कोविड-19 के दौरान विश्व व्यापार – बेहतरी के संकेत, मगर अनिश्चितता बरक़रार

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के कारण वैश्विक व्यापार में दर्ज हुई भारी गिरावट के बाद अब उसके फिर उभरने के संकेत नज़र आने लगे हैं. लेकिन विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने बुधवार को आगाह किया है कि आगामी दिनों में व्यापार में बेहतरी महामारी के फैलाव की स्थिति और उससे निपटने के लिये की जाने वाली कार्रवाई पर भी निर्भर करती है. संक्रमण के मामले फिर बढ़ने की स्थिति में विश्व व्यापार एक बार फिर बुरे व्यवधान का शिकार हो सकता है.
यूएन एजेंसी के मुताबिक दुनिया में वस्तुओं के व्यापार में वर्ष 2020 में 9.2 प्रतिशत की गिरावट आने की सम्भावना है जिसके बाद वर्ष 2021 में इसमें 7.2 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी हो सकती है.
Trade in most manufactured goods bottomed out in April before starting to recover in May and June. The latest #WTOForecast: https://t.co/NTFPBfVIPA pic.twitter.com/3fxTsEKsm4
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विशेषज्ञों के मुताबिक मौजूदा अनुमान भारी अनिश्चितता पर आधारित हैं और मुख्य रूप से व्यापार क्षेत्र में प्रदर्शन इस बात पर निर्भर करेगा कि महामारी किस तरह करवट लेती है और उससे निपटने के लिये सरकारें क्या क़दम उठाती हैं.
ग़ौरतलब है कि अप्रैल 2020 में विश्व व्यापार संगठन ने ‘आशावादी परिदृश्य’ में व्यापार में 12.9 प्रतिशत की गिरावट आने और ‘निराशावादी स्थिति’ में 32 प्रतिशत की गिरावट की आशंका जताई थी.
ताज़ा अनुमान दर्शाते हैं कि हालात फ़िलहाल उतने ख़राब नहीं हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक "व्यापार में प्रदर्शन अब तक उम्मीदों से कहीं अच्छा रहा है और इसका कारण जून व जुलाई में तालाबन्दी में ढिलाई बरता जाना और आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी आना है."
संगठन ने स्पष्ट किया है कि लम्बित माँगों के पूरा होने और माल सूची की आपूर्ति के बाद व्यापार में आई तेज़ी फिर धीमी भी हो सकती है.
"अगर चौथी तिमाही में कोविड-19 फिर से उभरता है तो अन्य नकारात्मक परिणाम भी सम्भव हैं."
यूएन एजेंसी का कहना है कि कोविड-19 का अर्थव्यवस्था के विभिन्न सैक्टरों पर बेहद असमान असर हुआ है.
कृषि उत्पादों में व्यापार में महज़ पाँच फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई – तालाबन्दी की कड़ी परिस्थितियों के दौरान भी भोजन एक अहम ज़रूरत था और खाद्य वस्तुओं का उत्पादन व उन्हें जहाज़ से भेजा जाना जारी रहा.
लेकिन ईंधन व खनन उत्पादों में 38 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई – इन उत्पादों की क़ीमतें तेज़ी से गिरी क्योंकि यात्रा सम्बन्धी पाबन्दियों के कारण खपत बेहद कम हुई.
विनिर्माण वस्तुओं (Manufactured goods) में भी 19 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.
वर्ष 2020 के लिये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमान में भी बदलाव करते हुए -4.8 प्रतिशत किया गया है जबकि इससे पहले अप्रैल 2020 में जीडीपी की दर -2.5 फ़ीसदी रहने की सम्भावना जताई गई थी.
हालाँकि वर्ष 2021 में जीडीपी बढ़ोत्तरी दर के 4.9 प्रतिशत तक पहुँचने की सम्भावना है लेकिन यह मुख्य रूप से नीतिगत उपायों और कोविड-19 महामारी की गम्भीरता पर ही निर्भर है.
बताया गया है कि कोरोनावायरस संकट के दौरान व्यापार में आई गिरावट का आयाम वर्ष 2008-09 के वित्तीय संकट जितना ही बड़ा है, लेकिन आर्थिक सन्दर्भ बेहद अलग है.
जीडीपी दर में सिकुड़न मौजूदा मन्दी के दौर में ज़्यादा दिखाई दी है जबकि व्यापार में आई गिरावट सीमित रही है.