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जलवायु रिपोर्ट, पृथ्वी ग्रह के लिये एक 'रैड ऐलर्ट', यूएन प्रमुख की चेतावनी

ज़िम्बाब्वे में सूखा की स्थिति ने ऐसा भीषण भुखमरी संकट उत्पन्न कर दिया है जो एक दशक में सबसे ज़्यादा गम्भीर है.
WFP/Matteo Cosorich
ज़िम्बाब्वे में सूखा की स्थिति ने ऐसा भीषण भुखमरी संकट उत्पन्न कर दिया है जो एक दशक में सबसे ज़्यादा गम्भीर है.

जलवायु रिपोर्ट, पृथ्वी ग्रह के लिये एक 'रैड ऐलर्ट', यूएन प्रमुख की चेतावनी

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र की एक ताज़ा जलवायु कार्रवाई रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक तापमान वृद्धि का मुकाबला करने के प्रयासों में जितनी कार्रवाई करने की ज़रूरत है, दुनिया भर के देश उसके निकट कहीं भी नज़र नहीं आ रहे हैं. 

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के फ़्रेमवर्क कन्वेन्शन (UNFCCC) की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में देशों से, पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों तक पहुँचने के लिये और ज़्यादा मज़बूत और महत्वाकाँक्षी योजनाएँ बनाने का आग्रह किया गय है.

ध्यान रहे कि पेरिस समझौते में, इस शताब्दी के अन्त तक, पृथ्वी पर तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये प्रयास करने का आहवान किया गया है. 

फ़्रेमवर्क कन्वेन्शन की इस रिपोर्ट में, देशों की राष्ट्रीय कार्रवाई योजनाओं पर हुई प्रगति का जायज़ा लिया गया है, जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किये गए योगदान (NDCs) कहा जाता.

ये आकलन, नवम्बर 2021 में ब्रिटेन के ग्लासगो शहर में होने वाले जलवायु सम्मेलन कॉप26 के मद्देनज़र तैयार किया गया है.

रिपोर्ट में पाया गया है कि कुछ देशों के बढ़े हुए प्रयासों के बावजूद, सामूहिक प्रयास, ज़रूरत से बहुत कम हैं.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने रिपोर्ट के निष्कर्षों के बारे में कहा है, “फ़्रेमवर्क कन्वेन्शन की ये अन्तरिम रिपोर्ट, हमारे ग्रह के लिये एक रैड ऐलर्ट है."

"इसमें दिखाया गया है कि पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्य हासिल करने और तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये जिस महत्वाकाँक्षी स्तर की ज़रूरत है, देश उसके निकट कहीं भी नज़र नहीं आ रहे हैं.”

2021, बनाने ये बिगाड़ने का वर्ष

यूएन महासचिव ने कहा कि वैश्विक जलवायु आपदा का सामना करने के सन्दर्भ में, वर्ष 2021 बनाने या बिगाड़ने का साल है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित किये जाने के बारे में विज्ञान का सन्देश बिल्कुल स्पष्ट है, हमें वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में, वर्ष 2010 के स्तर की तुलना में, वर्ष 2030 तक, 45 प्रतिशत की कमी करनी होगी.”

महासचिव ने अत्यधिक कार्बन उत्सर्जक के लिये ज़िम्मेदार देशों का आहवान किया है कि वो कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिये और ज़्यादा महत्वाकाँक्षी लक्ष्यों पर काम करें.

उन्होंने ये भी ध्यान दिलाया कि कोविड-19 महामारी से उबरने के प्रयासों ने “ज़्यादा हरित और स्वच्छ पुनर्बहाली” के लिये एक अवसर मुहैया कराया है.

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “निर्णय निर्माताओं को, कथनी और करनी में अन्तर को ख़त्म करना होगा. एक ऐसा बदलाव दशक शुरू करने के लिये, दीर्घकालीन संकल्पों पर, कार्रवाई भी करके दिखानी होगी, जिसकी लोगों व पृथ्वी ग्रह को, सख़्त ज़रूरत है.”

रिपोर्ट अभी ‘पूरी तस्वीर नहीं’

फ़्रेमवर्क कन्वेन्शन की रिपोर्ट में, देशों के कार्बन उत्सर्जन के स्तर की 31 दिसम्बर 2020 तक की तस्वीर पेश की गई है. इसमें बताया गया है कि फ़्रेमवर्क कन्वेन्शन के 75 पक्षों ने नए या संशोधित एनडीसी प्रेषित किये, जो वैश्विक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के लगभग 30 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं.

फ़्रेमवर्क कन्वेन्शन की कार्यकारी सचिव पैट्रीशिया एस्पिनोसा ने कहा कि रिपोर्ट देशों के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित किये गए योगदान यानि एनडीसी की “केवल एक झलक भर है, नाकि पूरी तस्वीर”, क्योंकि कोविड-19 के कारण, बहुत से देशों को, वर्ष 2020 में अपनी प्रविष्टियाँ सम्मिलित करने में व्यापक व्यवधानों का सामना करना पड़ा.

उन्होंने कहा कि दूसरी रिपोर्ट, नवम्बर 2021 में ग्लासगो में होने वाले कॉप26 से पहले जारी की जाएगी.

साथ ही, उन्होंने, उन तमाम देशों, विशेष रूप में अत्यधिक कार्बन उत्सर्जक देशों, अपनी योजनाएँ यथाशीघ्र सम्मिलित करने का आहवान किया जिन्होंने अभी तक ऐसा नहीं किया है, ताकि उनकी जानकारियाँ दूसरी रिपोर्ट में शामिल की जा सकें.

पैट्रीशिया एस्पिनोसा ने कहा, “हम उन पक्षों की सराहना करते हैं जिन्होंने वर्ष 2020 में, कोविड-19 द्वारा पेश चुनौतियाँ का हिम्मत के साथ सामना किया और पेरिस समझौते के अन्तर्गत अपने संकल्पों पर डटे रहते हुए, अपने एनडीसी, निर्धारित समय सीमा के भीतर दाख़िल कर दिये... लेकिन अब तमाम बाक़ी बचे पक्षों के लिये भी ये बहुत अहम है कि वो अपने एनडीसी, जल्द से जल्द दाख़िल कर दें.”

उन्होंने कहा, “अगर ऐसा करना पहले तात्कालिक था, तो अब बहुत अहम बन चुका है.”