढ़ोत्तरी हुई है. 

समावेशन को बढ़ावा

यूएन प्रमुख ने सरकारों से आग्रह किया है कि कोविड-19 की जवाबी कार्रवाई के केंद्र में विकलांगों की मदद को भी शामिल करना होगा और उनसे संपर्क व संवाद बनाए रखना होगा. 

उन्होंने कहा कि वैकल्पिक कार्य इंतज़ामों और एकांत की स्थिति में रहने के मामले में विकलांग व्यक्ति मूल्यवान अनुभव साझा कर सकते हैं.  

“जब हम विकलांगों के अधिकार सुनिश्चित करते हैं तो हम अपने साझा भविष्य में निवेश कर रहे होते हैं.”

यूएन प्रमुख ने समावेशी व सुलभ समाजों के सृजन में टिकाऊ विकास लक्ष्यों की अहमियत को रेखांकित किया है. 

महासचिव ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र इसी दिशा में प्रयासरत है और इस क्रम में पिछले वर्ष ‘यूएन विकलांगता समावेश रणनीति’ (United Nations Disability Inclusion Strategy) जारी की गई थी. 

इस रणनीति के ज़रिए, यूएन प्रणाली अपने काम में विकलांगता को समावेशित करेगी जिसके ज़रिए रूपांतरकारी और स्थाई बदलाव हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है. 

इसी सिलसिले में पिछले हफ़्ते संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने एक दिशा-निर्देश संबंधी नोट जारी किया था. इस नोट में सरकारों व पक्षकारों के साथ उन उपायों की जानकारी दी गई थी जिन्हें अपनाकर महामारी के दौरान विकलांगों को सहारा प्रदान किया जा सकता है. 

इसमें वे समाधान भी प्रस्तुत किए गए हैं जो अन्य देशों में सफलतापूर्वक लागू किए गए. जैसे विकलांग व्यक्तियों को सांस्थानिक केंद्रों से बाहर ले जाकर अपने परिवार के साथ घर पर समय बिताने में मदद करना.