अफ़ग़ानिस्तान: बढ़ते मानवीय संकट के बीच सहायता धनराशि का अभाव

संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आगाह किया है कि अफ़ग़ानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी, बढ़ती हिंसा और सूखे की समस्या जैसे कारणों से, बड़ी संख्या में आम लोग विस्थापन हो रहे हैं, जिससे एक बड़ा मानवीय संकट पैदा हो रहा है.
इस पृष्ठभूमि में, अफ़ग़ानिस्तान के लिये संयुक्त राष्ट्र के रैज़ीडेण्ट अधिकारी व मानवीय राहत समन्वयक रमीज़ अलकबरोफ़ ने गुरूवार को दानदाताओं से देश के लिये समर्थन बढ़ाने का आग्रह किया है.
Conflict Displacement COVID19 Climate change Poverty For over 40 years, Afghans have faced challenges with resilience. The intensifying conflict calls for more international support so humanitarians can #StayAndDeliver for Afghanistanhttps://t.co/VNJjlgAV5s pic.twitter.com/vOp4y8QSuR
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उन्होंने ध्यान दिलाया कि इस वर्ष एक अरब 30 करोड़ डॉलर की धनराशि की मदद किये जाने एक अपील जारी की गई थी, मगर अब तक केवल 40 फ़ीसदी से भी कम धनराशि का ही इन्तज़ाम हो पाया है.
बताया गया है कि एक करोड़ 80 लाख अफ़गान लोगों, यानि देश की लगभग आधी आबादी, को सहायता की आवश्यकता है.
एक-तिहाई लोग कुपोषण का शिकार हैं और पाँच वर्ष से कम उम्र के आधे बच्चे गम्भीर कुपोषण से पीड़ित हैं.
अब तक प्राप्त 45 करोड़ डॉलर की धनराशि में से आधी रक़म, अमेरिका से मिली है और इसे अपर्याप्त क़रार दिया गया है.
यूएन समन्वयक रमीज़ अलकबरोफ़ ने वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के ज़रिये न्यूयॉर्क में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उनकी योजना कम से कम डेढ़ करोड़ आबादी तक मदद पहुँचाने की है.
मगर फ़िलहाल अतिरिक्त योगदानों के बिना यह सम्भव नहीं है.
ये घटनाक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब अफ़ग़ानिस्तान से विदेशी सैनिक पूर्ण वापसी की तैयारी कर रहे हैं.
वहीं, पिछले तीन वर्षों में दूसरी बार देश को सूखे का सामना करना पड़ रहा है और तालेबान के हमलों की वजह से दो लाख 70 हज़ार लोगों ने ग्रामीण इलाक़े छोड़ कर शहरी केन्द्रों का रुख़ किया है.
उदाहरणस्वरूप, उत्तरी शहर कुन्दूज़ में, 35 हज़ार विस्थापितों को स्कूलों व सार्वजनिक इमारतों में शरण दी गई है और उन्हें भोजन, जल व साफ़-सफ़ाई की आवश्यकता है.
कट्टरपंथी तालेबान लड़ाकों ने, अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त अफ़ग़ान सरकार के ख़िलाफ़ लड़ाई छेड़ी हुई है और शहर के आस-पास के इलाक़ों पर क़ब्ज़ा कर लिया है.
इस बीच, ईरान व अन्य पड़ोसी देशों ने अफ़ग़ान शरणार्थियों को देश से बाहर निकालना शुरू कर दिया है.
मानवीय राहत एजेंसियों का कहना है कि ईरान व पाकिस्तान की सीमा से लगने वाले इलाक़ों में आबादी की भीषण आवाजाही हो रही है, जिन्हें अब बन्द कर दिया गया है.
सीमाएँ बन्द किये जाने से मानवीय राहत कार्यों पर फ़िलहाल तो असर नहीं हुआ है और अगस्त महीने तक के लिये राहत सामग्री मौजूद है.
यूएन अधिकारी ने पिछले कुछ दिनों में अफ़ग़ानिस्तान के पाँच क्षेत्रों का दौरा किया है.उन्होंने मौजूदा हालात, विशेष रूप से महिलाओं व लड़कियों की स्थिति पर गहरी चिन्ता जताई है.
मानवीय राहतकर्मी फ़िलहाल अफ़ग़ानिस्तान के 405 ज़िलों में से अधिकतर में सहायता के लिये सक्रिय हैं, मगर हिंसा के कारण ज़रूरतमन्दों तक पहुँचना मुश्किल हो रहा है.
इस वर्ष की शुरुआत से अब तक 25 राहतकर्मियों की मौत हो चुकी है और 63 घायल हुए हैं – वर्ष 2020 के मुक़ाबले यह संख्या 30 फ़ीसदी अधिक है.
पीड़ितों में महिला स्वास्थ्यकर्मी और बारूदी सुरंग को हटाने के काम में जुटे कर्मी शामिल हैं.
इस वर्ष, ‘हस्तक्षेप’, धमकी और रास्तों में अवरोध के अब तक एक हज़ार से अधिक मामले दर्ज किये गए हैं जोकि पिछले पूरे साल के दौारन हुई ऐसी घटनाओं की कुल संख्या के बराबर है.