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कार्बन

वायु मशीनों के ज़रिए उत्पादित बिजली से, कोयला जैसे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होती है.
© Unsplash/Fabian Wiktor

IPCC: तत्काल जलवायु कार्रवाई हो, तभी सब के लिए रहने योग्य भविष्य सम्भव

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अन्तर-सरकारी पैनल (IPCC) की एक प्रमुख रिपोर्ट में, ऐसे अनेक विकल्प गिनाए गए हैं जो इस समय, ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने और मानव-निर्मित जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन के लिए, अपनाए जा सकते हैं.

हरित क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ बहुत प्रभावी प्रकृति आधारित समाधान हैं.
© Unsplash/Benjamin L. Jones

पहले ‘विश्व समुद्री घास दिवस’ पर संरक्षण उपायों पर ज़ोर

संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार मनाए जा रहे ‘विश्व समुद्री घास दिवस’ के अवसर पर ध्यान दिलाया है कि पृथ्वी पर विस्तृत दायरे में फैले और इन बेहद अहम समुद्री पारिस्थितिकी तंत्रों की रक्षा के लिए, और अधिक क़दम उठाए जाने की आवश्यकता है.

ब्रिटिश एयरवेज़ का विमान 747 एक अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उड़ान भरने की तैयारी करते हुए.
Unsplash/Patrick Campanale

एक यूएन सम्मेलन में, ऐतिहासिक नैट-शून्य अन्तरराष्ट्रीय उड़ान लक्ष्य पर सहमति

अन्तरराष्ट्रीय नागरिक विमानन संगठन (ICAO) के सदस्य देशों ने, इस एजेंसी की 41वीं ऐसेम्बली में दो सप्ताह तक चली सघन राजनय के बाद, वर्ष 2050 तक नैट-शून्य उत्सर्जन का दीर्घकालीन लक्ष्य पारित किया है.

भारत के पंजाब राज्य में एक किसान फ़सल के अवशेष जलाने की तैयारी कर रहा है.
© CIAT/Neil Palmer

ज़हरीली लपटों से वातावरण पर दुष्प्रभाव - फ़सल अवशेष जलाने की महंगी क़ीमत 

पतझड़ का मौसम आने वाला है, और अनेक देशों में फ़सल की कटाई के बाद पराली (फ़सल अवशेष) जलाने का समय भी नज़दीक आ रहा है. किसानों द्वारा नई फ़सल की तैयारी के लिये अपनाए जाने वाले इन तरीक़ों से वायु प्रदूषण की समस्या और भी ज़्यादा गम्भीर रूप धारण कर लेती है.

बिजली संयंत्रों से होने वाला वायु प्रदूषण वैश्विक तापमान में वृद्धि करता है.
Unsplash/Maxim Tolchinskiy

योरोपीय संघ की नई जलवायु पहल की प्रभाव कुशलता सीमित - अंकटाड

संयुक्त राष्ट्र की व्यापार और विकास एजेंसी (UNCTAD) ने आगाह करते हुए कहा है कि योरोपीय संघ द्वारा बुधवार को जारी एक जलवायु पहल कार्यक्रम, अलबत्ता, वैश्विक व्यापार रुख़ को उन देशों के हित में मोड़ सकता है जहाँ उत्पादन ज़्यादा कार्बन कुशल है, मगर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में इसकी अहमियत सीमित ही नज़र आती है.

ज़िम्बाब्वे में सूखा की स्थिति ने ऐसा भीषण भुखमरी संकट उत्पन्न कर दिया है जो एक दशक में सबसे ज़्यादा गम्भीर है.
WFP/Matteo Cosorich

जलवायु रिपोर्ट, पृथ्वी ग्रह के लिये एक 'रैड ऐलर्ट', यूएन प्रमुख की चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र की एक ताज़ा जलवायु कार्रवाई रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक तापमान वृद्धि का मुकाबला करने के प्रयासों में जितनी कार्रवाई करने की ज़रूरत है, दुनिया भर के देश उसके निकट कहीं भी नज़र नहीं आ रहे हैं. 

जलवायु परिवर्तन के कारण, जो प्रभाव नज़र आ रहे हैं, उनमें दक्षिण प्रशान्त का तुवाली द्वीप, समुद्रों में बढ़ते जलस्तर के जोखिम से प्रभावित होने वाले स्थानों में शामिल है.
UNDP/Silke von Brockhausen

जलवायु परिवर्तन: यूएन प्रमुख की चेतावनी, संकल्प पूर्ति में, 2021 बहुत अहम वर्ष

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि विश्व, जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते की शर्तों के अनुसार, वैश्विक तापमान वृद्धि में कमी लाने के सहमत लक्ष्य हासिल करने के रास्ते पर अभी बहुत पीछे है. महासचिव ने,  ये चेतावनी भरी बात, जलवायु संकट से बचने में, ज़्यादा महत्वाकाँक्षी प्रतिबद्धताएँ हासिल करने की अपनी कोशिशों के तहत, सोमवार को कही. 

स्पेन की राजधानी मैड्रिड में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन कॉप25 शुरू होने से एक दिन पहले पत्रकारों को संबोधित करते हुए एंतोनियो गुटेरेश. (1 दिसंबर 2019)
UNFCC flickr

जलवायु संकट: "गर्त में खड़े रहकर खुदाई रोकनी होगी, नहीं तो..."

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा है कि विश्व स्तर पर मौजूद जलवायु संकट का मुक़ाबला करने के लिए दुनिया को ज़्यादा जवाबदेही, ज़िम्मेदारी और प्रभावशाली नेतृत्व की ज़रूरत है. इसके लिए उन्होंने सोमवार को मैड्रिड में शुरू हो रहे जलवायु सम्मेलन कॉप-25 में तमाम देशों से और ज़्यादा महत्वाकांक्षाएँ व संकल्पों का भी आहवान किया है.

कनाडा के टोरंटो में एक फ़ैक्टरी परिसर में चिमनियों से निकलता धुआँ. (फ़ाइल)
UN Photo/Kibae Park

तापमान 3 डिग्री के उछाल की राह पर, जलवायु लक्ष्य हासिल हुए तब भी

वर्ष 2015 में हुए पेरिस जलवायु समझौते के तहत निर्धारित लक्ष्यों और संकल्पों को हासिल भी कर लिया जाए तो भी दुनिया तापमान में 3.2 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी की राह पर आगे बढ़ रही है.  जिसका मतलब होगा कि दुनिया में जलवायु परिवर्तन के और भी ज़्यादा व्यापक व विनाशकारी प्रभाव होंगे, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने ये चेतावनी वार्षिक कार्बन अंतर रिपोर्ट में मंगलवार को जारी की है.