हॉलोकॉस्ट खण्डन की निन्दा करने वाला प्रस्ताव पारित
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गुरूवार को एक ऐसा प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया है जिसमें हॉलोकॉस्ट का खण्डन करने या उसके बारे में तोड़-मरोड़ कर जानकारी पेश किये जाने के मामलों या गतिविधियों की निन्दा की गई है.
ये प्रस्ताव कुछ ऐसे लोगों की मौजदूगी में स्वीकृत किया गया जो नाज़ियों द्वारा यहूदियों के नरसंहार में जीवित बच सके थे.
Today prior to convening the 55th plenary of the #UNGA, I had the opportunity to meet with a few #holocaust survivors along with the Permanent Representative of @IsraelinUN Ambassador @giladerdan1 and the CEO of @pfizer Mr. Albert Bourla, whose parents survived the Holocaust. pic.twitter.com/8xegfptY2N
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याद रहे कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, हॉलोकॉस्ट में लगभग साठ लाख यहूदियों को मार दिया गया था. उस समय योरोप में रहने वाले यहूदियों की ये लगभग दो-तिहाई संख्या थी.
यह प्रस्ताव ऐसे दिन पारित किया गया जिसके ठीक 80 वर्ष पहले, वेनसी सम्मेलन के दौरान शीर्ष नाज़ी अधिकारियों ने यहूदी लोगों के नरसंहार के बारे में विचार विमर्श किया था और इसी के बाद नाज़ी मृत्यु शिविर स्थापित किये गए थे.
संयुक्त राष्ट्र में इसराइल के राजदूत गिलाद ऐरदन ने ये प्रस्ताव यूएन महासभा में पेश करते हुए कहा कि दुनिया एक ऐसे दौर में जी रही है जब कल्पना, तथ्यों का रूप ले रही है, और हॉलोकॉस्ट अब एक दूर की याद बनता जा रहा है.
राजदूत गिलाद ऐरदन, स्वयं भी हॉलोकॉस्ट में जीवित बचे लोगों की तीसरी पीढ़ी हैं.
उन्होंने आगाह करते हुए कहा, “हॉलोकॉस्ट खण्डन एक कैंसर की तरह फैला है, ये हमारी नज़रों के सामने फैला है.”
प्रस्ताव
इस प्रस्ताव के अनुसार ये नरसंहार, तमाम लोगों को घृणा व नफ़रत, कट्टरपंथ, नस्लवाद और पूर्वाग्रहों के ख़तरों के बारे में, एक चेतावनी बना रहेगा.
प्रस्ताव के मसौदे में, सदस्य देशों ने, सूचना व संचार प्रौद्योगिकियों के प्रयोग के ज़रिये, हॉलोकॉस्ट खण्डन या उसके बारे में तोड़-मरोड़ कर जानकारी पेश करने के बढ़ते चलन के बारे में चिन्ता व्यक्त की.
प्रस्ताव में, तमाम सदस्य देशों से, हॉलोकॉस्ट का एक ऐतिहासिक घटना के बारे में खण्डन किये जाने या उसके बारे में ग़लत जानकारी प्रस्तुत किये जाने के किसी भी तरह के मामलों या इस आशय की किसी भी तरह की गतिविधियों, को रद्द करने का आग्रह किया गया है.
शिक्षा व जागरूकता
प्रस्ताव में उन देशों की सराहना की गई है जिन्होंने, हॉलोकॉस्ट के दौरान, नाज़ी मृत्यु शिविर, प्रताड़ना शिविर, जबरन श्रम शिविर या हत्या स्थल व जेलों के रूप में इस्तेमाल किये गए स्थानों की स्मृतियों को सहेजकर रखा है.
प्रस्ताव में सदस्य देशों से ऐसे कार्यक्रम विकसित करने के लिये भी कहा गया है जिनके ज़रिये भविष्य की पीढ़ियों को शिक्षित किया जाए व जागरूक बनाया जाए; और तमाम सोशल मीडिया कम्पनियों से भी, यहूदी-विरोधी विचारों और हॉलोकॉस्ट खण्डन के चलन का मुक़ाबला करने के लिये सक्रिय उपाय करने को कहा गया है.
यहूदी-विरोधी विचारों का मुक़ाबला करने के लिये, संयुक्त राष्ट्र के स्तर पर जागरूकता फैलाने के अधिकतर प्रयास, इसके शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) के ज़रिये किये जाते हैं.
मानवाधिकार
गुरूवार को ही, यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने, असहिष्णुता, नस्लभेद, यहूदी-विरोधी विचार और नफ़रत व हिंसा को बढ़ावा दिये जाने के ख़िलाफ़, इटली की सैनेट के असाधारण आयोग के सामने, अपने विचार रखे.
मिशेल बाशेलेट ने, हमारी साझा इनसानियत और अधिकारों पर ज़ोर देने वाली नीतियाँ और आख्यान विकसित करने के लिये, विशिष्ठ सुधार किये जाने की सिफ़ारिश भी की.
उन्होंने ये भी कहा कि पूरे योरोप में, यहूदी-विरोधी और मुस्लिम-विरोधी पूर्वाग्रह बढ़ता नज़र आ रहा है. इस सम्बन्ध में उन्होंने बुनियादी अधिकार एजेंसी द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण का ज़िक्र भी किया, जिसमें दिखाया गया है कि 89 प्रतिशत प्रतिभागियों को ये लगता है कि उनके देश में, यहूदी-विरोधी भावनाएँ बढ़ी हैं.
राजनैतिक लाभ
मिशेल बाशेलेट के अनुसार, नफ़रत से फ़ायदा उठाने वाले राजनैतिक आन्दोलन, अनेक देशों में मज़बूत होते देखे गए हैं.
उन्होंने चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि ऐसे राजनैतिक आन्दोलन, दुष्प्रचार और ग़लत जानकारियाँ फैलाकर, अपने समर्थकों की भावनाओं को भड़काते हैं, मीडिया का ध्यान खींचते हैं और वोट हासिल करते हैं – मगर वो, समाजों के भीतर गहरी, हिंसक और विनाशकारी दरारें भी डालते हैं.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने इटली के सांसदों से कहा कि इस तरह के ‘नफ़रत फैलाव’ के प्रभाव विध्वंसकारी होते हैं.
उन्होंने कहा कि नफ़रत फैलाव के पीड़ितों के लिये निरादर, हिंसा, भेदभाव और बहिष्करण के हालात उत्पन्न होते हैं, गहराई से जड़ें जमाएँ सामाजिक व आर्थिक विषमताएँ और बढ़ती हैं, और गहरी विपत्तियों व शिकायतों को ईंधन मिलता है.
यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने इटली के एक प्रख्यात लेखक और यहूदियों के नरसंहार - हॉलोकॉस्ट से जीवित बचे प्रीमो लेवी का कथन पढ़कर सुनाया जिसमें उन्होंने कहा था, “जो कुछ पहले हो चुका है, वो दोबारा भी हो सकता है.”