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कोविड-19: यात्रा पाबन्दियों के कारण लाखों प्रवासियों का जीवन अधर में  

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 30 हज़ार से ज़्यादा प्रवासी पश्चिम अफ़्रीका की सीमावर्ती इलाक़ों में फँसे हुए हैं.
IOM/Monica Chiriac
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 30 हज़ार से ज़्यादा प्रवासी पश्चिम अफ़्रीका की सीमावर्ती इलाक़ों में फँसे हुए हैं.

कोविड-19: यात्रा पाबन्दियों के कारण लाखों प्रवासियों का जीवन अधर में  

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र की प्रवासन एजेंसी (IOM) ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के कारण लागू की गई यात्रा पाबन्दियों व तालाबन्दियों का शरणार्थियों व प्रवासियों की ज़िन्दगियों पर भारी असर हुआ है. यूएन एजेंसी के अनुसार प्रवासियों को अक्सर मजबूरी में यात्राएँ करने के लिये मजबूर होना पड़ता है, मगर मौजूदा संकट के दौरान लाखों लोग अपने घर से दूर कठिन हालात में फँसे हुए हैं. 

अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन का कहना है कि महामारी के पहले वर्ष में, दुनिया भर में, यात्रा पाबन्दियों व सीमाओं को बन्द किये जाने के एक लाख 11 हज़ार से ज़्यादा मामले दर्ज किये गए - सबसे अधिक दिसम्बर 2020 में.

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इन पाबन्दियों की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की प्रवासन क्षमता पर असर पड़ा है.

मौजूदा हालात में उनके लिये हिंसा व संघर्ष, आर्थिक बदहाली, पर्यावरणीय त्रासदी और अन्य संकटों को पीछे छोड़ कर कहीं और शरण ले पाना मुश्किल हो गया है. 

पिछले वर्ष, मध्य जुलाई में 30 लाख से ज़्यादा लोग फँसे हुए थे, और अनेक मामलों में उनके पास ना तो काँसुलर सहायता तक पहुँच थी, और ना ही अपनी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के साधन. 

यूएन एजेंसी के मुताबिक, पनामा में हज़ारों लोग अमेरिका तक पहुँचने के प्रयास में जंगलों में फँस गए और उनका दुनिया से सम्पर्क कट गया. 

लेबनान में अगस्त 2020 मे हुए भीषण बम धमाके और कोविड-19 मामलों में उछाल के कारण प्रवासी कामगारों पर भारी असर हुआ. 

सीमाओं के बन्द होने के कारण विस्थापितों के लिये सुरक्षित शरण की तलाश कर पाना भी मुश्किल हुआ है. 

हालांकि व्यवसाय सम्बन्धी कारणों से यात्रा करने वाले यात्रियों के लिये आवाजाही अपेक्षाकृत आसान है. 

इसके लिये ‘ग्रीन लेन’ जैसी व्यवस्थाओं पर सहमति बनी है, जिसका एक उदाहरण सिन्गापुर और मलेशिया के बीच यात्रा है.  

इसके विपरीत, ज़रूरतों की वजह से यात्रा करने वाले प्रवासी कामगारों और शरणार्थियों को अपने ख़र्चे पर क्वारन्टीन की अवधि पूरा करने जैसी महंगी व्यवस्थाओं का सामना करना पड़ा.  

अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन के मुताबिक 2020 के पहले छह महीनों में, पिछले वर्ष की उसी अवधि की तुलना में, शरण लेने के आवेदनों में एक-तिहाई की कमी आई है. 

विषमतापूर्ण पाबन्दियाँ

कोविड-19 संकट के जारी रहने के बीच यात्राएँ कर पाने में सक्षम लोगों और मुश्किल में फँसे प्रवासियों के बीच अन्तर गहरा होता जा रहा है. 

संगठन के अनुसार आने वाले दिनों में, अवसर और संसाधन-युक्त लोगों के पास आज़ादी से यात्रा कर पाना सम्भव होगा, मगर दूसरी ओर वे लोग होंगे जिनके लिये कोविड-19 या पहले से क़ायम पाबन्दियों की वजह से यात्रा बेहद कठिन हो जाएगी.

संगठन ने आशंका जताई है कि अगर यात्रा की अनुमति, महज़ टीके लगवाने वाले या नेगेटिव कोविड टैस्ट के साथ यात्रा करने वाले लोगों को दी गई, तो यह विषमता और गहरी हो जाएगी. 

सीमा पर तालाबन्दियों के कारण उन लोगों के लिये भी विकल्प कम हो गए हैं जोकि बांग्लादेश और ग्रीस में कोरोनावायरस संक्रमण की ऊँची दर के बीच भीड़भाड़ भरे शिविरों में रहने के लिये मजबूर हैं. 

वहीं कोलम्बिया, पेरू, चिली इक्वाडोर और ब्राज़ील में बड़ी संख्या में शरण लेने वाले वेनेज़्वेला के विस्थापितों की आजीविका के साधन ख़त्म हो गए हैं.

इनमें से कुछ लोग घर लौटना चाहते हैं जिसके लिये वे तस्करों की मदद भी ले रहे हैं.