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बांग्लादेश: एक सप्ताह में दूसरी बार, रोहिंज्या शरणार्थी शिविर आग की चपेट में

कॉक्सेस बाज़ार शरणार्थी शिविर में आग लगने की घटना के बाद, बड़ी संख्या में रोहिंज्या शरणार्थी बेघर हो गए हैं.
© UNICEF/Rashad Wajahat Lateef
कॉक्सेस बाज़ार शरणार्थी शिविर में आग लगने की घटना के बाद, बड़ी संख्या में रोहिंज्या शरणार्थी बेघर हो गए हैं.

बांग्लादेश: एक सप्ताह में दूसरी बार, रोहिंज्या शरणार्थी शिविर आग की चपेट में

मानवीय सहायता

बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में कुछ ही दिनों के अन्तराल में दूसरी बार रोहिंज्या शरणार्थी शिविर में आग लगने की घटना हुई है, जिससे हज़ारों शरणार्थी व मेज़बान बांग्लादेशी समुदाय के लोग प्रभावित प्रभावित हुए हैं. इस घटना के बाद, संयुक्त राष्ट्र प्रवासन एजेंसी (IOM) की टीम सक्रियता से राहत प्रयासों में जुट गई हैं. 

शिविर में आग लगने की घटना, स्थानीय समयानुसार रविवार शाम पाँच बजे के क़रीब हुई, और इससे शिविर के कुछ हिस्सों को बड़ा नुक़सान पहुँचा है. 

यह दुनिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर हैं, जहाँ म्याँमार में हिंसा से जान बचाकर आए, बड़ीं संख्या में रोहिंज्या शरणार्थियों ने शरण ली है. 

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शरणार्थियों की सुरक्षा और हालात पर नियंत्रण पाने के लिये राहत टीमें तैनात की गई हैं, और इस कार्य में स्थानीय प्रशासन व अग्निशमन दल का सहारा लिया जा रहा है.

समन्वित प्रयास

शरणार्थी शिविर में आग लगने की वजह का अभी तक पता नहीं चल पाया है और किसी के मारे जाने की ख़बर नहीं है, मगर दो लोगों के घायल होने जानकारी प्राप्त हुई है.

यूएन प्रवासन एजेंसी के बांग्लादेश कार्यालय की प्रभारी नुसरत ग़ज्ज़ाली ने कहा, “हम अन्य मानवीय राहत पक्षकारों के साथ समन्वय से, यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि प्रभावितों के लिये भोजन, स्वास्थ्य, संरक्षण, जल, साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता आवश्यताएँ पूरी की जाएँ.”

शीर्ष प्राथमिकताओं में शिविर में क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत और पुनर्निर्माण का कार्य आगे बढ़ाना है, साथ ही खाना पकाने के लिये सुविधा का भी प्रबन्ध करना होगा. 

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने सोमवार को बताया कि शिविर के दो हज़ार 200 निवासियों को गर्म भोजन वितरित करना शुरू किया गया है.

यूएन एजेंसी हर दिन, गर्म भोजन उन सभी परिवारों को मुहैया कराएगी, जिनके पास अपने लिये खाना पकाने की सुविधा फ़िलहाल नहीं है. 

एक हफ़्ते में दूसरी घटना

हाल के दिनों में यह दूसरी बार है, जब शरणार्थी शिविर आग की चपेट में आया है. इससे पहले, 2 जनवरी को, शिविर में स्थित यूएन प्रवासन एजेंसी के कोविड उपचार केन्द्र में आग लगने से नुक़सान हुआ था.

प्रवासन संगठन और कॉक्सेस बाज़ार में मानवीय राहत साझीदारों ने, रविवार की घटना के बाद क्षति और प्रभावितों की तात्कालिक व दीर्घकालीन आवश्यकताओं का तकनीकी आकलन किये जाने की बात कही है. 

ज़मीनी स्तर पर सहायता प्रदान करने के लिये, एक सचल मेडिकल टीम तैनात की गई है. एक अन्य टीम शिविर के भीतर ही मौजूद है ताकि लोगों तक सटीक व उपयोगी जानकारी पहुँचाई जा सके.

यूएन प्रवासन एजेंसी ने प्रभावित परिवारों के लिये, ग़ैर-खाद्य सामग्री की किट का प्रबन्ध करने के लिये तेज़ी से प्रयास किये हैं. ठण्ड के मौसम के मद्देनज़र ये किटें, कम्बलों के साथ वितरित की जा रही हैं.

आग लगने का जोखिम बढ़ा

संगठन के मुताबिक़, शिविर में परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, यह कहा जा सकता है कि वहाँ बड़े पैमाने पर आग फैलने का जोखिम वास्तविक है. 

मार्च 2021 में, बड़े पैमाने पर आग लगने की घटना में अनेक लोगों की मौत हुई थी, 45 हज़ार रोहिंज्या शरणार्थी विस्थापित हुए, और भीषण नुक़सान हुआ था.

कॉक्सेस बाज़ार के महाशिविर में लाखों रोहिंज्या शरणार्थी रहते हैं, जोकि 1990 के शुरुआती वर्षों के बाद से, म्याँमार में अनेक बार हुए विस्थापन का शिकार होकर यहाँ तक पहुँचे हैं.

वर्ष 2017 में संकट जब अपने चरम पर था, तो हर दिन हज़ारों लोग सीमा पार कर बांग्लादेश पहुँच रहे थे.

उसके बाद से, कुटुपलोंग शरणार्थी शिविर, दुनिया में अपनी तरह का पहला विशाल शिविर बन गया है, जहाँ केवल 13 वर्ग किलोमीटर के इलाक़े में, छह लाख से अधिक लोग रहते हैं.