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यूएन के नेतृत्व में वैश्विक प्रतिरक्षण - पाँच करोड़ ज़िन्दगियों की रक्षा का लक्ष्य

बांग्लादेश में राष्ट्रीय टीकाकरण मुहिम के तहत एक बच्चे को ख़सरा व रूबेला से बचाव के लिये टीके लगाये जा रहे हैं.
© UNICEF/Jannatul Mawa
बांग्लादेश में राष्ट्रीय टीकाकरण मुहिम के तहत एक बच्चे को ख़सरा व रूबेला से बचाव के लिये टीके लगाये जा रहे हैं.

यूएन के नेतृत्व में वैश्विक प्रतिरक्षण - पाँच करोड़ ज़िन्दगियों की रक्षा का लक्ष्य

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में एक वैश्विक प्रतिरक्षण रणनीति सोमवार को पेश की गई है, जिसके ज़रिये पाँच करोड़ से अधिक बच्चों को जीवनरक्षक टीके लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया है. यूएन एजेंसियों ने सचेत किया है कि कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न व्यवधान से बड़ी संख्या में ख़सरा, पीत ज्वर और डिप्थीरिया समेत अन्य बीमारियों के महत्वपूर्ण टीके नहीं मिल पाए हैं, और इन हालात को बदले जाने की ज़रूरत है.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने बताया कि महामारी से पहले ही, इस तरह के चिन्ताजनक संकेत मिलने लगे थे कि ऐसी बीमारियों की विरुद्ध लड़ाई में दुनिया पिछड़ रही है, जिनकी रोकथाम की जा सकती है.

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"दो करोड़ से अधिक बच्चे, पहले से ही अति-महत्वपूर्ण टीकाकरण से वंचित थे."

यूनीसेफ़ के मुताबिक़, वर्ष 2020 के शुरू में, कोविड-19 महामारी से पैदा हुए व्यवधान की वजह से वैक्सीन वितरण में गिरावट आई है.

वर्ष 2018 में ऐसे टीकों की लगभघ दो अरब 29 करोड़ ख़ुराकें वितरित की गई थीं, मगर 2020 में यह संख्या घटकर लगभग दो अरब रह गई.

यूनीसेफ़ की शीर्ष अधिकारी ने विश्व प्रतिरक्षण सप्ताह की शुरुआत पर कहा, "महामारी ने पहले से ही ख़राब स्थिति को बदतर बना दिया है, जिससे करोड़ों बच्चें प्रतिरक्षण से असुरक्षित हैं."

"अब जब, वैक्सीनें हर किसी के दिलो-दिमाग़ में हैं, हमें इस ऊर्जा को बरक़रार रखना होगा ताकि हर बच्चे तक उनकी ख़सरा, पोलियो और अन्य रह गए टीके पहुँचाने में मदद दी जा सके."

"हमारे पास व्यर्थ गँवाने के लिये समय नहीं है."

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने साझीदार संगठन, वैक्सीन एलायन्स (GAVI) के साथ इसी सन्देश को आगे बढ़ाते हुए प्रतिरक्षण और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में और ज़्यादा निवेश किये जाने का आग्रह किया है ताकि सामूहिक स्तर पर टीकाकरण अभियान को समर्थन प्रदान किया जा सके.

"वैक्सीन से हमें कोविड-19 महामारी का अन्त करने में मदद मिलेगी, मगर ये तभी होगा जब वैक्सीनें सभी देशों के लिये न्यायसंगत ढंग से सुलभ बनाई जाएँ, और वितरण के लिये मज़बूत प्रणालियों का निर्माण हो."

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक़, वर्ष 2020 में कोविड-19 से बचाव के लिये लागू की गई पाबन्दियों के असर से प्रतिरक्षण सेवाएँ उबरने लगी हैं.

मगर एक सर्वेक्षण के नतीजे दर्शाते हैं कि एक-तिहाई से अधिक देशों में अब भी नियमित टीकाकरण में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

वैक्सीन के लाभ

- वैक्सीन, संक्रामक बीमारियों से होने वाली मौतों को कम करने में सहायक है

- वैक्सीन से ऐसी विकलांगता की भी रोकथाम होती है, जिससे बच्चों के विकास पर असर पड़ सकता है

- वैक्सीन के ज़रिये, संक्रमण-सम्बन्धी कैंसर की रोकथाम होती है और बुर्ज़ुगों व निर्बलों की स्वास्थ्य रक्षा सम्भव है

- वैक्सीन से संक्रमण दर में कमी आती है, जिससे सम्बन्धियों व समुदायों तक संक्रमण पहुँचने का जोखिम कम होता है.

जोखिम में हैं 22 करोड़ जीवन

यूएन एजेंसी ने चेतावनी जारी की है कि फ़िलहाल, 50 देशों में 60 जीनवरक्षक, सामूहिक टीकाकरण मुहिमें टाल दी गई हैं जिससे 22 करोड़ से अधिक लोगों पर ख़सरा, पीत ज्वर और पोलियो जैसी बीमारियों का ख़तरा है. इनमें अधिकतर बच्चे हैं.

इन 50 प्रभावित देशों में आधे से ज़्यादा देश अफ़्रीका मे हैं, जहाँ ख़सरा के लिये टीकाकरण अभियान पर सबसे अधिक असर हुआ है.

23 टीकाकरण अभियानों के स्थगित होने से 14 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं.

यूएन एजेंसी के अनुसार, "इनमें से अनेक (ख़सरा) अभियानों को एक साल से भी ज़्यादा समय की देरी हुई है."

संगठन ने चेतावनी जारी की है कि इस बेहद संक्रामक वायरस से रक्षा कवच प्रदान करने में विफलता से, टीकाकरण के दायरे से बाहर आबादी में बड़े पैमाने पर बीमारी फैलने का जोखिम है.

पहले ही, काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य, पाकिस्तान और यमन में टीकाकरण कवरेज में आई रुकावट की वजह से बीमारी फैलने की ख़बरे मिली हैं.

बीमारी का फैलाव उन इलाक़ों में हो रहा है, जो या तो पहले से ही हिंसक संघर्ष के हालात का सामना कर रहे हैं, या फिर कोविड-19 पर जवाबी कार्रवाई के कारण सेवाओं में उत्पन्न व्यवधान का.

जीवनरक्षक संसाधन

‘2030 प्रतिरक्षण एजेण्डा’ के अनुसार, दुनिया के पास 20 प्राणघातक बीमारियों की रोकथाम के लिये वैक्सीन उपलब्ध हैं.

इनके ज़रिये सभी आयुवर्ग के लोगों के लिये दीर्घ व स्वस्थ जीवन जीना सम्भव हुआ है, और यह उनका अधिकार है.

इसे ध्यान में रखते हुए, ‘प्रतिरक्षण एजेण्डा 2030’ रणनीति के माध्यम से, कोविड-19 व्यवधान से पुनर्बहाली को सहारा देने की बात कही गई है.

बताया गया है कि कोविड-19 और अन्य बीमारियों से लोगों को हर स्थान पर सुरक्षित रखने के लिये, अगले दशक में मज़बूत प्रतिरक्षण प्रणालियों की आवश्यकता होगी.

इस क्रम में, व्यक्तियों, समुदायों व देशों में टीकाकरण कार्यक्रमों में निवेश व उससे होने वाली बचत और आर्थिक लाभ को रेखांकित किया गया है.