विश्व स्वास्थ्य ऐसेम्बली में महासचिव - वैक्सीन के लिये वैश्विक योजना का आहवान
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सदस्य देशों से, मौजूदा कोरोनावायरस संकट का अन्त करने और सर्वजन के लिये एक सुरक्षित व स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करने के लक्ष्य के साथ, निडर निर्णय लिये जाने की पुकार लगाई है. यूएन प्रमुख ने सोमवार को विश्व स्वास्थ्य ऐसेम्बली के 74वें सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी पर क़ाबू पाने के लिये वैक्सीन, परीक्षण और उपचार की न्यायसंगत सुलभता सुनिश्चित की जानी होगी.
विश्व स्वास्थ्य ऐसेम्बली, यूएन स्वास्थ्य संगठन का निर्णय-निर्धारक अंग है.
महासचिव गुटेरेश ने अपने वीडियो सन्देश में आगाह किया कि वैश्विक जवाबी कार्रवाई, दो अलग-अलग रफ़्तार से आगे बढ़ रही है, जिसमें ख़तरे निहित हैं.
“यह दुखद है, कि अगर हमने अभी कार्रवाई नहीं की, तो हमारे सामने एक ऐसी स्थिति होगी जिसमें धनी देश, अपनी अधिकाँश आबादी का टीकाकरण करने के बाद अपनी अर्थव्यवस्थाओं को खोलेंगे, जबकि वायरस, निर्धनतम देशों में अपना रूप व प्रकार बदल कर फैलना व गहरी पीड़ा की वजह बना रहेगा.”
उन्होंने आगाह किया कि संक्रमण में तेज़ी और मामलों में उभार से लाखों लोगों की जान जा सकती है और वैश्विक आर्थिक पुनर्बहाली की रफ़्तार धीमी पड़ सकती है.
वैक्सीन सुलभता के लिये कार्रवाई
यूएन प्रमुख ने अपने सम्बोधन में तीन अहम बिन्दुओं पर ध्यान केंद्रित किये जाने का आहवान किया है.
पहला, “विश्व नेताओं को तत्काल कोविड-19 वैक्सीन, टैस्ट और उपचार की न्यायसंगत सुलभता के लिये वैश्विक योजना को आगे बढ़ाना होगा.”
उन्होंने दोहराया कि दुनिया, इस समय एक वायरस के विरुद्ध युद्ध में है. उन्होंने जी20 समूह से एक ऐसी टास्क फ़ोर्स के गठन की अपनी माँग दोहराई, जिसके ज़रिये औषधि बनाने वाली कम्पनियों और अन्य पक्षधारकों के साथ मिलकर मौजूदा रुकावटों को दूर किया जा सके.
दूसरा, यूएन प्रमुख ने प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को मज़बूती प्रदान किये जाने की बात कही है.
“उचित प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के साथ, हम इस महामारी से ज़्यादा तेज़ी से उबरेंगे और अगले को घटित होन से पहले ही रोक सकते हैं.”
उन्होंने बताया कि स्फूर्त स्वास्थ्य प्रणालियाँ एक शुरुआत हैं, मगर ये पर्याप्त नहीं हैं.
तीसरा, देशों को अगली वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थिति के लिये तैयार रहना होगा.
महासचिव गुटेरेश ने महामारी की तैयारियों के लिये अन्तरराष्ट्रीय पैनल द्वारा जारी सिफ़ारिशों के लिये अपने समर्थन को रेखांकित किया है. पैनल ने अपनी रिपोर्ट में मौजूदा चेतावनी प्रणालियों को दुरुस्त किये जाने की ज़रूरत पर बल दिया है.
उनके मुताबिक मौजूदा प्रणाली में सुधार के लिये उच्च-स्तरीय राजनैतिक संकल्प की आवश्यकता है और वैश्विक तैयारियों के केंद्र में, विश्व स्वास्थ्य संगठन को रहना होगा.
इसे सम्भव बनाने के लिये यूएन एजेंसी के पास पर्याप्त संसाधन होने और उसका सशक्त होना ज़रूरी है.
संकट अभी टला नहीं
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने ऐसेम्बली को सम्बोधित करते हुए ध्यान दिलाया कि इस वर्ष जितनी संख्या में कोरोनावायरस संक्रमण के मामले सामने आए हैं, उतने पिछले, पूरे साल में नहीं आए थे.
यूएन एजेंसी प्रमुख के मुताबिक मौजूदा रूझान दर्शाते हैं कि इस वर्ष अब तक हुई मौतों का आँकड़ा, पिछले वर्ष की कुल संख्या से अगले तीन हफ़्तों में ज़्यादा हो जाएगा.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि टीकाकरण की दर चाहे कैसी भी हो, किसी भी देश को यह नहीं समझ लेना चाहिये कि संकट टल गया है.
कोरोनावायरस के नए रूपों व प्रकारों पर मौजूदा वैक्सीनें अब भी असरदार हैं, मगर यह वायरस लगातार बदल रहा है जोकि चिन्ता का कारण है.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने क्षोभ जताया कि मौजूदा वैक्सीन विषमता से इस महामारी को और बढ़ावा मिल रहा है – 75 प्रतिशत ख़ुराकें महज़ 10 देशों में लगाई गई हैं.
“इस बात को कूटनीतिक ढँग से कहने का कोई रास्ता नहीं है: देशों का एक छोटा समूह, जोकि अधिकाँश वैक्सीन बनाता और ख़रीदता है, बाक़ी दुनिया का भाग्य वही तय कर रहा है.”
न्यायोचित वैक्सीन वितरण के लिये यूएन पहल ‘कोवैक्स’ के तहत अब तक 125 देशों में सात करोड़ से अधिक ख़ुराकों की खेप रवाना की गई है, मगर वैक्सीनों की ये संख्या, उनकी समन्वित आबादी का महज़ एक फ़ीसदी ही प्रदर्शित करती है.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने देशों से इस वर्ष सितम्बर तक वैश्विक अबादी के कम से कम 10 फ़ीसदी का टीकाकरण किये जाने का आग्रह किया है. इसे दिसम्बर तक 30 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है.
स्वास्थ्यकर्मियों को श्रृद्धांजलि
अपने सम्बोधनों में यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश और यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने विश्व भर के स्वास्थ्यकर्मियों को श्रृद्धांजलि अर्पित की है.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने अपने सम्बोधन की शुरुआत ऐसे की स्वास्थयकर्मियों की कहानियों को साझा करते हुए की, जो जीवन और मौत के बीच का अन्तर बने हुए हैं.
संगठन का अनुमान है कि मरीज़ों की रक्षा और उनकी सेवा करते हुए अब तक एक लाख 15 हज़ार से ज़्यादा स्वास्थ्य व देखभालकर्मियों की मौत हो चुकी है.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि स्वास्थ्य व देखभालकर्मी, वीरतपूर्ण कार्य करते हैं, मगर वे सुपरहीरो नहीं हैं. “वे भी हम सभी की तरह मनुष्य हैं.”
उन्होंने चिन्ता जताई कि मौजूदा संकट में बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मी हताश, सहायताविहीन और असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
महासचिव गुटेरेश ने स्वास्थ्यकर्मियों की सराहना करते हुए कहा कि वे हर रोज़ अपने जीवन को जोखिम में डालकर लोगों की सेवा में जुटे हैं.