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कोविड-19: सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में संसाधन निवेश बहुत ज़रूरी, अभी से

नेपाल के दक्षिणी इलाक़े में माता-पिता और अभिभावक बच्चों को टीके लगवाने के लिये एक क्लीनिक के बाहर लाइन लगाए हुए. (मई 2020)
© UNICEF
नेपाल के दक्षिणी इलाक़े में माता-पिता और अभिभावक बच्चों को टीके लगवाने के लिये एक क्लीनिक के बाहर लाइन लगाए हुए. (मई 2020)

कोविड-19: सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में संसाधन निवेश बहुत ज़रूरी, अभी से

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 की विकराल चुनौती के मद्देनज़र सभी सरकारों से वैश्विक स्वास्थ्य कल्याण में संसाधनों का निवेश बढ़ाने और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के वादे को पूरा करने की पुकार लगाई है. यूएन प्रमुख ने बुधवार को एक नया नीतिपत्र जारी करते हुए आगाह किया है कि महामारी से निपटने की तैयारियों व जवाबी कार्रवाई को मज़बूत बनाया जाना होगा ताकि फिर से दुनिया में ऐसे हालात पैदा ना हों. 

कोविड-19 महामारी से अब तक 190 देशों में साढ़े तीन करोड़ से ज़्यादा लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हो चुकी है और दस लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है. 

विश्व की आधी आबादी की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच नहीं है, दस करोड़ से ज़्यादा लोग हर वर्ष तबाही वाले स्वास्थ्य ख़र्चों के कारण निर्धनता में धकेल दिये जाते हैं. 

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महासचिव ने नीतिपत्र जारी करते हुए अपने सन्देश में ध्यान दिलाया है कि कोविड-19 से इतनी पीड़ा और दुख स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता में समाई गहराई के कारण भी हुए हैं. 

“महामारी ने अपर्याप्त स्वास्थ्य प्रणालियों, सामाजिक संरक्षा में भीषण खाइयाँ और देशों के भीतर व देशों में व्यापक ढाँचागत विषमताएँ पूरी तरह से उजागर कर दी हैं.”

यूएन प्रमुख ने इस संकट से सबक़ लेने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा है कि स्वास्थ्य सेवाओं में अल्पनिवेश का समाजों व अर्थव्यवस्थाओं पर विनाशकारी असर हो सकता है. 

“महामारी से वैश्विक अर्थव्यवस्था को हर महीने 375 अरब डॉलर की चपत लग रही है. अब तक लगभग 50 करोड़ रोज़गार खो चुके हैं.”

उन्होंने स्पष्ट किया कि कोविड-19 ने दर्शाया है कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवेरज, मज़बूत सार्वजनिक सुरक्षा प्रणालियों, और आपात परिस्थितियों के लिये तैयारी समुदायों, अर्थव्यवस्थाओं और हर एक व्यक्ति के लिये अहम हैं. 

महासचिव गुटेरेश ने सचेत किया है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य कवरेज की एक बड़ी क़ीमत ज़रूर है लेकिन उसके विकल्प की तुलना में यह बेहद सस्ती है. 

नीतिपत्र की पाँच सिफ़ारिशें

इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए बुधवार को जारी नीतिपत्र में पाँच अहम अनुशंसाएँ पेश की गई हैं.

- असरदार सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों और समन्वित वैश्विक जवाबी कार्रवाई के ज़रिये कोविड-19 के फैलाव को तत्काल नियन्त्रण में लाया जाए.

- महामारी के दौरान बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता व निरन्तरता बरक़रार रखी जाए.

- हर स्थान पर, हर एक व्यक्ति के लिये कोविड-19 वैक्सीनों, परीक्षणों और उपचारों की सुलभता सुनिश्चित की जाए.

- सार्वजनिक स्वास्थ्य कवरेज के वादे को पूरा करने के लिये स्वास्थ्य कार्यक्रमों में निवेश बढ़ाया जाए और उन्हें समावेशी व न्यायसंगत बनाया जाए.

- महामारी से निपटने की तैयारी व जवाबी कार्रवाई को वैश्विक कल्याण मानते हुए उसे मज़बूती प्रदान की जाए.

यूएन प्रमुख के मुताबिक सभी देश टिकाऊ विकास के 2030 एजेण्डा के तहत वर्ष 2030 तक सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में क़दम आगे बढ़ाने पर सहमत हुए हैं. 

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लेकिन मौजूदा हालात के मद्देनज़र दुनिया अब और 10 वर्ष इन्तज़ार नहीं कर सकती.

विश्व को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की आवश्यकता अभी है और भावी संकटों से निपटने की तैयारियों को पुख़्ता बनाने की भी. 

यूएन प्रमुख ने कहा है कि इस वायरस से जुड़े अनेक पहलुओं के बारे में पूर्ण रूप से समझ नहीं है लेकिन यह स्पष्ट है कि दुनिया इसके लिये तैयार नहीं थी.