ओमिक्रॉन से बचाव के लिये, 70 फ़ीसदी आबादी का टीकाकरण ज़रूरी - WHO
इस बीच, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की एक वरिष्ठ विशेषज्ञ ने संगठन के सन्देश को फिर से रेखांकित किया है कि कोई भी देश, बूस्टर टीकों के ज़रिये इस महामारी से बाहर नहीं निकल सकता है.
उन्होंने सचेत किया कि ओमिक्रॉन वैरीएण्ट गहनता से फैल रहा है, जैसाकि कोरोनावायरस का डेल्टा वैरीएण्ट भी पहले कर चुका है.
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WHO
डॉक्टर मारिया वान कर्कहॉव ने बीबीसी रेडियो को बताया कि, “गहनता से सामाजिक घुलना-मिलना होने के सन्दर्भ में, साबित हो चुके सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों के सीमित इस्तेमाल के सन्दर्भ में, और विश्व भर में सीमित टीकाकरण कवरेज के सन्दर्भ में...ये वो परिस्थितियाँ हैं, जोकि किसी भी वैरीएण्ट, किसी वायरस को फलने-फूलने का मौक़ा देंगी.”
“ओमिक्रॉन इसका फ़ायदा उठा रहा है, और डेल्टा भी.”
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को जिनीवा में एक पत्रकार वार्ता के दौरान बताया कि दिसम्बर में उत्सवों और छुट्टियों का दौर शुरू होने से पहले ही, 128 देशों में ओमिक्रॉन वैरीएण्ट के मामलों की पुष्टि हो चुकी थी.
वैरिएण्ट की गम्भीरता
यूएन एजेंसी में महामारी विज्ञान विशेषज्ञ डाक्टर आब्दी महमूद के मुताबिक़, पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में, वायरस के अन्य प्रकारो की तुलना में, ओमिक्रॉन वैरिएण्ट के कम गम्भीर होने के बारे में पुख़्ता तौर पर फ़िलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता है.
उन्होंने कहा कि लन्दन में कोविड-19 संक्रमण मामलों में भीषण वृद्धि दर्ज की गई है. इसके बावजूद, अस्पतालों में भर्ती होने की दर, वर्ष 2020 की तुलना में क़रीब 20 प्रतिशत कम है.
उस समय कोविड-19 से बचाव के लिये टीके उपलब्ध नहीं थे. “इसलिये मुख्य सन्देश है: यदि आपका टीकाकरण हुआ है, आपके पास रक्षा कवच है."
"मगर यदि आप निर्बल हैं, या यदि आपने टीकाकरण नहीं करवाया है, तो यह ओमिक्रॉन, अन्य के लिये कितना भी मामूली या हल्का हो, आपको यह बहुत अधिक प्रभावित कर सकता है.”
डॉक्टर महमूद ने ज़ोर देकर कहा कि इसलिये टीकाकरण बेहद अहम है.
यूएन विशेषज्ञ के अनुसार, अनेक अध्ययन यह दर्शाते हुए प्रतीत होते हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएण्ट, श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्से को ही प्रभावित करता है, जिससे मामूली लक्षण सामने आते हैं.
वायरस के अन्य प्रकार, फेफड़ों तक पहुँचने के बाद न्यूमोनिया की वजह बन सकते थे. हालाँकि उन्होंने स्पष्ट किया कि फ़िलहाल ओमिक्रॉन की विस्तार से समीक्षा किये जाने की आवश्यकता है.
सर्वाधिक निर्बल के लिये टीके
“चुनौती दरअसल वैक्सीन नहीं है, बल्कि सर्वाधिक निर्बल आबादी का टीकाकरण है.” इस क्रम में उन्होंने देशों से यथाशीघ्र, 70 फ़ीसदी विश्व आबादी का टीकाकरण सुनिश्चित किये जाने की पुकार लगाई है.
डॉक्टर महमूद ने कहा कि वैक्सीन सुरक्षा के इस स्तर के अभाव में, वायरस, भीड़-भाड़ भरे, कम हवादार माहौल में ऐसे लोगों के बीच अपनी संख्या बढ़ाता है, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है.
यूएन एजेंसी ने चिन्ता जताई है कि ऐसे स्थल या माहौल, कोविड-19 वायरस के लिये फैलने और अपना रूप व प्रकार बदलने के लिये आदर्श स्थान हैं.
“हमने यह बीटा में देखा, हमने यह डेल्टा में देखा, हमने यह ओमिक्रॉन में देखा,” इसलिये यह वैश्विक हित में है कि राष्ट्रीय आबादियों के 70 फ़ीसदी हिस्से का टीकाकरण किया जाए, ताकि वैरिएण्ट का असर कम किया जा सके.
न्यायोचित टीकाकरण
यह पहली बार नहीं है जब यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने न्यायसंगत ढंग से विश्व आबादी का टीकाकरण किये जाने का आहवान किया है.
अनेक सम्पन्न देशों में स्थानीय आबादी को कोरोनावायरस वैक्सीन का चौथा टीका दिये जाने पर विचार किया जा रहा है, जबकि निर्धन देशों में बेहद कम संख्या में ही लोगों को ख़ुराक मिल पाई है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने क्रिसमस अवकाश से पहले आगाह किया था कि ताबड़तोड़ बूस्टर ख़ुराक दिये जाने के कार्यक्रमों से, वैश्विक महामारी के लम्बा खिंच जाने का ख़तरा है.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 से बचाव के टीकों की अतिरिक्त ख़ुराक कार्यक्रम से, इनकी आपूर्ति ऐसे देशों की ओर मुड़ जाएगी, जहाँ पहले ही व्यापक पैमाने पर टीकाकरण हो चुका है.
इससे वायरस के पास अपना रूप बदल कर फिर से फैलने का अवसर होगा.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने सभी देशों को समर्थन मुहैया कराए जाने पर ज़ोर देते हुए, 40 फ़ीसदी आबादी का यथाशीघ्र टीकाकरण किये जाने का आग्रह किया है, जिसे वर्ष 2022 के मध्य तक 70 प्रतिशत तक बढ़ाना होगा.