कोविड-19: वैक्सीन समता, उपचार समता, परीक्षण समता सुनिश्चित किये जाने पर बल

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख ने गुरूवार को जिनीवा में एक पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि पिछले सप्ताह उन्होंने हर किसी से, नववर्ष के संकल्प के तौर पर, 2022 के मध्य तक हर देश में 70 फ़ीसदी आबादी के टीकाकरण की मुहिम को समर्थन देने का आहवान किया था.
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WHO
महानिदेशक घेबरेयेसस के मुताबिक़, विज्ञान से जो कारगर औज़ार प्राप्त हुए हैं, उन्हें न्यायसंगत ढंग से यथाशीघ्र, विश्व भर में वितरित किया जाना महत्वपूर्ण है.
“वैक्सीन विषमता और स्वास्थ्य विषमता, कुल मिलाकर, साल 2021 की सबसे बड़ी विफलताएँ रही हैं. वैक्सीन विषमता, लोगों की ज़िन्दगियाँ व रोज़गार ख़त्म होने की वजह है और इससे वैश्विक आर्थिक पुनर्बहाली भी कमज़ोर होती है.”
उन्होंने कहा कि कुछ देशों में महामारी के दौरान भण्डारण के लिये, पर्याप्त संख्या में निजी बचाव सामग्री, परीक्षण और टीके उपलब्ध थे, जबकि अन्य देश अपनी बुनियादी ज़रूरतों को भी पूरा नहीं कर पा रहे थे.
एल्फ़ा, बीटा, डेल्टा, गामा और ओमिक्रॉन जैसे वैरिएण्ट दर्शाते हैं कि टीकाकरण की दर कम होने से, वायरस के नए रूप व प्रकारों को उभरने का मौक़ा मिल गया है.
विश्व में, टीकाकरण की वर्तमान दर के आधार पर अनुमान लगाया गया है कि जुलाई 2022 तक 109 देश, अपनी 70 फ़ीसदी आबादी का टीकाकरण करने का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएंगे.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि कुछ देश अपने नागरिकों को चौथा टीका लगाने की दिशा में बढ़ रहे हैं, जबकि अन्य देशों में स्वास्थ्यकर्मियों को टीके लगाने के लिये भी पर्याप्त संख्या में वैक्सीन नहीं हैं.
“कम संख्या में देशों में, बूस्टर के बाद फिर बूस्टर देने से महामारी ख़त्म नहीं होगी, और अरबों लोगों के पास रक्षा कवच नहीं होगा.”
महानिदेशक घेबरेयेसस ने चिन्ता जताई कि पिछले सप्ताह कोविड-19 महामारी के दौरान, अब तक सबसे बड़ी संख्या में संक्रमण मामलों की पुष्टि की गई.
उन्होंने सचेत किया कि डेल्टा की तुलना में, ओमिक्रॉन कम गम्भीर प्रतीत होता है, विशेष रूप से उन लोगों के लिये जिनका टीकाकरण हुआ है, इसका यह अर्थ नहीं है कि यह मामूली है.
“पहले के वैरिएण्ट्स की तरह, ओमिक्रॉन, लोगों को अस्पतालों में भर्ती कर रहा है और यह लोगों की जान ले रहा है.”
मौजूदा हालात में अस्पतालों में भारी बोझ है, कर्मचारियों की कमी है, जिससे कोविड-19 के अलावा उन बीमारियों व चोटों के कारण मौत का ख़तरा भी बढ़ गया है, जिन्हें समय पर इलाज के ज़रिये टाला जा सकता है.
स्वास्थ्य संगठन के शीर्ष अधिकारी के मुताबिक़, पहली पीढ़ी की वैक्सीन, भले ही सभी संक्रमणों व संचारणों को न रोक पाएँ, मगर अस्पतालों में भर्ती होने और वायरस के कारण होने वाली मौतों से बचाव में वे कारगर हैं.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि दुनिया को वैक्सीन समता, उपचार समता, परीक्षण समता, स्वास्थ्य समता की दरकार है और यह बदलाव लाने के लिये, आमजन को अपनी आवाज़ बुलन्द करनी होगी.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने वैक्सीन विषमता पर पार पाने के लिये कार्रवाई किये जाने का आग्रह किया है. इस क्रम में, दानदाता देशों और विनिर्माता कम्पनियों द्वारा, तैयार किये जा रहे टीकों को कारगर ढंग से साझा किया जाना होगा.
वर्ष 2021 में अधिकतर अवधि में ऐसा नहीं हो पाया, मगर साल के अन्त तक आपूर्ति में वृद्धि हुई है.
दूसरा, महामारी से निपटने की तैयारियों और वैक्सीन उत्पादन के लिये ‘फिर कभी नहीं’ की सोच के साथ आगे बढ़ना होगा, ताकि, कोविड-19 की दूसरी पीढ़ी की वैक्सीन जैसे ही विकसित हों, वे न्यायोचित ढंग से सभी के लिये सुलभ व वितरित हों.
महानिदेशक ने बताया कि कुछ देशों ने उच्च-गुणवत्ता वाली वैक्सीन व अन्य स्वास्थ्य उपायों के लिये ब्लूप्रिण्ट प्रदान किया है, जिस पर काम करने की आवश्यकता है.
इसके मद्देनज़र, WHO वैक्सीन विनिर्माण हब में निवेश करना और उन कम्पनियों के साथ मिलकर काम करना जारी रखेगा, जोकि टैक्नॉलॉजी और लाइसेंस साझा करने के इच्छुक हैं.
यूएन एजेंसी के शीर्ष अधिकारी ने बताया कि कुछ वैक्सीन निर्माताओं ने अपने उत्पादों से पेटेण्ट की छूट देने, और लाइसेंस व टैक्नॉलॉजी साझा करने की प्रतिबद्धता जताई है, जोकि उत्साहजनक है.
“यह मुझे ध्यान दिलाता है कि जोनास साल्क ने किस तरह अपनी पोलियो वैक्सीन का पेटेण्ट नहीं कराया, और ऐसा करके, इस बीमारी से, लाखों-करोड़ों बच्चों की जान बचाई.”
महानिदेशक घबेरेयेसस ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वास्थ्य प्रणालियों के निर्माण और मज़बूत निगरानी, उपयुक्त परीक्षण क्षमता, एक मज़बूत, समर्थित व रक्षा कवच प्राप्त स्वास्थ्य कार्यबल में निवेश किये जाने की पुकार लगाई है.
उन्होंने नागरिक समाज, वैज्ञानिकों, व्यवसाय जगत के नेताओं, अर्थशास्त्रियों और शिक्षकों समेत, विश्व भर में नागरिकों का आहवान किया है कि सरकारों और औषधि निर्माता कम्पनियों से स्वास्थ्य औज़ारों को साझा किये जाने की मांग की जानी होगी.
इसके ज़रिये, वैश्विक महामारी के कारण हो रही मौतें व तबाही रोकी जा सकती हैं.