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म्याँमार संकट ख़त्म करने में आसियान की अहम भूमिका रेखांकित

म्याँमार के यंगून शहर में, विभिन्न नस्लीय व धार्मीक पृष्ठभूमि के लोग, प्रार्थना सभा में शिरकत करते हुए.
Unsplash/Zinko Hein
म्याँमार के यंगून शहर में, विभिन्न नस्लीय व धार्मीक पृष्ठभूमि के लोग, प्रार्थना सभा में शिरकत करते हुए.

म्याँमार संकट ख़त्म करने में आसियान की अहम भूमिका रेखांकित

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने एशिया के नेतृत्वकर्ताओं से, म्याँमार में रक्तरंजित संकट का शान्तिवूर्ण समाधान तलाश करने के लिये प्रयास बढ़ाने का आहवान किया है. ध्यान रहे कि ये संकट फ़रवरी में, सेना द्वारा लोकतान्त्रिक सरकार का तख़्तापलट किये जाने के बाद पैदा हुआ है. 

महासचिव एंतोनियो गुटरेश ने, सोमवार को यूएन व क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय संगठनों के बीच सहयोग के मुद्दे पर आयोजित सुरक्षा परिषद की बैठक में, दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के गठबन्धन (आसियान) के साथ सम्बन्धों को रेखांकित किया.

उन्होंने कूटनीति, संघर्ष की रोकथाम और शान्ति निर्माण में, इस गठबन्धन की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित किया. 

गम्भीर व तत्काल संकट में अहम भूमिका

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “आज के समय आसियान की भूमिका पहले से कहीं ज़्यादा है, क्योंकि क्षेत्र, म्याँमार में, एक गम्भीर और तत्काल संकट का सामना कर रहा है.” 

“मैंने, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, म्याँमार में, सेना के दमन व हिंसा का ख़ात्मा करने में मदद करने के लिये सामूहिक रूप से काम करने और द्विपक्षीय चैनलों का सहारा लिये जाने का बार-बार आहवान किया है.”

महासचिव ने कहा कि इस सम्बन्ध में आसियान के साथ संयुक्त राष्ट्र का सहयोग अति महत्वपूर्ण है क्योंकि स्थिति का मुक़ाबला करने के लिये एक ऐसी अन्तरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की आवश्यकता है जो एक संगठित क्षेत्रीय प्रयास पर टिकी हो.

“मैं क्षेत्रीय प्रभावकारी हस्तियों से, स्थिति को और ज़्यादा ख़राब होने से रोकने, और अन्ततः इस संकट का एक शान्तिपूर्ण समाधान तलाश करने में, उनके प्रभाव का इस्तेमाल करने का आग्रह करता हूँ.”

यूएन दूत मुस्तैद हैं

एंतोनियो गुटेरेश ने राजदूतों को बताया कि म्याँमार के लिये यूएन प्रमुख की विशेष दूत क्रिस्टीन श्रेनेर बर्गेनर क्षेत्र में ही मौजूद हैं और सेना व अन्य पक्षों के साथ सम्वाद शुरू करने, और म्याँमार को लोकतन्त्र के रास्ते पर वापिस लौटाने, और शान्ति व स्थिरता में योगदान करने के लिये मुस्तैद हैं. 

विशेष दूत के ट्विटर अकाउंट के अनुसार वो, 9 अप्रैल को बैंकाक पहुँची थीं.

विशेष दूत ने, मंगलवार, 13 अप्रैल को, बर्मा के नव वर्ष थिंगयान के अवसर पर अपने सन्देश में कहा था, “थिंग्यान एक प्रसन्नता और जश्न मनाने का अवसर होना चाहिये, लेकिन दुर्भाग्य से, म्याँमार में इस समय, जश्न मनाने जैसी स्थिति बिल्कुल भी नहीं है."

"मुझे आशा है कि ये सच होगा कि पानी की बून्दें छिड़कने से पाप धुल जाते हैं. 1 फ़रवरी के बाद से इतने सारे पाप किये गए हैं. मैं, भविष्य में, तमाम लोगों की रिहाई के साथ, थिंग्यान का जश्न मनाने की उम्मीद रखती हूँ.”

बढ़ता सहयोग

सुरक्षा परिषद की यह चर्चा ऑनलाइन माध्यमों से आयोजित की गई और एक ऐसे मुद्दे पर ध्यान केन्द्रित किया गया जिसके बारे में महासचिव ने कहा कि चार वर्ष पहले यूएन प्रमुख का कार्यकाल शुरू करने से लेकर, उनके लिये ये मुद्दा एक प्रमुख प्राथमिकता पर रहा है.

उन्होंने कहा कि 1945 में संयुक्त राष्ट्र के गठन के बाद से ही, इस विश्व संगठन और क्षेत्रीय व उप-क्षेत्रीय संगठनों के बीच सहयोग बहुत व्यापक स्तर पर बढ़ा है.

इस सहयोग में रोकथाम कूटनीति, मध्यस्थता, आतंकवाद निरोधक उपाय, शान्तिरक्षा और मानवाधिकारों को बढ़ावा देना शामिल रहा है, मगर साथ ही, जलवायु परिवर्तन का मुक़ाबला और अब कोविड-19 महामारी से निपटे जाने जैसे मुद्दे भी शामिल हैं.

बहुपक्षवाद ही एक मात्र रास्ता

यूएन प्रमुख ने कहा, “ऐसे में जबकि हम सूडान में, एक लोकतान्त्रिक सरकार व समावेशी समाज की दिशा में किये जा रहे प्रयासों में देश की सहायता कर रहे हैं, हमारा सहयोग अति महत्वपूर्ण है.”

महासचिव ने कहा कि क्षेत्रीय और उप-क्षेत्रीय संगठनों के साथ संयुक्त राष्ट्र की साझेदारी को मज़बूत किया जाना, एक नैटवर्क आधारित बहुपक्षवाद की, उनकी भविष्य दृष्टि का अटूट हिस्सा है.

उन्होंने कहा कि महामारी के बावजूद, उन्होंने नवम्बर 2020 में, संकटों के दौरान गठजोड़ बढ़ाने के लिये, क्षेत्रीय संगठनों के अध्यक्षों की एक बैठक, वर्चुअल माध्यमों के ज़रिये आयोजित की थी.

महासचिव ने कहा, “मैं, संकट की रोकथाम, प्रबन्धन व समाधान में, आपसी विश्वास व सम्वाद बढ़ाने की ख़ातिर, और ज़्यादा निकट सम्पर्क व तालमेल बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध हूँ.”

“हम अपनी दुनिया की मौजूदा व भविष्य की चुनौतियों का सामना, महत्वकांक्षी और समन्वित व बहुपक्षीय कार्रवाई के ज़रिये ही कर सकते हैं, जिनमें कोविड-19 द्वारा उत्पन्न और विकट बनाई गई चुनौतियाँ भी शामिल हैं.”