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शरणार्थियों और विस्थापितों के साथ हमदर्दी दिखाने की ज़रूरत

बांग्लादेश के कॉक्सेज़ बाज़ार शरणार्थी शिविर में स्थित अपने अस्थाई घर की चौखट पर बैठा एक रोहिंज्या परिवार. दुनिया भर में लगभग 8 करोड़ लोग विस्थापित व शरणार्थी हैं.
©UNHCR/Vincent Tremeau
बांग्लादेश के कॉक्सेज़ बाज़ार शरणार्थी शिविर में स्थित अपने अस्थाई घर की चौखट पर बैठा एक रोहिंज्या परिवार. दुनिया भर में लगभग 8 करोड़ लोग विस्थापित व शरणार्थी हैं.

शरणार्थियों और विस्थापितों के साथ हमदर्दी दिखाने की ज़रूरत

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने तमाम देशों को संघर्षों, उत्पीणन और अन्य कारणों से बेघर और विस्थापित हुए लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने की अपनी बुनियादी ज़िम्मेदारी की तरफ़ ध्यान दिलाया है. दुनिया भर में इन कारणों से लगभग 8 करोड़ लोग विस्थापित या शरणार्थी हैं. 

यूएन प्रमुख ने शनिवार, 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस पर अपने सन्देश में उन देशों और मेज़बान समुदायों की सराहना भी की जिन्होंने शरणार्थियों व देश के भीतर ही विस्थापित लोगों को अपने यहाँ पनाह दी हुई है. जबकि ये देश और समुदाय ख़ुद भी अक्सर आर्थिक और सुरक्षा चुनौतियों का सामना करते हैं.

यूएन प्रमुख ने कहा कि इन देशों को हमें धन्यवाद कहना व समर्थन देना है और साथ ही वहाँ धन निवेश करना भी एक तरह से हम पर क़र्ज़ है. 

रिकॉर्ड विस्थापन

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने इस मौक़े पर जारी रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया भर में विस्थापित लोगों की संख्या रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँच गई है. 

ताज़ा आँकड़ों के अनुसार दुनिया भर में लगभग सात करोड़ 95 लाख लोग विस्थापित हैं, और उनमें से लगभग एक करोड़ तो बीते वर्ष ही विस्थापित हुए.

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि विश्व शरणार्थी दिवस पर, हम ऐसे संघर्षों व उत्पीड़न को रोकने के लिए अपनी यथा शक्ति हर सम्भव कार्रवाई करने का संकल्प व्यक्त करते हैं जिनके कारण इतनी बड़ी संख्या में लोग शरणार्थी व विस्थापित बनने को मजबूर हैं.

कोविड-19 का मुक़ाबला 

महासचिव ने कहा कि देशों के ही भीतर विस्थापित व शरणार्थी लोग निसन्देह कोविड-19 महामारी से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले समूहों में शामिल हैं, मगर उन्होंने इस महामारी का मुक़ाबला करने के लिए अग्रिम मोर्चों पर डटे लोगों में शामिल रहने के लिए उनकी सराहना भी की.

महासचिव ने कहा, “बांग्लादेश में स्थित शिविरों से लेकर योरोप के अस्पतालों तक, शरणार्थी लोग नर्सों, डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और अध्यापकों व अन्य अहम भूमिकाओं में काम कर रहे हैं. वो ख़ुद की हिफ़ाज़त करने के साथ-साथ, अपने मेज़बान समुदायों की सुरक्षा के लिए भी हर सम्भव योगदान कर रहे हैं.”

“इस विश्व शरणार्थी दिवस पर, अपनी ज़िन्दगियाँ फिर से पटरी पर लाने, और अपने आस-पास मौजूद लोगों की ज़िन्दगियाँ बेहतर बनाने के संकल्प व संसाधन समृद्ध होने के लिए हम शरणार्थियों का शुक्रिया अदा करते हैं.”

बुर्किना फ़ासो के एक शिविर में माली की महिला शरणार्थी. दुनिया भर में लगभग 8 करोड़ लोग विस्थापित व शरणार्थी हैं.
© UNHCR/Sylvain Cherkaoui
बुर्किना फ़ासो के एक शिविर में माली की महिला शरणार्थी. दुनिया भर में लगभग 8 करोड़ लोग विस्थापित व शरणार्थी हैं.

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने हाल ही में जारी एक नीति-पत्र में तमाम देशों की सरकारों से आग्रह किया था कि वो महामारी से निपटने के उपायों में उन लोगों को भी शामिल करें जो किन्ही कारणों से विस्थापित हैं.

शरणार्थियों के लिए हमदर्दी

यूएन शरणार्थी एजेंसी ने उम्मीद जताई है कि हर जगह के लोगों में शरणार्थियों के लिए कुछ हमदर्दी व दरियादिली होगी.

एजेंसी ने 2020 के विश्व शरणार्थी दिवस के मौक़े पर सोशल मीडिया मंचों पर मानवीय भवनाओं को व्यक्त करने वाली सांकेतिक आकृतियाँ यानि इमोजी जारी करने के लिए ट्विटर व आईवरी कोस्ट के ग्राफ़िक्स कलाकार ओ’प्लेरो ग्रेबेट के साथ साझेदारी क़ायम की है.

इनमें अलग-अलग रंगों के दो हाथों को इस तरह से जोड़ा गया है जिससे दिल के आकार की आकृति बनती है, जो एकजुटता व विविधता को प्रदर्शित करती है.

ओ’प्लेरो नामक इस कलाकार ने 365 इमोजी बनाई हैं जिनमें पश्चिम अफ्रीका में ज़िन्दगी के विभिन्न रंगों व पहलुओं का प्रतिनिधित्व होता है. मक़सद हर दिन एक इमोजी इस्तेमाल करने का है जिससे शरणार्थियों के साथ समर्थन व एकजुटता ज़ाहिर की जा सके.

पूरे वर्ष के लिए अनोखी इमोजी बनाने वाले इस कलाकार की प्रतिभा को सम्मान देने के लिए फ़ोर्ब्स अफ्रीका ने 30 वर्ष से कम उम्र की युवा प्रतिभाओं की सूची में शामिल किया है.

इस कलाकार ने शरणार्थी एजेंसी से हाल ही में कहा था, “शरणार्थी भी अन्य आम इन्सानों की ही तरह होते हैं. केवल इसलिए वो महत्वहीन नहीं हो जाते कि उन्हें विस्थापित होकर किसी अन्य देश या स्थान पर रहने को मजबूर होना पड़ जाता है.”

“मेरे माता पिता के दोस्त शरणार्थी हैं. 2010 में कोटे डी’आवॉयर में चुनावों के बाद संकट पैदा हो गया था. उससे पहले तक सत्तारूढ़ दल के निकट समझे जाने वाले लोगों को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा था, इससे हमारी जान-पहचान वाले लोग भी प्रभावित हुए.”