पूर्वी येरूशेलम में इसराइली बलों द्वारा फ़लस्तीनियों के घर ध्वस्त किये जाने की निन्दा
फ़लस्तीनी शरणार्थियों की सहायता करने वाली संयुक्त राष्ट्र एजेंसी – UNRWA ने गुरूवार को इसराइल से, पूर्वी येरूशेलम सहित पश्चिमी तट में, फ़लस्तीनियों के घर ढहाए जाने और उन्हें बेदख़ल किये जाने की कार्रवाई तुरन्त रोकने का आग्रह किया है. एक दिन पहले ही एक पूरे फ़लस्तीनी परिवार को, उनके लम्बे समय के घर से जबरन निकाल दिया गया था.
समाचार ख़बरों के अनुसार, इसराइली पुलिस ने पूर्वी येरूशेलम के शेख़ जर्राह इलाक़े में, बुधवार तड़के, सलहिय्या परिवार को, उनके दो जुड़वाँ घरों से जबरन निकाल दिया था.
तत्पश्चात उनके घरों को पूरी तरह ढहा दिया गया था. यूएन एजेंसी के पश्चिमी तट कार्यालय ने, इस पूरे घटनाक्रम की निन्दा की है.
एजेंसी के जिस स्टाफ़ ने गुरूवार को घटनास्थल का दौरा किया, उन्होंने देखा कि सम्पत्ति को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया था. बच्चों के स्कूली बस्ते, कपड़े और परिवार की तस्वीरें, मलबे में देखी जा सकती थीं.
अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के विरुद्ध
यूएन एजेंसी का कहना है कि एक क़ाबिज़ शक्ति के रूप में इसराइल द्वारा, संरक्षित लोगों को जबरन बेदख़ल करना और उनकी सम्पत्तियों को ध्वस्त करना, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के अन्तर्गत सख़्ती से निषिद्ध है. ऐसी कार्रवाई केवल बहुत अनिवार्य सैनिक कारणों, या क़ब्ज़े में रहने वाली आबादी की सुरक्षा के लिये किये गए उपायों के तहत ही सही ठहराई जा सकती है.
यूएन एजेंसी के अनुसार, 15 सदस्यों वाले सलहिय्या परिवार में, एक वृद्ध महिला और एक छोटी उम्र का बच्चा भी शामिल हैं, और ये परिवार पिछले 40 वर्षों से शेख़ जर्राह में अपने घरों में रह रहा था.
गिरफ़्तारियाँ और चोटें
इसराइली बलों ने, बुधवार को तड़के तीन बजे, सलहिय्या परिवार के दो घरों पर छापा मारा था, जब परिवार के सदस्य गहरी नीन्द में सो रहे थे.
एजेंसी का कहना है कि इसराइल बलों ने, कुछ ही घण्टों के भीतर दोनों घरों को और उनमें मौजूद तमाम निजी सम्पत्ति को ध्वस्त कर दिया. साथ ही, इसराइली बलों ने, इन परिवारों को उनके घरों से जबरन बेदख़ल करने की कार्रवाई के दौरान, कुछ परिजनों को चोटें भी पहुँचाईं.
सलहिय्या परिवार के मुखिया महमूद सलहिय्या को कुछ अन्य सम्बन्धियो के साथ गिरफ़्तार भी किया गया है. महमूद सलहिय्या ने, दो दिन पहले इसराइली बलों द्वारा अपने व्यावसायिक ठिकाने को ध्वस्त किये जाने के बाद, ख़ुद को आग लगाने की चेतावनी दी थी.
अन्य परिवारों पर जोखिम
यूएन एजेंसी ने कहा है कि ये बड़े खेद की बात है कि ऐसे हालात का सामना करने वाला, सलहिय्या का परिवार अकेला नहीं है.
