वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

इबोला से लड़ाई में कारगर वैक्सीन के वैश्विक भण्डारण की व्यवस्था

काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य के बेनी में स्वास्थ्यकर्मी द्वारा एक व्यक्ति को वैक्सीन दी जा रही है.
World Bank/Vincent Tremeau
काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य के बेनी में स्वास्थ्यकर्मी द्वारा एक व्यक्ति को वैक्सीन दी जा रही है.

इबोला से लड़ाई में कारगर वैक्सीन के वैश्विक भण्डारण की व्यवस्था

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ और मानवीय साझीदार संगठन घातक बीमारियों के ख़िलाफ़ लड़ाई में एक अहम पड़ाव पर पहुँच गए हैं. मंगलवार को इबोला वैक्सीन के लिये वैश्विक भण्डार स्थापित किये जाने की घोषणा की गई है जिससे भविष्य में इबोला बीमारी के फैलने की स्थिति में जोखिम झेल रहे जनसमूहों को समय रहते वैक्सीन की ख़ुराकें जल्द उपलब्ध करा पाना सम्भव हो सकेगा. 

इबोला विषाणु एक गम्भीर और अक्सर घातक साबित होने वाली बीमारी का कारण है जिसकी मृत्यु दर 25 से 90 फ़ीसदी के बीच आँकी गई है.  

पहली बार वर्ष 1976 में इस वायरस के बारे में मालूम हुआ था जिसके बाद से अब तक, हज़ारों लोग, इस बीमारी के कारण मौत का शिकार हो चुके हैं.

Tweet URL

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने घातक विषाणुओं से ज़िन्दगियों की रक्षा करने में वैक्सीन की अहमियत को रेखांकित किया है.  

“इबोला के लिये टीकों से पृथ्वी पर सबसे भयावह बीमारियों में से एक की रोकथाम कर पाना सम्भव हुआ है.”

“यह नया भण्डार जीवन की रक्षा करने के लिये अन्तरराष्ट्रीय संगठनों और निजी सैक्टर के बीच एकजुटता, विज्ञान और सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.”

वैक्सीन प्रावधान पर अन्तरराष्ट्रीय समन्वय समूह (ICG) में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी (WHO), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), इण्टरनेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ रेडक्रॉस एण्ड रैड क्रैसेन्ट सोसायटीज़ (IFRC) और डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (MSF) शामिल हैं. 

इस समूह ने मौजूदा वैक्सीन भण्डार स्थापित करने के लिये प्रयासों की अगुवाई की है और इसके लिये धनराशि का इन्तज़ाम वैक्सीन अलायन्स (GAVI) ने किया है. 

भण्डारण की व्यवस्था स्विट्ज़रलैण्ड में की गई है जहाँ इन टीकों को आपात जवाबी कार्रवाई के तहत ज़रूरतमन्द देशों को भेजे जाने के लिये तैयार रखा जाएगा. 

तैयारी ज़रूरी 

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने बताया कि बीमारियों के फैलाव को रोकने के लिये तैयारी बेहद महत्वपूर्ण है.

“यह इबोला वैक्सीन भण्डारण एक ऐसी बेहतरीन उपलब्धि है जिससे हमारे लिये सबसे अधिक ज़रूरतमन्दों तक टीके जल्द से जल्द पहुँचा पाना सम्भव होगा.”

आईसीजी की ओर से यूनीसेफ़ भण्डारण व्यवस्था का प्रबन्ध यूनीसेफ़ करेगा. 

हैज़ा, मस्तिष्क ज्वर (Meningitis) और पीला ज्वर के टीका भण्डार की तरह, इबोला वैक्सीन के वितरण और खेप को भेजे जाने के सम्बन्ध में निर्णय यूनीसेफ़ लेगा. 

इबोला बीमारी का फैलाव कभी-कभार ही दिखाई देता है और उसका अनुमान लगा पाना कठिन है. 

इसलिये इबोला की कारगर वैक्सीन के लिये स्वाभाविक माँग या बाज़ार नहीं है. इसकी ख़ुराकें सीमित संख्या में ही उपलब्ध हैं जिन्हें भण्डारण व्यवस्था के ज़रिये उपलब्ध कराया जा सकता है.

एन एजेंसियों के मुताबिक बीमारी के फैलाव की स्थिति में जवाबी कार्रवाई के लिये फ़िलहाल छह हज़ार 890 टीकों की व्यवस्था है और आने वाले महीनों में स ये संख्या बढ़ाई जाएगी. 

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सुझाव के अनुरूप आपात भण्डार व्यवस्था टीकों की संख्या को बढ़ाकर पाँच लाख किये जाने की योजना है.

अहम पड़ाव

संयुक्त राष्ट्र के साझीदार संगठनों, MSF और IFRC ने इबोला बीमारी के फैलाव को रोकने के लिये अथक प्रयास किये हैं. इन संगठनों ने भी भण्डारण व्यवस्था का स्वागत किया है. 

संगठनों का कहना है कि स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं ने ज़िन्दगियों की रक्षा करने के लिये अपने जीवन को जोखिम में डाला है और इस भण्डारण व्यवस्था के ज़रिये भयावह बीमारी के असर को काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है.  

साथ ही इससे मौजूदा वैश्विक भण्डार के प्रबन्धन में पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद जताई गई है.

योरोपीय औषधि एजेंसी ने नवम्बर 2019 में इबोला वैक्सीन को लाइसेंस दिया था जिसके बाद से अब तक अमेरिकी एजेंसी (FDA) सहित आठ अन्य अफ़्रीकी देशों से भी लाइसेंस हासिल हो चुका है. 

लाइसेंस मिलने से पहले यह टीका गिनी और वर्ष 2018-2020 में काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में इबोला फैलने के दौरान साढ़े तीन लाख से ज़्यादा लोगों को दिया गया था.

बताया गया है कि यह टीकाकरण इबोला बीमारी से मुक़ाबला करने के लिये व्यापक औज़ारों का एक अहम हिस्सा है.