एक यूएन सम्मेलन में, ऐतिहासिक नैट-शून्य अन्तरराष्ट्रीय उड़ान लक्ष्य पर सहमति

अन्तरराष्ट्रीय नागरिक विमानन संगठन (ICAO) के सदस्य देशों ने, इस एजेंसी की 41वीं ऐसेम्बली में दो सप्ताह तक चली सघन राजनय के बाद, वर्ष 2050 तक नैट-शून्य उत्सर्जन का दीर्घकालीन लक्ष्य पारित किया है.
अन्तरराष्ट्रीय नागरिक विमानन संगठन परिषद के अध्यक्ष सलवातोर शियाशीतानो ने कहा कि कम कार्बन उत्सर्जन वाले वायु परिवहन से, हरित नवाचार और क्रियान्वयन गति को बढ़ावा मिलेगा.
इन उपायों को आगामी दशकों के दौरान तेज़ करना होगा ताकि कार्बन मुक्त ईंधन से चलने वाली उड़ानों का लक्ष्य हासिल किया जा सके.
इस उद्योग क्षेत्र के समूहों से पहले ही इस तरह के संकल्प प्राप्त हो चुके हैं.
ये लक्ष्य हासिल करने के लिये, कार्बन डॉइ ऑक्साइड के उत्सर्जन में कटौती करने के विभिन्न उपाय करने होंगे, जिनमें नवीन और नवाचारी विमान प्रौद्योगिकियों को अपनाना, ज़्यादा सुचारू व समन्वित उड़ान अभियान व टिकाऊ विमानन ईंधनों का ज़्यादा उत्पादन व प्रयोग किया जाना शामिल हैं.
ऐसेम्बली में प्रतिनिधित्व करने वाले देशों ने, इन उपायों के लिये टिकाऊ वित्त और संसाधन निवेश सहायता को रेखांकित किया.
साथ ही, नागरिक विमानन और वैकल्पिक ईंधन पर संगठन का तीसरा सम्मेलन 2023 में आयोजित किये जाने के भी आहवान किये गए.
वैसे तो, युक्त राष्ट्र समर्थित पेरिस जलवायु समझौते में, देशों के भीतर वायु अभियानों से उत्पन्न होने वाले कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जनों को, तमम देशों ने प्रमुख रूप से अपने संकल्पों में शामिल किया है.
मगर अन्तरराष्ट्रीय उड़ानों के परिणामस्वरूप होने वाले कार्बन उत्सर्जनों पर, सामूहिक रूप से शिकागो कन्वेन्शन के तहत ध्यान दिया जाता है, जिसने 1947 में और उसके बाद हुए समझौतों के तहत, वायु स्थान के नियम स्थापित किये थे.
आईसीएओ ने 1944 से ही, देशों को, अपने आकाशीय क्षेत्र का साझा प्रयोग, अपने परस्पर लाभों के लिये करने में मदद की है.
इस एजेंसी ने अपनी स्थापना के समय से ही, वैश्विक वायु सचलता का एक भरोसेमन्द नैटवर्क बनाए जाने का समर्थन किया है जो दुनिया भर में परिवारों, संस्कृतियों और कारोबारों को आपस में जोड़े.
साथ ही जहाँ भी कोई विमान उड़ान भरे वहाँ टिकाऊ प्रगति व सामाजिक-आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा दे.
आईसीएओ ऐसेम्बली के कार्यक्रमों में, निर्णय-निर्माता सदस्य देश होते हैं, मगर बहुपक्षीय वार्ताएँ और 2050 के नैट-शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य जैसे परिणाम, उद्योग क्षेत्र व सिविल सोसायटी संगठनों के योगदान से सूचित होते हैं, जो आधिकारिक पर्यवेक्षक के रूप में शिरकत करते हैं.