बांग्लादेश: रोहिंज्या शरणार्थी शिविरों में कोविड-19 टीकाकरण हुआ शुरू
बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में शरणार्थी शिविरों में चार हज़ार से अधिक रोहिंज्या लोगों को, कोविड-19 वैक्सीन की पहली ख़ुराक मिल गई है. बांग्लादेश में जानलेवा वायरस के फैलाव पर नियंत्रण पाने के लिये, राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान के तहत मंगलवार को ये टीके लगाए गए हैं.
रोहिंज्या शरणार्थी शिविरों में टीकाकरण के लिये 55 वर्ष से अधिक उम्र के 48 हज़ार से ज़्यादा लोगों को चिन्हित किया गया है. यह अभियान 17 अगस्त तक चलाए जाने की योजना है.
UNHCR welcomes the vaccination of Rohingya refugees against COVID19 in Bangladesh 🇧🇩 as part of the national vaccination rollout. Equitable inclusion of refugees in allocation of vaccines is needed to curb the spread of the pandemic.#OnlyTogether https://t.co/txj94J6fQR
UNHCRAsia
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी मामलों की एजेंसी (UNHCR) ने रोहिंज्या शरणार्थियों के लिये टीकाकरण शुरू किये जाने का स्वागत किया है, जो कि राष्ट्रीय प्रशासन के व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों का हिस्सा है.
बांग्लादेश में वैश्विक महामारी के फैलाव की रोकथाम के लिये टीकाकरण कार्यक्रम में रोहिंज्या शरणार्थियों का न्यायोचित समावेशन बेहद अहम है.
बांग्लादेश में यूएन एजेंसी के प्रतिनिधि योहानेस वान डेर क्लाउ ने बताया, “रोहिंज्या शरणार्थियों और मेज़बान समुदाय के स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं ने, शिविरों में कोविड-19 के फैलाव को थामने के लिये अग्रिम मोर्चे पर आवश्यक भूमिका निभाई है.”
“मगर समुदायों की पूर्ण रक्षा के लिये पहला क़दम, टीकाकरण की शुरुआत है.”
“हम टीकाकरण मुहिम में रोहिंज्या शरणार्थियों को शामिल करने के लिये, बांग्लादेश सरकार के आभारी हैं.”
शरणार्थी शिविरों में टीकाकरण प्रयासों का नेतृत्व स्थानीय प्रशासन कर रहा है, और इन प्रयासों में विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूएन शरणार्थी एजेंसी व अन्य साझीदार मानवीय संगठनों से तकनीकी मदद मिल रही है.
हज़ारों शरणार्थियों और मेज़बान समुदाय के स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं ने वैश्विक महामारी से निपटने की कार्रवाई का नेतृत्व किया है.
इसके तहत, वर्ष 2020 से ही, शिविरों में स्वास्थ्य और स्वच्छता बरते जाने की अहमियत के सम्बन्ध में जानकारी मुहैया कराई गई है, बीमारी के किसी भी तरह के लक्षणों की निगरानी की गई, और शरणार्थी समुदायों को अन्य गम्भीर स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ा गया है.
बताया गया है कि कोविड-19 का ख़तरा अब भी गम्भीर है, लेकिन इन प्रयासों से महामारी के फैलाव की रोकथाम करने और ज़िन्दगियों की रक्षा करने में सहायता मिली है.
ख़राब मौसम से व्यापक हानि
टीकाकरण कार्यक्रम से कुछ ही सप्ताह पहले, कॉक्सेस बाज़ार में शरणार्थियों को मॉनसून की मूसलाधार बारिश का सामना करना पड़ा, जिससे अचानक बाढ़ आने और भूस्खलन की घटनाएँ हुईं.
इन आपदाओं में आठ रोहिंज्या शरणार्थियों और 15 बांग्लादेशी नागरिकों की मौत हो गई.
भूस्खलन, बाढ़, तेज़ हवाओं और तूफ़ानों की वजह से 25 हज़ार से अधिक शरणार्थी विस्थापित हुए हैं. हज़ारों सुविधा केन्द्र क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिनमें प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, वितरण केन्द्र और शौचालय हैं.
सड़कों, पगडण्डियों और पुलों को नुक़सान पहुँचा है जिससे वहाँ पहुँचना मुश्किल हो रहा है.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी की आपात राहत टीमें और साझीदार संगठन, शरणार्थी व मेज़बान समुदाय के स्वैच्छिक कार्यकर्ता, इलाक़े में हुई क्षति का आकलन कर रहे हैं.
इसके ज़रिये मजबूरन अन्य इलाक़ों में रह रहे प्रभावित परिवारों को सहारा देने, शिविरों की तत्काल मरम्मत का काम शुरू करने और सर्वजन के लिये ज़रूरी सेवाएँ सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है.
बताय गया है कि मौसम, पिछले कुछ दिनों के दौरान, बेहतर हुआ है, मगर मॉनसून का मौसम अगले दो महीनों तक जारी रहेगा जिसके बाद चक्रवाती तूफ़ानों का मौसम है.