मानव तस्करी: कोविड संकट काल में लाखों पर जोखिम, कार्रवाई की पुकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने गुरूवार को सदस्य देशों से मानव तस्करी के विरुद्ध कार्रवाई करने का आहवान किया है. मानव तस्करी के पीड़ितों में एक तिहाई बच्चे हैं.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने 12 करोड़ से अधिक लोगों को, चरम ग़रीबी के गर्त में धकेल दिया है और लाखों अन्य लोगों पर मानव तस्करी के शिकार होने का जोखिम मंडरा रहा है.
यूएन प्रमुख ने क्षोभ जताया कि निम्न आय वाले देशों में पीड़ितों की आधी संख्या बच्चों की है. अधिकतर लोगों को जबरन मज़दूरी के लिये तस्करी का शिकार बनाया जाता है.
Leading up to World Day Against Trafficking in Persons let’s show appreciation for the dedication of survivors to raise awareness, support victims & work with policy makers to #EndHumanTrafficking💙Victims’ Voices Lead the Way – let’s follow their lead.🔗https://t.co/nBt32TjGzm pic.twitter.com/crUJQMbV1b
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महासचिव गुटेरेश ने कहा कि हर जगह अपराधी तत्व, टैक्नॉलॉजी का इस्तेमाल, निर्बल लोगों की शिनाख़्त करने, उन्हें क़ाबू में करने और उनका शोषण करने के लिये कर रहे हैं.
बच्चों को ऑनलाइन माध्यमों पर यौन शोषण, जबरन शादी और अन्य प्रकार के दुर्व्यवहारों के लिये निशाना बनाया जा रहा है.
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने देशों की सरकारों से, तस्करी के रोकथाम उपायों को मज़बूत बनाने, पीड़ितों को सहारा देने और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने की बात कही है.
इसके तहत, पार-अटलाण्टिक संगठित अपराध के विरुद्ध यूएन सन्धि और इसके प्रोटोकॉल को लागू किया जाना अहम बताया गया है.
मादक पदार्थों एवं अपराध पर यूएन कार्यालय ने, इस वर्ष 30 जुलाई को ‘मानव तस्करी के विरुद्ध विश्व दिवस’ के अवसर पर, एक नई मुहिम शुरू की है.
‘Victims’ Voices Lead the Way’ नामक इस अभियान के ज़रिये मानव तस्करी के शिकार हुए लोगों की पीड़ाओं को आवाज़ दी जा रही है, और तस्करी के ख़िलाफ़ लड़ाई में उनकी भूमिका को रेखांकित किया जा रहा है.
यूएन एजेंसी की कार्यकारी निदेशक ग़ादा वॉली ने कहा कि पीड़ितों की आवाज़, तस्करी की रोकथाम करने, जीवित बच गए लोगों को सहारा देने और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिये ज़रूरी है.
उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान निर्बलों के लिये, मानव तस्करी का शिकार होने की आशंका बढ़ी है.
इस समस्या पर पार पाने के लिये, यूएन एजेंसी सदस्य देशों को एक प्रोटोकॉल लागू करने और पीड़ित-आधारित उपायों को विकसित करने में में सहायता प्रदान कर रही है.
इसके अतिरिक्त, यूएन स्वैच्छिक ट्रस्ट कोष के ज़रिये पीड़ितों को अति आवश्यक समर्थन भी मुहैया कराया जाता है और उन्हें जवाबी कार्रवाई के हिस्से के तौर पर सशक्त बनाया जाता है.
यूएन एजेंसी की शीर्ष अधिकारी ने सभी सदस्य देशों से कोष को समर्थन देने और पीड़ितों की व्यथा-कथा के प्रसार का अनुरोध किया है.
मानव तस्करी पर यूएन की विशेष रैपोर्टेयर सियोभान मुलैली ने क्षोभ जताते हुए कहा कि तस्करी के बाल पीड़ितों को सुरक्षा देने के बजाय उनके साथ अनियमित प्रवासी के तौर पर बर्ताव किया जाता है और आपराधिक मुक़दमे चलाए जाते हैं.
साथ ही उनकी उम्र व विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जाते हैं.
स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने कार्रवाई का आहवान करते हुए कहा कि नस्लवाद, विदेशियों के प्रति नापसन्दगी और लिंग आधारित भेदभाव के कारण तस्करी पीड़ितों के मानवाधिकारों पर जोखिम मंडरा रहा है.
साथ ही, इस अवैध व्यापार में शामिल लोगों को ये काम दण्डमुक्ति की भावना के साथ करने के लिये बढ़ावा मिल रहा है.
उन्होंने सभी हितधारकों से क़ानून प्रवर्तन में, सीमाओं पर, शिक्षा प्रणालियों में, कार्यस्थलों, बाल संरक्षा प्रणालियों और मानवीय व शान्ति अभियानों में नस्लभेद और विदेशियों के प्रति नापसन्दगी व डर से लड़ाई करने का आग्रह किया है.
विशेष रैपोर्टेयर ने देशों को अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के तहत तय दायित्वों के प्रति ध्यान दिलाया, जोकि प्रत्यक्ष, परोक्ष और ढाँचागत भेदभाव के उन्मूलन पर केन्द्रित हैं.