म्यूनिख सम्मेलन: महासचिव ने कहा - 2021, प्रगति के मार्ग पर लौटने का साल
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने आगाह किया है कि विश्व के समक्ष जलवायु, स्वास्थ्य, आर्थिक विषमता सहित अन्य चुनौतियाँ पहले से ज़्यादा जटिल और विकराल होती जा रही हैं, जिनका सामना, एकजुटता और अन्तरराष्ट्रीय सहयोग के ज़रिये ही किया जा सकता है. यूएन प्रमुख ने शुक्रवार को ‘म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन’ को, सम्बोधित करते हुए, चार अहम क्षेत्रों में कार्रवाई का ख़ाका पेश करते हुए कहा कि वर्ष 2021 में दुनिया को फिर से टिकाऊ विकास के मार्ग पर वापिस आना होगा.
यूएन प्रमुख ने ‘म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन’ के दौरान ‘वैश्विक कार्रवाई के लिये प्राथमिकताएँ’’ शीर्षक वाले सत्र को वर्चुअल रूप से सम्बोधित किया.
उन्होंने कहा कि वैश्विक परीक्षाएँ और चुनौतियाँ विशाल व ज़्यादा जटिल होती जा रही हैं, “लेकिन हमारी जवाबी कार्रवाई टुकड़ों में बँटी और अपर्याप्त है.”
महासचिव ने बताया कि कोविड-19 ने समाज की गहरी विषमताओं को उजागर किया है, जलवायु संकट मँडरा रहा है, भ्रष्टाचार से भरोसा दरक रहा है, महिलाधिकारों का विरोध हो रहा है, साइबर जगत में मौजूदा रुझान चिन्ताजनक हैं, और टिकाऊ विकास एजेण्डा की दिशा में प्रयासों को झटका लगा है.
Our global tests keep getting bigger and more complex, but our responses remain fragmented and insufficient.Pandemic recovery is our chance to get back on track.Now is the time for solidarity, determination & international cooperation. https://t.co/nFktU8hm37
antonioguterres
यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि वर्ष 2021 को प्रगति के मार्ग पर वापिस लौटने का साल बनाना होगा.
उन्होंने इस क्रम में चार अनिवार्य कार्रवाईयों पर ध्यान केन्द्रित किये जाने की पुकार लगाई है:
वैश्विक टीकाकरण योजना
वैक्सीनें हर एक के लिये, हर स्थान पर उपलब्ध कराई जानी होंगी. वैक्सीन का न्यायोचित वितरण ज़िन्दगियों को बचाने और अर्थव्यवस्थाओं की रक्षा करने में बेहद अहम है.
यूएन प्रमुख ने देशों के वैक्सीन की अतिरिक्त ख़ुराकें अन्य देखों के साथ साझा करने, और कोवैक्स पहल के लिये योगदान देने का आग्रह किया है.
साथ ही, मौजूदा उत्पादन क्षमता को कम से कम दोगुना बढ़ाए जाने की बात कही गई है, और इसके लिये लाइसेंस को साझा करना व प्रौद्योगिकी हस्तान्तरण अहम होगा.
उन्होंने भरोसा जताया कि जी-20 समूह इस सम्बन्ध में एक आपात टास्क फोर्स गठित करने में अहम भूमिका निभा सकता है ताकि वैश्विक टीकाकरण योजना को तैयार करने, उसे लागू करने और उसके लिये वित्तीय प्रबन्ध करना सम्भव हो सके.
महासचिव गुटेरेश ने भरोसा दिलाया है कि इस दिशा में संयुक्त राष्ट्र प्रणाली पूर्ण रूप से संगठित प्रयासों के लिये तत्पर है.
2050 तक कार्बन तटस्थता
महासचिव ने ध्यान दिलाते हुए कहा है कि 65 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जनों के लिये ज़िम्मेदार और 70 प्रतिशत से अधिक वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने वाले देशों ने, वर्ष 2050 तक कार्बन तटस्थता (नैट कार्बन उत्सर्जन शून्य) करने का संकल्प ले लिया है.
उन्होंने कहा कि अब इस गठबन्धन को ग्लासगो में नवम्बर 2021 में होने वाले जलवायु परिवर्तन सम्मेलन तक, 90 प्रतिशत किया जाना चाहिये. इसके लिये निम्न तीन उपाय अहम हैं:
- कार्बन की क़ीमत तय किया जाना
- कोयले और अन्य जीवाश्म ईंधनों को मिलने वाली सब्सिडी पर रोक, इसके बजाय नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश
- भू-राजनैतिक तनावों में कमी, और शान्ति के लिये कूटनीति प्रयासों को बढ़ावा
उन्होंने आगाह किया कि दुनिया की बड़ी शक्तियों में टकराव के बीच, बड़ी समस्याओं को हल नहीं किया जा सकता.
वैश्विक शान्ति की तलाश
यूएन प्रमुख ने चेतावनी भरे अन्दाज़ में कहा कि प्रौद्योगिकी और आर्थिक क्षेत्र में अन्तर से भू-रणनीतिक और सैन्य दरारों के पनपने का जोखिम है, जिन्हें हर हाल में रोका जाना होगा.
उन्होंने, इस क्रम में वैश्विक युद्धविराम के लिये अपनी अपील फिर दोहराते हुए कहा कि इसे पारम्परिक रणक्षेत्रों से आगे बढ़ाते हुए घरों, कार्यस्थलों, स्कूलों, परिवहन साधनों तक ले जाना होगा.
उन्होंने क्षोभ जताया कि इन स्थानों पर महिलाओं व लड़कियों को हिंसा की महामारी का सामना करना पड़ता है.
वहीं साइबर जगत में हर प्रकार के हमले हो रहे हैं और घातक स्वचालित हथियारों से लेकर आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस से पनपने ख़तरे दिखाई दे रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इनकी रोकथाम करते हुए डिजिटल टैक्नॉलॉजी को भलाई के लिये इस्तेमाल की जाने वाली ताक़त बनाना होगा.
21वीं सदी की वैश्विक शासन व्यवस्था
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने बताया कि 75 वर्ष पहले स्थापित सामूहिक सुरक्षा ढाँचों से, तीसरा विश्व युद्ध टालने में सफलता मिली है और साझा सिद्धान्त 21वीं सदी में भी जारी रखने होंगे.
लेकिन वैश्विक कल्याण को सुनिश्चित करने, न्यायसंगत वैश्वीकरण का निर्माण करने और साझा चुनौतियों के हल के लिये, नए रास्ते तलाश किये जाने होंगे.
इस क्रम में बहुपक्षवाद को मज़बूत बनाया जाना होगा – एक ऐसा नैटवर्क-आधारित बहुपक्षवाद, जिसके ज़रिये वैश्विक व आर्थिक संगठनों, आर्थिक व सामाजिक संस्थाओं को जोड़ा जाए.
एक समावेशी व्यवस्था के ज़रिये व्यवसायों, शहरों, विश्वविद्यालयों, और लैंगिक समानता, जलवायु कार्रवाई व नस्लीय न्याय को बढ़ावा मिले.
उन्होंने कहा कि नई बहुपक्षवादी व्यवस्था के माध्यम से, भावी पीढ़ियों के अधिकारों को सम्मान सुनिश्चित किया जाएगा.