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यूनीसेफ़: अभूतपूर्व संख्या में, लड़के-लड़कियाँ प्रवासी या विस्थापित

प्रवासी लड़कियों और लड़कियों को सप्ताहान्त के दौरान फ़ुटबॉल खेलने का मौक़ा दिया जाता है ताकि उन्हें समाज व स्थानीय समुदायों में घुलने-मिलने के लिये ज़्यादा मौक़े मिल सकें.
IOM Costa Rica/Allen Ulloa
प्रवासी लड़कियों और लड़कियों को सप्ताहान्त के दौरान फ़ुटबॉल खेलने का मौक़ा दिया जाता है ताकि उन्हें समाज व स्थानीय समुदायों में घुलने-मिलने के लिये ज़्यादा मौक़े मिल सकें.

यूनीसेफ़: अभूतपूर्व संख्या में, लड़के-लड़कियाँ प्रवासी या विस्थापित

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने शुक्रवार को प्रकाशित एक नई रिपोर्ट में कहा है कि अभूतपूर्व रूप से, ज़्यादा संख्या में लड़के और लड़कियाँ अपने रहने के स्थाई ठिकानों से विस्थापित हैं और वर्ष 2020 में, लगभग 3 करोड़ 55 लाख लड़के-लड़कियाँ, अपने जन्म वाले देश के बाहर जीवन जी रहे थे.

इनके अलावा लगभग 2 करोड़ 33 लाख लड़के और लड़कियाँ, अपने देश के भीतर ही विस्थापित थे.

यूनीसेफ़ की इस रिपोर्ट का नाम है -  Uncertain Pathways यानि ‘अनिश्चित पगडण्डियाँ’

इस रिपोर्ट में पाया गया है कि वर्ष 2020 में साल भर के दौरान, लगभग डेढ़ करोड़ लड़के-लड़कियों का नया विस्थापन या प्रवासन हुआ, यानि हर दिन लगभग 41 हज़ार. और इनमें, लड़कियों की तुलना में, लड़कों की संख्या ज़्यादा है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि घर छोड़ने के बारे में बच्चों के फ़ैसलों के पीछे, उनका लड़का या लड़की होना, एक बहुत बड़ा पहलू है, और यही पहलू, उनकी पूरी यात्रा के दौरान, उनके अनुभवों और उनके लिये कमज़ोर हालात उत्पन्न करने में भी अहम भूमिका निभाता है.

यूनीसेफ़ के प्रवासन व विस्थापन मामलों की वैश्विक मुखिया वेरेना क्नाउस ने जिनीवा में, रिपोर्ट जारी करने के मौक़े पर कहा कि आज के समय में, “लगभग 6 करोड़ लड़कियाँ और लड़के ऐसे हैं जो देशों की सीमाओं के पार प्रवासन कर चुके हैं या फिर उन्हें अपने ही देशों के भीतर जबरन विस्थापित होना पड़ा है.”

उन्होंने ध्यान दिलाया कि वर्ष 2015 की तुलना में, इस संख्या में लगभग एक करोड़ की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. वर्ष 2015 में इसी मुद्दे पर प्रकाशित रिपोर्ट का नाम था - Children Uprooted.

वेरेना क्नाउस ने कहा कि वैसे तो इस मुद्दे पर काफ़ी बड़ी बहस देखने को मिलती है कि किसी बच्चे को एक प्रवासी समझा जाए या शरणार्थी, “मगर हम सभी को, इस बारे में, आश्चर्यजनक रूप से बहुत कम जानकारी है कि लड़के-लड़कियों को, प्रवासन या अपने ठिकानों से विस्थापित होने के बारे में, लैंगिक आधार पर कैसे-कैसे अनुभव होते हैं.”

लैंगिक भिन्नताएँ

उन्होंने कहा, “लैंगिक आधार पर प्रवासन के रास्ते और अनुभव भिन्न होते हैं.” 

“वर्ष 2020 के दौरान, योरोप के देशों में शरण की चाह रखने वाले और अपने माता-पिता या अभिभावकों के बिना ही यात्रा करने वाले 10 में से 9 बच्चे, लड़के थे.”

इनमें से आधी से ज़्यादा संख्या अफ़ग़ानिस्तान, मोरक्को और सीरिया से आने वालों की थी.

वेरेने क्नाउस ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान ऐसे 10 देशों की सूची में सबसे ऊपर है जहाँ से, योरोप में शरण मांगने वाले ऐसे बच्चों की संख्या सबसे ज़्यादा है जो अपने माता-पिता या अभिभावकों के बिना ही सफ़र करते हैं.

ग्वाटेमाला में, सामाजिक कल्याण मंत्रालय द्वारा संचावित एक शरणस्थल में कुछ किशोर शिरकत करते हुए.
IOM Guatemala/Melissa Vega
ग्वाटेमाला में, सामाजिक कल्याण मंत्रालय द्वारा संचावित एक शरणस्थल में कुछ किशोर शिरकत करते हुए.

उन्होंने कहा है कि ये तो हम जानते हैं कि लड़कियों की तुलना में, कहीं बड़ी संख्या में लड़कों ने, अफ़ग़ानिस्तान की सीमाएँ पार करके अन्य स्थानों के लिये प्रवासन किया है, मगर इसमें लैंगिक असन्तुलन नज़र आता है.

“अफ़ग़ान लड़कियाँ कहाँ हैं? अफ़ग़ान लड़कियाँ कहाँ और किस तरह अन्तरराषट्रीय संरक्षण की मांग कर सकती हैं, वर्तमान और भविष्य में?”