आतंकवादी गुट कोविड-19 की स्थिति को भुनाने की कोशिश में

संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद निरोधक मामलों के अधिकारी ने सोमवार को कहा है कि इराक़ और आसपास के इलाक़ों में सक्रिय आतंकवादी संगठन दाएश व इसी तरह के अन्य गुट कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति को अपने फ़ायदों के लिये भुनाने की कोशिश कर रहे हैं. अन्तरारष्ट्रीय समुदाय को इस चुनौती का सामना करने के लेय और ज़्यादा सामूहिक कार्रवाई व सहयोग से मुक़ाबला करने की ज़रूरत है.
संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद निरोधक मामलों के प्रमुख व्लादिमीर वोरोन्कोव ने अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा के लिये दाएश से पेश ख़तरों पर ताज़ा रिपोर्ट सोमवार को सुरक्षा परिषद में पेश की. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वैश्विक कोरोनावायरस संकट से आतंकवाद को ख़त्म करने में दरपेश चुनौतियों को और ज़्यादा उजागर कर दिया है.
“#ISIL & other terrorist groups seek to exploit the far-reaching disruption & negative socio-economic & political impacts of the pandemic. Strengthening collective action & intl #counterterrorism cooperation must remain a priority during & after the pandemic”, USG Voronkov https://t.co/mTI3Fl82Kf pic.twitter.com/sJ0qjPdfZw
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उन्होंने वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के ज़रिये सुरक्षा परिषद के सदस्यों को बताया, “ये मौजूदा महामारी का माहौल आतंकवाद का मुक़ाबला करने में अनेक रणनीतिक व ज़मीनी चुनौतियाँ पेश करता है. इनके बारे में जुलाई में मेरे कार्यालय द्वारा आयोजित वर्चुअल आतंकवाद विरोधक सप्ताह के दौरान बातचीत की गई थी.”
उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 शुरू होने के समय से ही, संकट वाले क्षेत्रों में ख़तरा और ज़्यादा बढ़ा है. इराक़ और सीरिया में दाएश व उसके कुछ सहयोगी गुटों की बढ़ी गतिविधियों और उनके फिर से संगठित होने से ये स्पष्ट है.
सामान्य माहौल वाले इलाक़ों में, ख़तरा कुछ वक़्त के लिये टल गया लगता है. कोविड-19 के कारण हुई तालाबन्दी और प्रतिबन्धों ने हमलों का ख़तरा कुछ कम कर दिया है.
उन्होंने कहा कि हालाँकि, दाएश द्वारा प्रचार के लिये की जा रही अवसरवादी गतिविधियों से कुछ लोगों व गुटों द्वारा किये जाने वाले हमलों के रुझान को हवा मिल सकती है.
लेकिन अभी ये स्पष्ट नहीं है कि कोविड-19 के कारण दाएश की भर्ती और धन जुटाने की गतिविधियाँ किस तरह प्रभावित हो रही हैं, और ये भी कि दाएश के नए नेता आमिर मोहम्मद सईद अब्दल अर्रहमान अल मौला के नेतृत्व में क्या कोई रणनीतिक बदलाव हुआ है.
ध्यान रहे कि मौला से पहले दाएश के नेता अबू बक्र अल बग़दादी की 2019 में सीरिया में अमरीकी सेना के नेतृत्व वाले एक हमले में मौत हो गई थी.
वोरोन्कोव ने क्षेत्र में हो रही गतिविधियों की तरफ़ ध्यान खींचते हुए कहा कि दाएश मध्य पूर्व क्षेत्र के कुछ इलाक़ों में अपनी मौजूदगी को मज़बूत बनाने में लगा हुआ है, जो अतीत में उसके नियन्त्रण में थीं. उसकी गतिविधियों में उसका आत्मविश्वस बढ़ रहा है और वो अपनी गतिविधियाँ खुलकर चला रहा है.
