कोरोनावायरस संकट काल में सोशल मीडिया पर तस्करी के मामलों में उछाल

होण्डुरस के स्कूलों में लड़कियों को यौन तस्करी के लिये निशाना बनाये जाने के मामले सामने आये हैं.
UNICEF/Adriana Zehbrauskas
होण्डुरस के स्कूलों में लड़कियों को यौन तस्करी के लिये निशाना बनाये जाने के मामले सामने आये हैं.

कोरोनावायरस संकट काल में सोशल मीडिया पर तस्करी के मामलों में उछाल

कानून और अपराध की रोकथाम

संयुक्त राष्ट्र की समिति ने सोशल मीडिया कम्पनियों से आग्रह किया है महिलाओं व लड़कियों की तस्करी का अन्त किये जाने के लिये ‘बिग डेटा’ और ‘आर्टिफ़िशियल इन्टैलीजेंस’ की मदद ली जानी होगी. विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन माध्यमों पर पीड़ितों को तस्करी के जाल में फँसाये जाने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. 

महिलाओं के ख़िलाफ़ भेदभाव के उन्मूलन पर समिति (CEDAW) ने बुधवार को बताया कि दुनिया भर में अब भी महिलाओं व लड़कियाँ तस्करी की समस्या से सबसे ज़्यादा पीड़ित हैं. 

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“वैश्विक महामारी ने तस्करी में उसके ख़िलाफ़ डिजिटल टैक्नॉलॉजी के इस्तेमाल से निपटने की तत्काल आवश्यकता को उजागर किया है.”

इस सम्बन्ध में आयोग ने सिफ़ारिशों का एक मसौदा तैयार किया है. समिति की सदस्य डालिया लियानार्टे के मुताबिक तस्करी से मुक़ाबले के लिये उसकी माँग में कमी लानी भी ज़रूरी है. 

इस समस्या से निपटने के लिये राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों और नीतियों के बावजूद तस्करी में शामिल नैटवर्कों को व्यापक पैमाने पर दण्डमुक्ति हासिल है.

साइबर गतिविधियाँ

आयोग के सदस्यों ने ज़ोर देकर कहा है कि कोरोनावायरस संकट के दौरान पीड़ितों के लिये हालात और भी ज़्यादा ख़राब हुए हैं. 

हाल के महीनों में साइबर माध्यमों पर दुनिया के अनेक देशों में तस्करी के मामलों में उछाल आया है. 

माँग में बढ़ोत्तरी को सोशल मीडिया, डार्क वेब और मैसेज प्लैटफ़ॉर्म के ज़रिये पूरा किया जा रहा है. ऑनलाइन माध्यमों के ज़रिये सम्भावित पीड़ितों तक पहुँचना आसान होता है और अपराधियों के लिये अपनी पहचान छिपाना आसान होता है.  

संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त स्वतन्त्र विशेषज्ञों ने चेतावनी जारी की है कि ऑनलाइन यौन उत्पीड़न के लिये निर्बलों को शिकार बनाये जाने की आशंका बढ़ी है.

साथ ही बाल यौन दुर्व्यवहार सामग्री और बाल यौन तस्करी के मामलों में टैक्नॉलॉजी के इस्तेमाल के मामले बढ़ रहे हैं. 

सामाजिक दायित्व

यूएन विशेषज्ञों ने सोशल मीडिया और मैसेजिंग कम्पनियों से आग्रह किया है कि उन्हें महिलाओं व लड़कियों को तस्करी व यौन शोषण के जोखिम से बचाने के लिये ज़रूरी उपायों को सुनिश्चित करना होगा. 

उनके मुताबिक बिग डेटा, आर्टिफ़िशियल इन्टैलीजेंस और अन्य औज़ारो से ऐसे रूझानों व गतिविधियों पर नज़र रखनी होगी जिनसे तस्करी का जोखिम बढ़ता हो और ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों में शामिल लोगों की शिनाख़्त होती हो.   

उन्होंने कहा कि ऑनलाइन कम्पनियों को ऐसे उपयुक्त ढाँचों व प्रक्रियाओं को तैयार करना होगा जिससे इस चुनौती से निपटा जा सके और सम्बन्धित एजेंसियों के साथ प्रासंगिक जानकारी साझा की जा सके. 

यूएन समिति ने सदस्य देशों से भी आहवान किया है कि महिलाओं व लड़कियों को इन समस्याओं के गर्त में धकेले जाने के लिये ज़िम्मेदार परिस्थितियों को दूर किया जाना होगा.

यौन भेदभाव इसका एक प्रमुख कारण है और पीड़ितों के मेज़बान देशों में सामाजिक और आर्थिक अन्यायपूर्ण हालात, हिंसक संघर्ष और मानवीय आपदाएँ उन्हें देश छोड़ने के लिये मजबूर करते हैं.