वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

मानव तस्करी का मुक़ाबला-जीवन मिशन

पूर्वी सूडान में कुछ शरणार्थी बच्चे यूएन शरणार्थी एजेंसी द्वारा तस्करी के ख़िलाफ़ मुहिम के प्रति अपना समर्थन जता रहे हैं.
© UNHCR/Osama Idriss
पूर्वी सूडान में कुछ शरणार्थी बच्चे यूएन शरणार्थी एजेंसी द्वारा तस्करी के ख़िलाफ़ मुहिम के प्रति अपना समर्थन जता रहे हैं.

मानव तस्करी का मुक़ाबला-जीवन मिशन

क़ानून और अपराध रोकथाम

मलावी में मादक पदार्थों एवँ अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) में कार्यरत मैक्सवैल माटेवेरे एक अपराध-रोकथाम विशेषज्ञ हैं और पिछले दो दशकों से मानव तस्करी से निपटने के प्रयासों में सक्रिय भूमिका निभाते आ रहे हैं. मैक्सवैल  क़ानून व्यवस्था से जुड़े अधिकारियों को प्रशिक्षित करते हैं और इस वर्ष कोविड-19 के बावजूद उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप मानव तस्करी के 300 से ज़्यादा पीड़ितों को बचाया गया है, और इन अपराधों के सिलसिले में 31 लोग गिरफ़्तार किये गए हैं. मैक्सवैल माटेवेरे ने यूएन न्यूज़ के साथ अपने अनुभव साझा किये हैं...

जब मैंने पहली बार मानव तस्करी की भयावहता का अनुभव किया तो मैं युवा था और मैंने कुछ ही समय पहले क़ानून की पढ़ाई पूरी की थी. यह 1998 की बात है. 

मैं एक मानवाधिकार ग़ैर-सरकारी संगठन के लिये काम कर रहा था और दक्षिण अफ़्रीका में एक वर्कशॉप में हिस्सा ले रहा था. 

एक टैक्सी ड्राइवर ने मुझे मेरे देश की दो ऐसी लड़कियों के बारे में बताया जो जोहानसबर्ग के एक बार में काम करती थीं. टैक्सी ड्राइवर उन लड़कियों बारे में काफ़ी चिन्तित था. वे दो बहनें थीं जिनकी उम्र 14 और 16 वर्ष थी. 

मैं उनसे मिला तो मुझे पता चला कि वे मानव तस्करों का शिकार बन गई और उन्हें मलावी से दक्षिण अफ़्रीका में जबरन भेजा गया, और वेश्या के तौर पर काम करने के लिये मजबूर किया गया. 

उनकी मानसिक व शारीरिक रूप से बहुत बुरी हालत थी. 

मैंने उनके वापिस मलावी लौटने का इन्तेज़ाम किया. आज एक बहन ऐकाउन्टेन्ट के तौर पर काम कर रही है और दूसरी बहन एक प्राथमिक स्कूल में मुख्य अध्यापक के तौर पर कार्यरत है. 

हम अब भी सम्पर्क में रहते हैं और वे अब भी मुझे पिता के रूप में देखती हैं. 

इस घटना ने मुझे मानव तस्करी से मुक़ाबला करने को अपना करियर बनाने के लिये प्रोत्साहित किया.

मैक्सवैल माटेवेरे मलावी में एक स्थानीय समुदाय को मानव तस्करी के ख़तरे के प्रति आगाह कर रहे हैं.
UNODC
मैक्सवैल माटेवेरे मलावी में एक स्थानीय समुदाय को मानव तस्करी के ख़तरे के प्रति आगाह कर रहे हैं.

वर्ष 2005 में जब मलावी ने ‘UN Trafficking in Persons’ प्रोटोकॉल पर मोहर लगाई तो मैं एक ऐसे आयोग का सदस्य बना जिसने देश में मानव तस्करी क़ानून को विकसित किया. यह वर्ष 2015 में लागू हुआ. 

