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कोविड-19: संक्रमण के बाद की स्थिति की परिभाषा जारी, उपचार में मदद की उम्मीद

इण्डोनेशिया में, एक महिला को कोविड-19 का बूस्टर टीका लगाए जाने से पहले, उसका रक्तचाप मापे जाते हुए.
© UNICEF/Arimacs Wilander
इण्डोनेशिया में, एक महिला को कोविड-19 का बूस्टर टीका लगाए जाने से पहले, उसका रक्तचाप मापे जाते हुए.

कोविड-19: संक्रमण के बाद की स्थिति की परिभाषा जारी, उपचार में मदद की उम्मीद

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शुक्रवार को कहा है कि कोविड-19 महामारी का संक्रमण होने के बाद, उसके कुछ लक्षणों के साथ ही जीवन जीने की स्थिति या बीमारी के लिये, वैश्विक परामर्श के बाद, पहली बार एक आधिकारिक क्लीनिकल परिभाषा पर सहमति हुई है. कोविड-19 बीमारी से पीड़ित लोगों के लिये उपचार में मदद करने के लिये ये परिभाषा जारी की गई है.

कोविड-19 महामारी का संक्रमण होने के बाद काफ़ी लम्बे समय तक उसके लक्षण या प्रभाव बरक़रार रहने की स्थिति को दीर्घकालीन कोविड (Long Covid) भी कहा जा रहा है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के, क्लीनिकल प्रबन्धन विभाग की मुखिया डॉक्टर जैनेट डिएज़ का कहना है कि बीमारी की ये स्थिति उन लोगों में देखी गई है जिनमें या तो इस महामारी के संक्रमण की पुष्टि हो गई होती है या फिर संक्रमण होने की सम्भावना होती है.

आमतौर पर, ये लक्षण, दो से तीन महीनों में सामने आते हैं और इस स्थिति को किसी वैकल्पिक जाँच-पड़ताल के ज़रिये बयान नहीं किया जा सकता है.

सूक्ष्म निगरानी

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने बताया है कि अभी तक, दीर्घकालीन कोविड की स्थिति के बारे में, स्वाथ्य विशेषज्ञों में, कोई स्पष्टता नहीं होने के कारण, गहन शोध और उपचार को आगे बढ़ाने के प्रयासों में जटिलता हो रही थी.

डॉक्टर जैनेट डिएज़ ने जिनीवा में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि दीर्घकालीन कोविड के लक्षणों में, “थकान, साँस लेने में कठिनाई, संज्ञानात्मक निष्क्रियता के साथ-साथ ऐसे लक्षण भी शामिल हैं जिनसे दैनिक जीवनचर्या प्रभावित होती है.”

उन्होंने कहा कि ये लक्षण, कोविड-19 के गम्भीर संक्रमण से उबरने के एकदम बाद भी शुरू हो सकते हैं या बीमारी की अवस्था से ही जारी रह सकते हैं. समय के साथ-साथ इन लक्षणों में उतार-चढ़ाव हो सकता है और समय गुज़रने के साथ ही ये खत्म भी हो सकते हैं.

पूर्ण स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ये परिभाषा जारी करते हुए ध्यान दिलाया है कि कोविड-19 के संक्रमण का शिकार होने वाले ज़्यादातर मरीज़ पूरी तरह से स्वस्थ हो जाते हैं, मगर कुछ मरीज़ों को अनेक शारीरिक लक्षणों के प्रभावों का सामना करना पड़ता है.

इनमें श्वसन तंत्र, हृदय और तंत्रिका तंत्र पर प्रभावों के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी शामिल हैं.

ये लक्षण, संक्रमण की आरम्भिक गम्भीरता से बिल्कुल असम्बन्धित भी हो सकते हैं; ये लक्षण, महिलाओं, मध्य उम्र के लोगों, और आरम्भ में ज़्यादा लक्षण दिखाने वालों में ज़्यादा बारम्बार देखे गए हैं.

डॉक्टर जैनेट डिएज़ ने इस परिभाषा को, कोविड-19 बीमारी के मरीज़ों की पहचान करने में मानक स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम क़रार दिया.

उन्होंने कहा कि यूएन स्वास्थ्य एजेंसी को उम्मीद है कि इससे स्वास्थ्यकर्मियों और चिकित्साकर्मियों को, कोविड-19 के मरीज़ों की पहचान करने में मदद मिलेगी और उसी के अनुरूप उपचार और स्पष्ट मार्ग सम्भव हो सकेंगे.

उन्होंने कहा, “हमें आशा है कि नीतिनिर्माता और स्वास्थ्य प्रणालियाँ, इन मरीज़ों की देखभाल के लिये, एकीकृत स्वास्थ्य मॉडल गठित करके, उन पर अमल करेंगे.”

अभी सटीक टैस्ट नहीं

वैसे तो, कोविड-19 के आरम्भिक संक्रमण की जाँच करने के लिए अनेक टैस्ट यानि परीक्षण मौजूद हैं, मगर कोविड-19 का संक्रमण होने और उससे उबरने के बाद की स्थिति की जाँच के लिये कोई सटीक टैस्ट या परीक्षण उपलब्ध नहीं हैं.

अभी ये पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो सका है कि मरीज़ों में दीर्घकालीन कोविड-19 की स्थिति, किन कारणों से उत्पन्न होती है.