मानवाधिकार परिषद में अफ़ग़ानिस्तान पर चर्चा - महिला अधिकारों के हनन पर चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार मामलों की प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने तालेबान नेताओं से अफ़ग़ानिस्तान में सभी व्यक्तियों के अधिकारों का सम्मान करने की पुकार लगाई है. उन्होंने आगाह किया है कि महिलाओं व लड़कियों के साथ किये जाने वाला बर्ताव एक ऐसी ‘लाल रेखा’ है, जिसे लाँघा नहीं जाना चाहिए.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने मंगलवार को जिनीवा में मानवाधिकार परिषद के एक आपात सत्र को सम्बोधित करते हुए यह बात कही है.
ग़ौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले तालेबान ने अफ़ग़ानिस्तान पर अपना नियंत्रण स्थापित किया है.
At #SS31, Michelle Bachelet of @UNHumanRights addressed the Human Rights Council on the #AfghanishtanCrisis. pic.twitter.com/lSncJES3fo
UN_HRC
यूएन एजेंसी प्रमुख ने सदस्य देशों को आगाह किया कि तालेबान के क़ब्ज़े वाले इलाक़ों से अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के उल्लंघन की विश्वसनीय रिपोर्टें प्राप्त हो रही हैं.
उन्होंने कहा कि इन ख़बरों के मद्देनज़र यह ज़रूरी है कि मानवाधिकार परिषद, दुर्व्यवहारों की घटनाओं को रोकने के लिये एकमत से काम करें.
साथ ही सदस्य देशों से एक ऐसे ढाँचे को स्थापित करने की बात कही गई है, जिससे अफ़ग़ानिस्तान में तेज़ी से बदलते हालात और तालेबान द्वारा अपने वादों को निभाये जाने की निगरानी की जा सके.
मिशेल बाशेलेट ने स्पष्ट किया कि तालेबान द्वारा महिलाओं व लड़कियों के साथ किया जाने वाला बर्ताव, और उनकी आज़ादी, आवाजाही की स्वतंत्रता, शिक्षा, स्व-अभिव्यक्ति और रोज़गार के अधिकारों के लिये सम्मान, एक बुनियादी लाल रेखा है.
इनका अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुरूप पालन किया जाना होगा और इस सीमा को पार नहीं किया जान होगा.
उन्होंने कहा कि लड़कियों के लिये गुणवत्तापरक शिक्षा की सुलभता सुनिश्चित की जानी होगी और यह मानवाधिकारों के प्रति संकल्प का एक अहम सूचक होगा.
उन्होंने क्षोभ जताया कि आम नागरिकों व अफ़ग़ान राष्ट्रीय सुरक्षा बलों के सदस्यों को बिना सुनवाई के मौत की सज़ा दी रही है, बाल सैनिकों की भर्ती की जा रही है और शान्तिपूर्ण प्रदर्शनों व असहमति की अभिव्यक्तियों का दमन हो रहा है.
लाखों लोगों के मन में भय
अफ़ग़ानिस्तान के राजदूत डॉक्टर नासिर अहमद अन्दिशा ने देश में हालात को बयाँ करते हुए कहा कि लाखों लोग अपनी सुरक्षा के प्रति चिन्तित हैं और एक मानवीय संकट आकार ले रहा है.
उनके मुताबिक पत्रकार, शिक्षाविद, पेशेवर, नागरिक समाज के सदस्य और पूर्व सुरक्षाकर्मी, ये सभी एक समकालीन व लोकतांत्रिक समाज की रीढ़ हैं, मगर इन सभी को ख़तरों का सामना करना पड़ रहा है.
“हम अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून व मानवाधिकार दुर्व्यवहारों, गम्भीर हनन के मामलों को घटित होते देख रहे हैं, जिन्हें दर्ज किया जाता है और बहुत से जघन्य वीडियो ऑनलाइन उपलब्ध हैं.”
अफ़ग़ान राजदूत ने कहा कि तालेबान के कुछ सदस्य अलग तरह से बातें कर रहे हैं, मगर पाबन्दियाँ और हनन अब भी हो रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र में विशेष प्रक्रियाओं की समन्वय समिति की प्रमुख अनीता रामाशास्त्री ने सचेत किया कि महिलाओं, लड़कियों और बड़ी संख्या में घरेलू विस्थापितों को विशेष रूप से जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है.
“इनमें से बहुत से लोग छिपे हुए हैं, चूँकि तालेबान द्वारा घर-घर जाकर तलाशी लेना जारी है, और गम्भीर चिन्ताएँ हैं कि इस तरह सूचनाएँ जुटा कर, उन्हें बदला लेने के लिये निशाना बनाया जा सकता है.”
“तलाशी, गिरफ़्तारी, उत्पीड़न और डराना-धमकाना, साथ ही सम्पत्ति व बदले की भावना से कार्रवाई की घटनाएँ अभी से ही सामने आ रही हैं.”
अफ़ग़ानिस्तान में स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग के प्रमुख शहरज़ाद अकबर ने बताया कि अफ़ग़ानिस्तान के लिये यह एक बदतरीन लम्हा है और उसे अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के समर्थन की दरकार है.
उन्होंने कहा कि तालेबान का दबदबा बढ़ने के साथ ही महिलाओं, मीडिया व सांस्कृतिक जीवन में पाबन्दियाँ बढ़ रही हैं, लोग लापता हो रहे हैं. यह प्राचीन इतिहास नहीं है, बल्कि यह इसी महीने, आज ही घटित हो रहा है.
समर्थन का भरोसा
इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) की ओर से पाकिस्तान के राजदूत ख़लील हाशमी ने दोहराया कि इस्लामी सहयोग संगठन, अफ़ग़ानिस्तान के नेतृत्व व स्वामित्व में शान्ति व मेलमिलाप प्रक्रिया को समर्थन देने के लिये तैयार है.
उनके अनुसार इससे एक समावेशी राजनैतिक निपटारे की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में राजनैतिक, मानवीय, मानवाधिकार व विकास के मुद्दों पर अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा एक सक्रिय भूमिका निभाना एक अनिवार्यता है.
मानवाधिकार परिषद की बैठक के बाद एक प्रस्ताव के मसौदे को बिना मतदान के पारित किया गया है जिसका लक्ष्य, अफ़ग़ानिस्तान में मानवाधिकारों को बढ़ावा देना व उनकी रक्षा करना है.