हर साल सैकड़ों लोग शिकार 

मेरे देश में मानव तस्करी एक बड़ी समस्या है लेकिन उस समय इस सम्बन्ध में ज़्यादा जागरूकता नहीं थी. हर वर्ष सैकड़ों पुरुष, महिलाएँ और बच्चे, मुख्यत: ग्रामीण इलाक़ों से, देश में ही, और बाहर जबरन मज़दूरी और यौन शोषण के लिये शिकार बनाए जाते हैं. 

लेकिन अब मेरे देश के पास तस्करों के ख़िलाफ़ उपयुक्त कार्रवाई करने और पीड़ितों को संरक्षण व समर्थन मुहैया कराने के लिये क़ानूनी औज़ार हैं. यह एक बड़ा क़दम है. 

मेरी ज़िम्मेदारी मानव तस्करी के ख़िलाफ़ क़ानून को लागू करने और राष्ट्रीय कार्ययोजना को समर्थन देना है जिसे मादक पदार्थों एवँ अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) की मदद से तैयार किया गया है. 

मैं देश भर में क़ानून व्यवस्था से जुड़े उन अधिकारियों को प्रशिक्षण और परामर्श देने के लिये यात्राएँ करता हूँ तो मानव तस्करी के मामलों की जाँच कर रहे हैं. 

मैं उन्हें बताता हूँ कि तस्करी के मामलों का पता लगान के लिये क़ानून का किस तरह इस्तेमाल किया जा सकता है, पीड़ितों की शिनाख़्त और सुरक्षा किस तरह की जानी चाहिये और अपराधियों पर मामलों में मुक़दमे किस तरह होने चाहिये. 

मानव तस्करी के मामलों की देखरेख करने वाले अधिकारियों – पुलिस अधिकारी, सीमा निगरानी-कर्मी, आव्रजन अधिकारी, जाँचकर्ता, उन सभी को पीड़ितों की ज़रूरतों और मानवाधिकारों को प्राथमिकता देने के लिये सुनिश्चित किया जाता है. 

मैं उन सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ काम करता हूँ जो जीवन को फिर पटरी पर लाने में पीड़ितों की मदद करते हैं, उनमें तस्करी के शिकार वो साहसिक पीड़ित भी हैं जो कोर्ट के मामलों में गवाही देते हैं.

मैं ग्रामीण समुदायों में जाकर पारम्परिक मुखियाओं से मानव तस्करी की समस्या और तस्करों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली तिकड़मों के बारे में बताता हूँ. 

मॉरीटेनिया में मानव तस्करी की शिकार रह चुकी एक महिला.
© Sibylle Desjardins / IOM
मॉरीटेनिया में मानव तस्करी की शिकार रह चुकी एक महिला.

इन लोगों के पास अपने समुदायों में व्यवहार परिवर्तन के लिये शक्ति व प्रभाव है. मैं स्कूलों, स्वास्थ्य केन्द्रों और चर्चों में जाता हूँ और आम जनता में अपराधों के प्रति जागरूकता फैलाने के प्रयास करता हूँ.

संयुक्त राष्ट्र के लिये काम करना और प्रशिक्षण सत्रों व रोड शो में प्रतिभागियों से सुझाव व मेरे काम पर उनकी राय जानना एक पुरस्कार के समान है.

'छिपा हुआ' अपराध

मानव तस्करों के चंगुल से छुड़ाए गए पीड़ितों, गिरफ़्तारियों और सफलतापूर्वक चलाए गए मुक़दमों की संख्या लगातार बढ़ रही है और यही मेरे कामकाज के प्रभाव को दर्शाता है. 

मैं अनेक मामलों में प्रक्रिया का हिस्सा रहा हूँ और इस पर मुझे गर्व है. 

इनमें कुवैत और इराक़ से जबरन श्रम व शोषण का शिकार मलावी के पीड़ितों को बचाना और उनकी घर वापसी सुनिश्चित करना है.

