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कोविड-19: अधिकाँश देश आर्थिक व सामाजिक दुष्प्रभावों से महिलाओं की रक्षा करने में विफल 

भारत में एक महिला सब्ज़ी विक्रेता कोविड-19 से बचाव के लिये मास्क पहने हुए है.
© UNICEF/Vinay Panjwani
भारत में एक महिला सब्ज़ी विक्रेता कोविड-19 से बचाव के लिये मास्क पहने हुए है.

कोविड-19: अधिकाँश देश आर्थिक व सामाजिक दुष्प्रभावों से महिलाओं की रक्षा करने में विफल 

महिलाएँ

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के कारण महिलाएँ बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, लेकिन अधिकाँश देश उनके लिये पर्याप्त सामाजिक और आर्थिक संरक्षा उपाय करने में नाकाम साबित हो रहे हैं. महिला सशक्तिकरण के लिये संयुक्त राष्ट्र की संस्था (UN Women) की प्रमुख पुमज़िले म्लाम्बो-न्गुका ने सोमवार को यह बात कही है. 

यूएन वीमैन की कार्यकारी निदेशक पुमज़िले म्लाम्बो-न्गुका ने चिन्ता जताई कि महिलाओं को अक्सर घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ रहा है. 

“वे उन लोगों के साथ सिमट गई हैं जो उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं, परिवारों व समुदायों के लिये अवैतनिक देखभाल करने वालों के रूप में, और उन रोज़गारों मे कामगारों के तौर पर जहाँ सामाजिक संरक्षा का अभाव है.”

यूएन महिला संस्था और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के नए आँकड़े दर्शाते हैं कि अधिकाँश देश अब भी कोरोनावायरस संकट के आर्थिक व सामाजिक दुष्परिणामों से महिलाओं व लड़कियों के संरक्षण के लिये पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहे हैं.   

ये आँकड़े कोविड-19 पर जवाबी कार्रवाई की लैंगिक नज़रिये से परख करने वाले ‘जैन्डर रिस्पॉन्स ट्रैकर’ (Gender Response Tracker) से लिये गए हैं. 

समर्थन का अभाव

नए विश्लेषण के मुताबिक 206 में से लगभग 20 फ़ीसदी देशों (42) में लैंगिक मुद्दों का ध्यान रखते हुए महामारी पर जवाबी कार्रवाई का अभाव है.  

महज़ 25 देशों ने ऐसे उपाय लागू किये हैं जिनमें महिलाओं व लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा से निपटने, अवैतनिक देखभाल के कार्य को सहारा देने और महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा को मज़बूती देने का प्रावधान है. 

इन प्रयासों के तहत हिंसा के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र हैल्पलाइन, शरण और क़ानूनी मदद मुहैया कराने, महिलाओं के लिये लक्षित ढँग से नक़दी हस्तान्तरण सुनिश्चित करने, बाल देखभाल सेवाएँ उपलब्ध कराने और सवैतनिक अवकाश पर ज़ोर दिया गया है.

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के प्रमुख एख़िम श्टाइनर ने कहा, “कोविड-19 संकट देशों को मौजूदा आर्थिक मॉडल की कायापलट करने का अवसर प्रदान करता है – नए सिरे से शुरू किया गया एक सामाजिक अनुबन्ध, जिसमें सामाजिक न्याय व लैंगिक समानता को प्राथमिकता दी जाए.”

उन्होंने कहा कि नए ‘Gender Response Tracker’ के ज़रिये राष्ट्रीय प्रयासों में कमियों के सन्दर्भ में दिशा-निर्देश मुहैया कराते हुए नीतिगत सुधारों की गति को तेज़ किया जा सकता है.

‘जैन्डर रिस्पॉन्स ट्रैकर’

135 देशों में इस ट्रैकर की मदद 704 उपाय चिन्हित किये गए हैं जिनका उद्देश्य महिलाओं व लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा की रोकथाम या इसी तरह के मामलों पर जवाबी कार्रवाई करना है. 

इनमें से 63 फ़ीसदी उपाय ज़रूरी सेवाओं को मज़बूती देने पर केन्द्रित हैं – मसलन, शरण व हैल्पलाइन का प्रबन्ध, और ऐसे मामलों की जानकारी देने की प्रक्रिया का स्थापित किया जाना. 

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लेकिन सिर्फ़ 48, यानि एक-चौथाई से भी कम देशों ने महिलाओं व लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा से सम्बन्धित सेवाओं को कोविड-19 पर अपनी राष्ट्रीय व स्थानीय जवाबी कार्रवाई योजना का अहम हिस्सा बनाया है. बेहद कम देशों ने इन उपायों के लिये पर्याप्त धनराशि का इन्तज़ाम किया है. 

सामाजिक संरक्षा, देखभाल संकट और रोज़गारों के सम्बन्ध में कार्रवाई में महिलाओं की ज़रूरतों का ध्यान ना रखे जाने की बात सामने आई है.

85 देशों में 177 उपाय ही ऐसे हैं जो महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा को मज़बूत करने पर आधारित हैं, जबकि 60 अवैतनिक देखभाल को समर्थन देने और बाल, वृद्धजन व विकलाँग देखरेख सुविधाओं को मज़बूती प्रदान करने के लिये हैं. 

ट्रैकर दर्शाता है कि लैंगिक नज़रिये से कार्रवाई में देशों व क्षेत्र के स्तर पर भिन्नताएँ हैं. 

विश्लेषण के मुताबिक महिलाओं व लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा की रोकथाम और अवैतनिक देखभाल के मामलों में योरोप अग्रणी भूमिका निभा रहा है.

वहीं अमेरिका में महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा को मज़बूती प्रदान करने के उद्देश्य से उपाय किये गए हैं, जिसके बाद अफ़्रीका का स्थान है.