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डीआरसी: इबोला के फैलाव के दौरान यौन शोषण के आरोप, ‘लोगों के साथ विश्वासघात’

कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के कलेमाई में लिंग आधारित हिंसा से बची एक महिला.
UNOCHA/Alioune Ndiaye
कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के कलेमाई में लिंग आधारित हिंसा से बची एक महिला.

डीआरसी: इबोला के फैलाव के दौरान यौन शोषण के आरोप, ‘लोगों के साथ विश्वासघात’

महिलाएँ

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) में संगठन के कुछ कर्मचारियों द्वारा कथित रूप से यौन दुर्व्यवहार और शोषण किये जाने के मामलों पर गहरा क्षोभ जताते हुए कहा है कि यह उन लोगों के साथ विश्वासघात है जिनकी हम सेवा करते हैं. एक नई जाँच रिपोर्ट के अनुसार इन मामलों को, डीआरसी में इबोला बीमारी के फैलाव के दौरान अंजाम दिया गया.

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यूएन स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा नियुक्त एक स्वतंत्र आयोग ने, बीमारी के फैलाव के दौरान कथित रूप से दुर्व्यवहार के 80 से अधिक मामलों की शिनाख़्त की है. 

इन मामलों में विश्व स्वास्थ्य संगठन के 20 कर्मचारियों पर आरोप सामने आए हैं. 

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक डॉक्टर घेबरेयेसस ने जाँच रिपोर्ट को जारी किये पर कहा कि उनके संगठन के लिये यह अन्धकारमय दिन है. 

उन्होंने क्षोभ ज़ाहिर करते हुए कहा कि यह उन सहकर्मियों के साथ भी एक विश्वासघात है, जो अन्य लोगों की सेवा करने के लिये स्वयं को जोखिम में डालते हैं.

स्वतंत्र आयोग ने अपनी जाँच, उत्तर किवू और इतुरी प्रान्त में अक्टूबर 2020 में शुरू की. ये मामले काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में इबोला बीमारी के दसवीं बार फैलाव के दौरान सामने आए.

दो साल तक हिंसा प्रभावित इलाक़े में इबोला बीमारी के फैलाव के बाद, इसका अन्त होने की घोषणा इस वर्ष 25 जून को की गई थी. 

इसकी वजह से दो हज़ार 300 मौतें हुईं और इसे अब तक, एक बेहद संक्रामक वायरस के दूसरे सबसे घातक व व्यापक फैलाव के रूप में देखा गया.

'जबरन गर्भपात'

पैनल ने 35 पृष्ठों की इस रिपोर्ट पर जानकारी देते हुए बताया कि जाँच के दौरान ऐसी अनेक महिलाओं से बातचीत की गई, जिनसे काम के बदले यौन सम्बन्धों की पेशकश की गई थी. 

कथित रूप से बलात्कार पीड़ितों के साथ भी बातचीत की गई है, और ऐसे नौ मामलों की शिनाख़्त की गई है.

बातचीत के दौरान महिलाओं ने बताया कि ‘दोषियों’ ने गर्भनिरोधक उपायों का इस्तेमाल नहीं किया, जिसकी वजह से गर्भधारण किये जाने के मामले सामने आए.   

कुछ पीड़ितों के मुताबिक़, उनका उत्पीड़न करने वाले पुरुषों ने उन्हें गर्भपात कराने के लिये मजबूर किया. जाँच के दौरान कथित रूप से 83 दोषियों की शिनाख़्त की गई है, जिनमें विदेशी और काँगो के नागरिक हैं. 

21 मामलों में निश्चित तौर पर यह साबित करना सम्भव हुआ है कि कथित रूप से दोषी, विश्व स्वास्थ्य संगठन के कर्मचारी थे.

दुर्व्यवहार के कथित दोषियों में अधिकाँश काँगो के कर्मचारी थे, जिनकी अस्थाई रूप से भर्ती की गई थी.  रिपोर्ट में उन पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल, यौन सम्बन्धों के लिये करने का आरोप लगाया गया है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की अफ़्रीका के लिये क्षेत्रीय निदेशक मातशिदिसो मोयती ने कहा कि ये जाँच निष्कर्ष भयावह और हृदयविदारक हैं.

दण्डमुक्ति की धारणा

रिपोर्ट बताती है कि यौन शोषण और दुर्व्यवहार के इन मामलों की संख्या ने, कथित रूप से पीड़ितों की निर्बलताओं को बढ़ाया है. रिपोर्ट के मुताबिक़ व्यथित कर देने वाले इन अनुभवों के बाद, पीड़ितों को आवश्यक सहारा व सहायता नहीं मिल पाया.

यौन दुर्व्यवहार व शोषण की रोकथाम के लिये, कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने में देरी हुई, और मौखिक शिकायतों व जानकारियों को वरिष्ठ अधिकारियों ने नकार दिया. 

जाँचकर्ताओं के मुताबिक़ कथित रूप से पीड़ितों में धारणा बन गई कि संगठन के कर्मचारियों को उनकी हरक़तो से सज़ा की छूट मिली हुई है. 

भरोसा फिर बहाल करने की दरकार

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने कड़े शब्दों में कहा है कि दोषियों को गम्भीर नतीजे भुगतने होंगे और नेतृत्व पदों द्वारा कार्रवाई ना करने के लिये जवाबदेही तय की जाएगी. 

उन्होंने पीड़ा झेल रहे पीड़ितों से माफ़ी माँगते हुए कहा है कि वह फिर से भरोसा बहाल करने की अहमियत को समझते हैं.  

महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि व्यक्तियों व संगठन की विफलताओं को सामने लाकर, हम यह आशा करते हैं कि पीड़ितों को यह महसूस होगा कि उनकी आवाज़ों को सुना गया है और कार्रवाई हुई है.