म्याँमार: सुरक्षा बलों ने अनेक शैक्षिक परिसरों पर किया क़ब्ज़ा

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने शुक्रवार को कहा है कि ख़बरों के अनुसार, म्याँमार में सुरक्षा बलों ने, देश भर में, 60 स्कूलों व विश्वविद्यालय परिसरों पर क़ब्ज़ा कर लिया है, जिससे संकट और भी ज़्यादा गहरा गया है.
यूनीसेफ़, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन -यूनेस्को और ग़ैर सरकारी संगठन – सेव द चिल्ड्रन ने एक संयुक्त वक्तव्य में कहा है कि कम से कम एक घटना ऐसी हुई है जिसमें सुरक्षा बलों ने कथित रूप से, शैक्षिक संस्थानों के परिसर में दाख़िल होते हुए, अध्यापकों और शिक्षकों को पीटा है, जिसमें अनेक लोग घायल हुए हैं.
The occupation of schools & universities in Myanmar is a serious violation of children’s rights.Save the Children, UNESCO and UNICEF call on security forces to vacate these occupied premises immediately. https://t.co/41waMTeVUx
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यूएन एजेंसियों ने ज़ोर देकर कहा है कि इन घटनाओं से, मौजूदा संकट में और तीव्रता झलकती है और ये घटनाएँ, बच्चों के अधिकारों का गम्भीर उल्लंघन दिखाती हैं.
“स्कूल, किन्हीं भी परिस्थितियों में, सुरक्षा बलों द्वारा इस्तेमाल नहीं किये जा सकते.”
एजेंसियों ने आगाह करते हुए कहा है कि स्कूलों पर सुरक्षा बलों द्वारा क़ब्ज़ा किये जाने से, देश में, लगभग एक करोड़ 20 लाख बच्चों व युवाओं के लिये, शिक्षा प्राप्ति का संकट और भी गम्भीर हो जाएगा.
ध्यान रहे कि कोविड-19 महामारी के कारण, देश भर में भारी दबाव और स्कूलों के लगातार बन्द रहने के कारण, स्कूली शिक्षा पहले से ही गम्भीर रूप से प्रभावित थी.
यूएन एजेंसियों ने म्याँमार के सुरक्षा बलों से, क़ब्ज़ा किये हुए तमाम शिक्षा परिसरों को तुरन्त ख़ाली करने का आग्रह किया है.
साथ ही ये भी सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि ये शिक्षा परिसर फिर कभी सेना या सुरक्षा कर्मियों द्वारा इस्तेमाल ना किये जाएँ.
यूनीसेफ़, यूनेस्को और सेव द चिल्ड्रन संगठनों ने, सुरक्षा बलों को, देश में बच्चों व युवाओं के अधिकारों की हिफ़ाज़त करने की ज़िम्मेदारी भी याद दिलाई है जिनमें शिक्षा का अधिकार भी शामिल है. और ऐसा ही प्रावधान बाल अधिकारों पर कन्वेन्शन, म्याँमार बाल अधिकार क़ानून और राष्ट्रीय शिक्षा क़ानून में भी है.
यूएन एजेंसियों ने कहा है, “हम उनसे अधिकतम संयम बरतने और शैक्षिक संस्थानों, छात्रों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों में किसी भी तरह का क़ब्ज़ा ख़त्म करने या हस्तक्षेप बन्द करने का आग्रह करते हैं.”
ग़ौरतलब है कि एक फ़रवरी को सेना द्वारा तख़्तापलट करके सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लेने के बाद, देश भर में, विरोध प्रदर्शन लगातार बढ़े हैं.
उस तख़्तापलट के दौरान, सेना ने अनेक राजनैतिक हस्तियों को गिरफ़्तार भी किया था जिनमें स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची और राष्ट्रपति विन म्यिन्त भी शामिल हैं.
शान्तिपूर्ण प्रदर्शनों पर बल प्रयोग व दमन लगातार भीषण होता गया है, और गत शुक्रवार से, लगभग 121 लोगों की मौत हुई है, सैकड़ों अन्य घायल भी हुए हैं.
फ़रवरी में तख़्तापलट के बाद से, दो हज़ार 400 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया है, जिनमें सैकड़ों बच्चे भी हैं.
सैनिक नेतृत्व – तत्मादाव की वफ़ादार सेनाओं द्वारा संचालित हिंसा का असर, उन राहत कार्यक्रमों पर भी पड़ा है जिनके ज़रिये लगभग 10 लोगों की मदद की जा रही है.
वर्ष 2021 के शुरू में, इन लोगों को ज़रूरतमन्दों के रूप में, चिन्हित किया गया था.
देश में मौजूद मानवीय सहायता एजेंसियों के अनुसार, सेना द्वारा सत्ता पर क़ब्ज़ा किये जाने के बाद, सहायता कार्यों में व्यवधान उत्पन्न हुआ है,
और अति आवश्यक कार्यक्रम फिर शुरू करने के प्रयासों में, संचार, परिवहन और आपूर्ति श्रंखला में कठिनाई के कारण बाधाएँ आई हैं. साथ ही सहायता अभियानों के लिये नक़दी की भी कमी हुई है.
इसके अतिरिक्त, हाल के समय में, देश के उत्तरी प्रान्त काचीन में, सुरक्षा बलों और एक सशस्त्र गुट के बीच झड़पों के कारण, 50 से ज़्यादा लोगों को विस्थापित होना पड़ा है जिसके बाद, कमज़ोर हालात वाले समुदायों के लिये चिन्ताएँ फैल गई हैं.
गोलाबारी की एक अन्य घटना में, चार लोग घायल भी हुए हैं, जिनमें दो बच्चे हैं.