ग़ैर-संचारी रोगों का मुक़ाबला करने की पहल का स्वागत
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने डायबिटीज़, कैंसर, हृदय और फेफड़ों से सम्बन्धित बीमारियों जैसे ग़ैर-संचारी रोगों से होने वाली मौतों में कमी लाने की ख़ातिर, दुनिया की फिर से पटरी पर वापसी के लिये, राष्ट्राध्यक्षों और सरकार अध्यक्षों का एक समूह गठित किये जाने का स्वागत किया है.
ये कमी टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप कम से कम एक तिहाई होनी है और इन लक्ष्यों में मानसिक स्वास्थ्य व बेहतर रहन-सहन को भी बढ़ावा दिया जाना है.
ये निर्णय ग़ैर-संचारी रोगों (NCDs) और टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर अन्तरराष्ट्रीय रणनैतिक सम्वाद के उदघाटन के मौक़े पर लिया गया.
ये सम्वाद घाना के ऐक्करा में हुआ जिसमें एनसीडी पर एक नया ग्लोबल कॉम्पैक्ट शुरू किया गया है.
इस सम्वाद का आयोजन – विश्व स्वास्थ्य संगठन ने, घाना व नॉर्वे के साथ मिलकर किया.
देशों के नेताओं ने ग़ैर-संचारी रोगों की तरफ़ ध्यान देने की तात्कालिकता को रेखांकित किया जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एनसीडी महामारी कहा है.
दुनिया भर में तम्बाकू, शराब, अस्वस्थ भोजन, शारीरिक निष्क्रियता, और वायु प्रदूषण जैसे जोखिम कारकों से, 10 में से 7 लोगों की मौत होती है.
70 लाख ज़िन्दगियों की रक्षा
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि ग़ैर-संचारी रोगों की रोकथाम हो सकती है और उनका उपचार भी सम्भव है, और अगर अब से लेकर 2030 तक प्रतिव्यक्ति केवल 0.84 अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष ख़र्च किया जाए तो, इस बहुत कम ख़र्च में, 70 लाख ज़िन्दगियाँ बचाई जा सकती हैं.
इस निवेश से वर्ष 2030 तक, 230 अरब डॉलर से ज़्यादा के आर्थिक व सामाजिक लाभ होंगे और लगभग एक करोड़ दिल के दौरे और व आघात रोके जा सकेंगे.
इस समूह की अब यूएन महासभा में वार्षिक बैठक हुआ करेगी और पहली बैठक सितम्बर 2022 में आयोजित होनी प्रस्तावित है.
पाँच प्राथमिकता क्षेत्र:
1) 2030 तक ऐसे कम लागत वाले सर्वाधिक प्रभावशाली उपाय लागू करके, पाँच करोड़ ऐसे लोगों की ज़िन्दगियों की रक्षा करना जिनकी मौत ग़ैर-संचारी रोगों के कारण हो सकती है.
2) ग़ैर-संचारी रोगों के साथ ज़िन्दगी जीने वाले एक अरब 70 लाख लोगों की हिफ़ाज़त करना, इसके लिये उनकी ज़रूरतों के अनुसार स्वास्थ्य देखभाल और औषधियों की उपलब्धता सुनिश्चित करना.
3) एनसीडी को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में मिलाना.
4) वृहद एनसीडी निगरानी और निरीक्षण.
5) और एनसीडी और मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के साथ जीवन जीने वाले एक अरब 70 लाख लोगों को नीति-निर्माण और कार्यक्रमों में, सार्थक रूप से शामिल करना.
घाना के राष्ट्रपति नाना अड्डो डन्कवा अफ़ूको-अड्डो ने देश में तम्बाकू की मांग में कमी लाने के उपायों में मिली सफलता की कहानी सुनाई. मगर उन्होंने निम्न आय वाले देशों में कार्रवाई तेज़ करने में दरपेश चुनौतियाँ भी रेखांकित कीं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि ग़ैर-संचारी बीमारियाँ लोगों की ज़िन्दगियाँ ख़त्म करने के साथ-साथ, अर्थव्यवस्थाओं से भी भारी क़ीमत वसूलती हैं और लोगों की ज़िन्दगियाँ उनके सर्वाधिक उत्पादक वर्षों में ख़त्म कर देती हैं.
उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों पर पार पाने के लिये तकनीकी, वित्तीय और सबसे ज़्यादा राजनैतिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता है.
उन्होंने एनसीडी पर इस समूह और ग्लोबल एनसीडी कॉम्पैक्ट शुरू करने के लिये नॉर्वे और घाना का शुक्रिया अदा किया.