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मलेरिया के जोखिम वाले बच्चों के लिये पहली बार वैक्सीन प्रयोग की सिफ़ारिश

मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों से बचाव के लिये, मच्छरदानी लगाना, एक महत्वपूर्ण ऐहतियाती उपाय है.
© UNICEF/Frank Dejongh
मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों से बचाव के लिये, मच्छरदानी लगाना, एक महत्वपूर्ण ऐहतियाती उपाय है.

मलेरिया के जोखिम वाले बच्चों के लिये पहली बार वैक्सीन प्रयोग की सिफ़ारिश

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मलेरिया की रोकथाम वाली पहली वैक्सीन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किये जाने की सिफ़ारिश की है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने, इस वैक्सीन की ईजाद को, घातक बीमारी मलेरिया के ख़िलाफ़ दशकों से चले आ रहे संघर्ष में, एक ऐतिहासिक उपलब्धि क़रार दिया है.

मलेरिया की रोकथाम वाली ये वैक्सीन फ़िलहाल, सब सहारा अफ़्रीका और ऐसे अन्य क्षेत्रों में, विशेष रूप से बच्चों को दिये जाने पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है, जहाँ मलेरिया का सामान्य से लेकर उच्च स्तर तक संक्रमण फैलता है.

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मलेरिया से बचाने वाली इस वैक्सीन का नाम है – आरटीएस,एस (RTS,S) और ये वैक्सीन विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा घाना, केनया और मलावी में शुरू किये गए एक पायलट कार्यक्रम पर आधारित है.

इस कार्यक्रम के तहत, वर्ष 2019 से लेकर, लगभग आठ लाख बच्चों तक पहुँच बनाई गई है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस का कहना है, “लम्बे समय से प्रतीक्षित – बच्चों के लिये मलेरिया वैक्सीन, विज्ञान, बाल स्वास्थ्य और मलेरिया नियंत्रण के लिये, एक बहुत बड़ी उपलब्धि है."

"मलेरिया की रोकथाम के लिये, मौजूदा उपकरणों के साथ-साथ इस वैक्सीन का प्रयोग करने से, हर साल लाखों बच्चों की ज़िन्दगियाँ बचाई जा सकेंगी.”

मलेरिया के फैलाव में ठहराव

डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि दुनिया ने, पिछले दो दशकों के दौरान, मलेरिया का मुक़ाबला करने में, “असाधारण प्रगति” हासिल की है.

मलेरिया विषाणु, ज़्यादातर संक्रामक मच्छरों से फैलता है और मच्छर द्वारा काट लेने के बाद रक्त में प्रवाहित हो जाता है.

मलेरिया इनसान से इनसान में नहीं फैलता है और इसके लक्षणों में फ़्लू जैसी बीमारी की तरह बुख़ार होता है, जी मितलाने और उबकाई जैसी हालत महसूस होती है.

अगर मलेरिया बीमारी का सही समय पर इलाज ना किया जाए तो यह घातक साबित हो सकती है. 

मलेरिया से दुनिया भर में हर साल, चार लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हो जाती है.

वर्ष 2000 के बाद से, मलेरिया से होने वाली मौतों की संख्या में लगभग आधी कमी आई है, और ये बीमारी, दुनिया के ज़्यादातर हिस्सों से ख़त्म की जा चुकी है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख की नज़र में, हालाँकि, मलेरिया के ख़िलाफ़ लड़ाई में प्रगति, ठहर सी गई है क्योंकि अब भी हर साल 20 करोड़ से ज़्यादा मामले सामने आ रहे हैं. 

मलेरिया से जितने लोगों की मौतें होती हैं, उनमें दो तिहाई संख्या, अफ़्रीका में रहने वाले पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की है.

बचपन तबाह

बच्चों में बीमारियों का एक प्रमुख कारण मलेरिया ही बना हुआ है और सब सहारा अफ़्रीका क्षेत्र में, बच्चों की मौत का भी. 

हर साल, पाँच वर्ष से कम उम्र के, दो लाख 60 हज़ार से ज़्यादा अफ़्रीकी बच्चों की मौत, मलेरिया के कारण होती है.

अफ़्रीका के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर मत्शीडीशो मोएती का कहना है, “मलेरिया ने सदियों से, सब सहारा अफ़्रीका क्षेत्र को अपनी चपेट में लिया हुआ है और भारी तबाही मचाई है.” 

“हम लम्बे समय से एक प्रभावशाली मलेरिया वैक्सीन के लिए उम्मीद लगाए हुए थे और अब पहली बार ऐसा हुआ है कि हमारे पास एक ऐसी वैक्सीन उपलब्ध है जिसे बड़े पैमाने पर प्रयोग करने की सिफ़ारिश की गई है.”