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यूएन-अफ़्रीकी संघ साझेदारी, ‘बहुपक्षवाद की एक आधारशिला’

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरश, संयुक्त राष्ट्र - अफ़्रीकी संघ के सहयोग विषय पर, सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Eskinder Debebe
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरश, संयुक्त राष्ट्र - अफ़्रीकी संघ के सहयोग विषय पर, सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.

यूएन-अफ़्रीकी संघ साझेदारी, ‘बहुपक्षवाद की एक आधारशिला’

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद में कहा है कि इस विश्व संगठन और अफ़्रीकी संघ (AU) के दरम्यान सहयोग, इस समय पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूत है, अलबत्ता प्रमुख चुनौतियाँ अब भी बरक़रार हैं.

यूएन प्रमुख ने सुरक्षा परिषद में, अफ़्रीकी महाद्वीप और उससे भी पार के तमाम नेताओं से – अफ़्रीकी संघ को समर्थन देने में कोई भी क़सर बाक़ी नहीं छोड़ने का आग्रह किया है ताकि यह संगठन अपने लक्ष्य हासिल कर सके.

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एक अनोखी साझेदारी

55 सदस्यों वाले अफ़्रीकी संघ की स्थापना जुलाई 2002 में हुई थी और मंगलवार को सुरक्षा परिषद की बैठक में राजदूतों ने इस विषय पर विचार किया कि अफ़्रीकी संघ के साथ संयुक्त राष्ट्र का सहयोग किस तरह विकसित हुआ है और किन और क्षेत्रों में प्रगति की जानी है.

एंतोनियो गुटेरेश ने इस बैठक में कहा, “बीते 20 वर्षों के दौरान, संयुक्त राष्ट्र और अफ़्रीकी संघ ने एक अनोखी साझेदारी विकसित की है, जोकि परस्पर तालमेल, सम्मान और अफ़्रीकी स्वामित्व के सिद्धान्तों पर टिकी है – यह एक ऐसी साझेदारी है जो बहुपक्षवाद का एक आधारशिला बन चुकी है.”

आतंकवादी और प्रशासनिक जोखिम

यूएन प्रमुख ने अफ़्रीका में जारी चुनौतियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि “अक्सर बल प्रयोग को, मतभेदों को सुलझाने का एक मात्र तरीक़ा समझा जाता है.”

उन्होंने कहा कि अफ़्रीका महाद्वीप ने सरकार में असंवैधानिक बदलावों का बढ़ता चलन भी देखा है, साथ ही अतिवादी गुटों – दाएश और अलक़ायदा के सहयोगी समूह, सहेल क्षेत्र में घातक हमले कर रहे हैं और अपनी पहुँच बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.

उससे भी ज़्यादा, लम्बे चल रहे युद्ध व लड़ाई-झगड़े और विकट मानवीय परिस्थितियाँ हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका, इथियोपिया, और काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य के पूर्वी हिस्से, माली, सूडान और लीबिया को प्रभावित करना जारी रखे हुए हैं.

संघर्षों को शुरू में भाँपें

यूएन महासचिव ने कहा, “महिलाओं के विरुद्ध हिंसा, विशेष रूप से महिला मानवाधिकार पैरोकारों के ख़िलाफ़, बढ़ोत्तरी पर है. हम दुष्प्रचार और हेट स्पीच में बढ़ोत्तरी देख रहे हैं, जिसे आमतौर पर युद्ध के एक हथियार के रूप में प्रयोग किया जाता है.”

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि स्थिति स्पष्ट है. अफ़्रीकी देशों को, संघर्षों को बहुत शुरुआती स्तर पर ही भाँपने और उन्हें हिंसा में तब्दील होने से रोकने की क्षमता विकसित करनी होगी.

उन्होंने कहा, “प्रशासन में भी मौजूद खाइयों का हल निकालना भी उतना ही अनिवार्य है, जिनमें मानवाधिकारों और स्वतंत्रताओं पर लगी पाबन्दियाँ भी शामिल हैं. इन पाबन्दियों से स्थिरता और टिकाऊ विकास कमज़ोर पड़ते हैं.”

जलवायु पर कार्रवाई

यूएन प्रमुख ने जलवायु आपदा का मुक़ाबला करने की ज़रूरत को भी रेखांकित किया, जो सूखा, समुद्री तूफ़ान और त्वरित बाढ़ों जैसी आपदाएँ उत्पन्न कर रही हैं.

उन्होंने कहा कि बहुत से अफ़्रीकी लोगों के लिये, जलवायु परिवर्तन, कोई दूर का ख़तरा नहीं, बल्कि दैनिक वास्तविकता है, जबकि वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों में इस महाद्वीप के देशों का योगदान ना के बराबर है.

यूएन प्रमुख ने कहा, “यह नैतिक और आर्थिक अन्याय का एक सुस्पष्ट उदाहरण है.”

एंतोनियो गुटेरेश ने उन अफ़्रीकी देशों, क्षेत्रों और स्थानीय प्रशासनिक इकाइयों की भूरि-भूरि प्रशंसा की जो, गम्भीर चुनौतियों के बावजूद, साहसिक जलवायु कार्रवाई कर रहे हैं.

धनी देशों से अपील

अफ़्रीकी संघ आयोग के चेयरपर्सन मूसा फ़की महमत (स्क्रीन पर), सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Rick Bajornas

यूएन प्रमुख ने आगामी यूएन जलवायु सम्मेलन कॉप27 शुरू होने में कुछ ही सप्ताह का समय रहने के सन्दर्भ में, धनी देशों से आग्रह किया कि वो विकासशील देशों को, जलवायु अनुकूलून में समर्थन मुहैया कराने के तहत, 100 अरब डॉलर की राशि हर साल देने के अपने संकल्प पर अमल करें.

उन्होंने कहा, “कॉप27 को हानि व नुक़सान पर भी ठोस कार्रवाई में योगदान करना होगा. ये विकासशील देशों और विकसित देशों के बीच केवल विश्वास का मामला भर नहीं है. बहुत से देशों के लिये, विशेष रूप से अफ़्रीका में, ये अस्तित्व का सवाल है.”

इस बीच कोविड-19 महामारी और यूक्रेन में युद्ध ने, दुनिया भर में रहन-सहन की लागत में असाधारण रूप से उछाल ला दिया है, जिसके ख़तरनाक सामाजिक और आर्थिक प्रभाव हो रहे हैं.

दुनिया में सबसे ज़्यादा निर्बल हालात वाले लोग, सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं. यूएन प्रमुख ने इन हालात को अस्वीकार्य क़रार दिया और विकास सहायता में व्यापक जान फूँकने की अपनी हाल की अपील भी दोहराई.