और, नेपाल के उन लोगों को सुरक्षित निकालना शामिल है जिनकी मलावी में तस्करी की गई थी. और हाल ही में कुछ युवा पीड़ितों के मामले हैं जिनकी जबरन शादी कराई गई और उन्हें वेश्यावृत्ति में धकेल दिया गया. 

अधिवक्ताओं व अभियोजकों द्वारा कुछ ऐसे मामलों का उल्लेख किया जाता है जिन पर मैंने काम किया है. मलावी पुलिस सेवा भी नई भर्तियों के दौरान प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में उनका इस्तेमाल करती है. 

मेरे देश में और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मुझे एक ‘नायक’ के रूप में देखा जाता है. इस वर्ष अमेरिकी विदेश मन्त्रालय ने मुझे सम्मानित किया था. 

लेकिन मेरे लिये सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार यह देखना है कि मेरे कामकाज से मानव तस्करी की समस्या पर राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है जो आम तौर पर नज़रों से छिपा रहने वाला अपराध है. 

मैक्सवैल माटेवेरे मलावी में स्थानीय अधिकारियों के साथ मामले की जाँच के लिये जा रहे हैं.
UNODC
मैक्सवैल माटेवेरे मलावी में स्थानीय अधिकारियों के साथ मामले की जाँच के लिये जा रहे हैं.

नायकों की ज़रूरत

नीतिनिर्धारक मानव तस्करी को अब एक बड़ी चिन्ता के मुद्दे के रूप में देखने लगे हैं और मानते हैं कि इससे निपटे जाने की आवश्यकता है. 

मलावी में मीडिया मानव तस्करी के मुद्दे को रेखांकित करने में अहम भूमिका निभा रहा है. मेरा फ़र्ज़ यह सुनिश्चित करना है कि बस एक मैक्सवैल ना हो, बल्कि अनेक मैक्सवैल हों. 

मैं और ज़्यादा लोगों को प्रशिक्षित करना चाहता हूँ ताकि मेरा देश इस क्रूर अपराध से असरदार ढँग से निपट सके.  

मैं, अपने कामकाज के ज़रिये बदलाव ला सकता हूँ, निर्बलों के लिये खड़ा हो सकता हूँ और मानव तस्करी की रोकथाम कर सकता हूँ. यही मुझे प्रोत्साहित करता है और मैं पीड़ितों की मदद करना चाहता हूँ; उनकी पीड़ा मेरे लिये चिन्ता की वजह है. 

कभी-कभी मेरा काम मुझ पर भावनात्मक रूप से असर डालता है. मैं ख़ौफ़नाक चीज़ें देखता हूँ. मैं पूछता हूँ कि लोग ऐसा कृत्य किस तरह कर सकते हैं, विशेषत: मासूम बच्चों के साथ. 

लेकिन मैं अपनी निजी और कामकाजी जीवन में सन्तुतुलन साधने में सक्षम हूँ. 

मेरे तीन बच्चे हैं. एक 13 वर्षीय बेटा और सात व चार साल की दो बेटियाँ.

जब मैं घर पर होता हूँ तो उनके साथ समय गुज़ारता हूँ. सप्ताहान्त पर हम चर्च जाते हैं. जब मैं यात्रा करता हूँ तो मेरी पत्नी और बच्चों को मेरी बहुत याद आती है. 

मेरे दोनों बड़े बच्चों को मेरे काम के बारे में जानकारी तो है लेकिन मैं उनके साथ मामलों की चर्चा नहीं करता. मेरी सात वर्षीय बच्ची से हाल ही में स्कूल में एक प्रसिद्ध व्यक्ति की तस्वीर लाने के लिये कहा गया था. वो मेरी तस्वीर साथ ले गई और अपनी कक्षा में बताया कि उनके पिता जो काम करते हैं, वो उन्हें नायक बनाता है.