शेख़ जर्राह इलाक़े की अनेक बस्तियों में, फ़लस्तीनी शरणार्थियों के बहुत से परिवारों के लगभग 200 लोगों को, इस तरह जबरन बेदख़ल कर दिये जाने के जोखिम का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें बहुत से बच्चे भी हैं.
यूएन फ़लस्तीनी शरणार्थी एजेंसी - UNRWA ने, संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कार्यों में तालमेल करने वाली एजेंसी – OCHA के वर्ष 2020 के आँकड़ों का हवाला देते हुए कहा है कि पूरे येरूशेलम में अनुमानतः 218 परिवार, इसराइली बलों द्वारा जबरन बेदख़ल कर दिये जाने के जोखिम का सामना कर रहे हैं. इन परिवारों में लगभग 970 सदस्य हैं जिनमें 424 बच्चे हैं.
यूएन एजेंसी ने इसराइली अधिकारियों से, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का पालन करने, और एक क़ाबिज़ शक्ति होने के नाते, पूर्वी येरूशेलम सहित विश्व बैंक इलाक़े में, तमाम फ़लस्तीनी शरणार्थयों और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है.
एजेंसी के अनुसार, “सभी इनसानों को, सुरक्षित व कठिनाईमुक्तल आवास और शान्ति व गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार हासिल है.”
बीमार बच्चे को रिहा करने की पुकार
यूएन फ़लस्तीनी शरणार्थी एजेंसी और अन्य दो यूएन एजेंसियों ने इसराइल में बन्दी बनाकर रखे गए, एक गम्भीर रूप से बीमार बच्चे को तुरन्त रिहा किये जाने की पुकार भी लगाई है.
अमल नख़लेह नामक इस बच्चे की उम्र अब 18 वर्ष हो गई है और उसे लगभग एक वर्ष से, बिना कोई आरोप निर्धारित किये, हिरासत में रखा गया है.
इस तरह की कार्रवाई को ‘प्रशासनिक बन्दीकरण’ कहा जाता है. मीडिया ख़बरों के अनुसार इस बच्चे को तंत्रिका सम्बन्धी कुछ गम्भीर बीमारी है.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – UNICEF, यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय – OHCHR और यूएन फ़लस्तीनी शरणार्थी एजेंसी - UNRWA द्वारा गुरूवार को जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि इसराइल ने अमल नख़लेह की हिरासत 18 मई, 2022 तक बढ़ा दी है.
इन यूएन एजेंसियों का कहना है कि ना तो अमल के वकीलों और ना ही परिवार को, उसकी गिरफ़्तारी या बन्दीकरण के कारण बताए गए हैं.
अमल रोग प्रतिरोक्षी क्षमता सम्बन्धी एक गम्भीर बीमारी से पीड़ित है जिसके लिये लगातार चिकित्सा उपचार और निगरानी की ज़रूरत है.
इन यूएन एजेंसियों ने, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के प्रावधानों के अनुरूप, अमल की तुरन्त व बिना शर्त रिहाई की मांग की है.
एजेंसियों के अनुसार, अमल का मामला, ऐसा अकेला नहीं है और इस समय कम से कम तीन ऐसे फ़लस्तीनियों को ‘प्रशासनिक बन्दीकरण’ में रखा गया है जिनकी उम्र, उन्हें पहली बार हिरासत में लिये जाने के समय, 18 वर्ष से कम थी.
एजेंसियों के वक्तव्य में कहा गया है, “हम संयुक्त राष्ट्र महासचिव की उस पुकार को दोहराते हैं जो, वर्ष 2015 से हर साल, “बच्चों व सशस्त्र संघर्षों स्थिति पर अपनी रिपोर्ट” में, इसराइल से, बच्चों का ‘प्रशासनिक बन्दीकरण’ ख़त्म करने का आग्रह करते रहे हैं. इस चलन से बच्चों को, उनकी स्वतंत्रता से वंचित किया जाता है, और इसे तुरन्त ख़त्म करना होगा.”