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विश्व मलेरिया दिवस – घातक बीमारी से ‘मुक्त भविष्य सम्भव’

दक्षिण सूडान में यूनीसेफ़ प्रदत्त मच्छरदानी में अपने बच्चे के साथ एक महिला.
© UNICEF/Mark Naftalin
दक्षिण सूडान में यूनीसेफ़ प्रदत्त मच्छरदानी में अपने बच्चे के साथ एक महिला.

विश्व मलेरिया दिवस – घातक बीमारी से ‘मुक्त भविष्य सम्भव’

स्वास्थ्य

वैश्विक महामारी कोविड-19 और उसकी वजह से उपजे अन्य संकटों के बावजूद, ऐसे देशों की संख्या लगातर बढ़ रही है, जो मलेरिया उन्मूलन को हासिल करने के लक्ष्य के नज़दीक पहुँच रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने रविवार, 25 अप्रैल, को ‘विश्व मलेरिया दिवस’ पर यह बात कही है. 

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उन्होंने इस दिवस पर अपने सन्देश में कहा, “हम, शून्य मलेरिया (zero malaria) के महत्वाकाँक्षी लक्ष्य को हासिल कर चुके सभी देशों की सराहना करते हैं.”

“एक साथ मिलकर, वे दुनिया को दिखा रहे हैं कि एक मलेरिया-मुक्त भविष्य सम्भव है.”

“निरन्तर वित्त पोषण, निगरानी प्रणाली, और सामुदायिक सम्पर्क व सम्वाद ही सफलता की कुँजी रहे हैं.”

महासचिव ने कहा कि इसके बावजूद, यह ध्यान में रखना अहम है कि दुनिया भर में लाखों लोग अब भी इस घातक बीमारी की वजह से पीड़ा में हैं और मौत का शिकार होते हैं.   

प्रति वर्ष, मलेरिया के कारण चार लाख से ज़्यादा लोगों की मौत होती हैं, इनमें अफ़्रीका में युवा बच्चों की संख्या ज़्यादा है. 

हर साल, इस घातक बीमारी के 20 करोड़ से अधिक नए मामले दर्ज किये जाते हैं. 

महासचिव गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि ठोस राजनैतिक संकल्प, पर्याप्त निवेश और रणनीतियों के उचित मिश्रण से मलेरिया को हराया जा सकता है.

 विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, वर्ष 2000 और 2019 के बीच, मलेरिया के 100 से कम मामलों वाले देशों की संख्या छह से बढ़कर 27 हो गुई है. 

मलेरिया-मुक्त भविष्य

यूएन एजेंसी ने कहा कि यह इस बात का द्योतक है कि मलेरिया उन्मूलन पहुँच के दायरे में है. स्वास्थ्य संगठन ने उन देशों की सराहना की है जो पहले ही इस लक्ष्य को हासिल कर चुके हैं. 

“वे उन सभी देशों को प्रेरणा प्रदान करते हैं जो इस घातक बीमारी को जड़ से उखाड़ फेंकने और अपनी आबादियों के स्वास्थ्य व आजीविका को बेहतर बनाने के लिये प्रयासरत हैं.”

वर्ष 2019 में, दुनिया भर में, मलेरिया और उससे होने वाली मौतों के 94 फ़ीसदी मामले अफ़्रीका में दर्ज किये गए.

इनमें भी, आधे से अधिक मामले पाँच देशों, नाइजीरिया (27 प्रतिशत); काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य (12 प्रतिशत); युगाण्डा और निजेर (पाँच-पाँच फ़ीसदी); और मोज़ाम्बीक़ (चार प्रतिशत) में दर्ज किये गए.

इसी अवधि में, दक्षिण-पूर्व एशिया में मलेरिया के तीन प्रतिशत मामले सामने आए जबकि पूर्वी भूमध्यसागर क्षेत्र में यह आँकड़ा दो फ़ीसदी रहा. 

मलेरिया उन्मूलन का प्रमाणीकरण के ज़रिये, विश्व स्वास्थ्य संगठन, किसी देश की आधिकारिक रूप से मलेरिया-मुक्त दर्जे की पुष्टि करता है. 

यह मान्यता तब प्रदान की जाती है जब देश, तथ्यात्मक रूप से यह साबित करे, देश में पाए जाने वाले मलेरिया संचारण के मामलों की संख्या, राष्ट्रव्यापी स्तर पर पिछले कम से कम तीन वर्षों तक, शून्य रही है.