उन्होंने कहा कि ऐसा अनुमान है कि इराक़ और सीरिया में दाएश के दस हज़ार से भी ज़्यादा लड़ाके सक्रिय हैं जो दोनों देशों के बीच छोटी-छोटी टुकड़ियों में आते-जाते रहते हैं. वर्ष 2020 के दौरान दोनों देशों में 2019 की तुलना में दाएश के हमलों में महत्वपूर्ण बढ़ोत्तरी देखी गई है.
कोविड-19 महामारी ने उन हज़ारों लोगों की पहले से ही भयंकर स्थिति को और ज़्यादा जटिल व नाज़ुक बना दिया है, विशेष रूप में महिलाओं और बच्चों के लिये, जिन पर दाएश के साथ सम्बन्ध होने का सन्देह है.
कुछ देश तो अब भी बच्चों को अपने यहाँ बुला रहे हैं लेकिन उनके रास्ते में बहुत सी क़ानूनी, राजनैतिक और ज़मीनी अड़चनों के कारण बच्चों को बुलाने में बहुत धीमी प्रगति हुई है.
आतंकवाद निरोधक मामलों के मुखिया ने कहा कि अगर अन्तरराष्ट्रीय समुदाय इस चुनौती का मुक़ाबला नहीं करता है तो दाएश से उत्पन्न वैश्विक ख़तरा बढ़ने की आशंका है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों का आहवान किया कि वो मानवीय, मानवाधिकार और सुरक्षा आधार पर निर्णायक फ़ैसला करें.
अफ्रीका की तरफ़ मुड़ते हुए उन्होंने बताया कि पश्चिम अफ्रीका प्रान्त में इस्लामिक स्टेट और उसके लगभग साढ़े तीन हज़ार सदस्यों को आइसिल के वैश्विक दुष्प्रचार के लिये अति महत्वपूर्ण बताया, क्योंकि वो ग्रेटर सहारा में इस्लामिक स्टेट के साथ अपने सम्बन्ध बढ़ा रहा है.
ये गुट बुर्किना फ़ासो, माली और मिजेर के सीमावर्ती इलाक़ों में सबसे ख़तरनाक संगठन है.
उन्होंने बताया कि लीबिया में वैसे तो आइसिल की मौजूदगी केवल कुछ सौ की संख्या में है, लेकिन वो कुछ जातीय गुटों के बीच अदावत को अपने फ़ायदे के लिये भुनाने की कोशिश कर रहा है, और एक ऐसा ख़तरा पेश कर रहा है जिसका व्यापक क्षेत्रीय असर हो सकता है.
ऐसा भी लगता है कि अगर लीबिया में संघर्ष इसी तरह जारी रहा तो आइसिल अपनी गतिविधियाँ और भी ज़्यादा बढ़ा सकता है
उन्होंने कहा कि योरोप में, ज़्यादा ख़तरा देशों में ही इंटरनेट के ज़रिये चरमपन्थी विचार पनपने वाले आतंकवादियों से है.
आतंकवादी पृष्ठभूमि और सम्पर्क वाले क़ैदियों को रिहा किये जाने से भी गहरी चिन्ताएँ बैठ रही हैं, उधर दक्षिणपन्थी विचारों वाले हिंसक चरमपन्थ बढ़ने का मतलब है कि कुछ योरोपीय देशों में गुप्तचर एजेंसियाँ अपनी प्राथमिकताएँ आइसिल से हटा रही हैं.
संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद निरोधक मामलों के प्रमुख व्लादिमीर वोरोन्कोव ने बताया कि एशिया की तरफ़ ध्यान करें तो, अफ़ग़ानिस्तान में इस्लामिक स्टेट इन इराक़ व लेवाण्ट-ख़ोरासान, उसके कुछ इलाक़ों का नियन्त्रण ख़त्म हो जाने और उसके कुछ नेताओं की गिरफ़्तारियों के बावजूद भीषण नुक़सान वाले हमले करने की क्षमता रखता है.
ये गुट उस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने और उन लड़ाकों को आकर्षित करने के लिये अफ़ग़ानिस्तान की ज़मीन इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है जो तालेबान और अमरीका के बीच हुए समझौते का विरोध कर रहे हैं.