महिला आयोग: कोविड-19 ने उजागर की लैंगिक विषमताएँ, महासचिव 

थाईलैण्ड में कोविड-19 लक्षणों वाले मरीज़ों के लिये बनाए गए एक क्लिनिक में महिला नर्स आगन्तुकों का अभिवादन कर रही हैं.
WHO/P. Phutpheng
थाईलैण्ड में कोविड-19 लक्षणों वाले मरीज़ों के लिये बनाए गए एक क्लिनिक में महिला नर्स आगन्तुकों का अभिवादन कर रही हैं.

महिला आयोग: कोविड-19 ने उजागर की लैंगिक विषमताएँ, महासचिव 

महिलाएं

वैश्विक महामारी कोविड-19 का महिलाओं व लड़कियों पर विनाशकारी प्रभाव हुआ है और इसके दुष्प्रभावों से सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक प्रणालियों में गहराई तक समाईं लैंगिक विषमताएँ उजागर हुई हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को, महिलाओं की स्थिति पर आयोग (Commission on the Status of Women) के सत्र को सम्बोधित करते हुए यह बात कही है.

महिला अधिकारों के लिये प्रयासरत संगठन – यूएन वीमैन (UN Women), अन्य यूएन एजेंसियों, संगठनों व नागरिक समाज के साथ मिलकर, महिला आयोग के 65वाँ सत्र 15 से 26 मार्च तक, मुख्यत: वर्चुअल रूप से आयोजित कर रहा है. 

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इस वर्ष के सत्र के दौरान सार्वजनिक जीवन में पूर्ण लैंगिक समानता हासिल करने के लिये वैश्विक रोडमैप पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा. 

महासचिव गुटेरेश ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि जीवन के हर आयाम में लैंगिक समानता अभी बहुत दूर है, और विश्वव्यापी महामारी के कारण इस दिशा में प्रयास कमज़ोर हुए हैं. 

यूएन प्रमुख ने चेतावनी भरे अन्दाज़ में कहा कि मौजूदा संकट से अकल्पनीय क्षति हुई है, जिसकी गूंज आने वाले दशकों व भावी पीढ़ियों तक सुनाई देती रहेगी.

महामारी का सबसे ज़्यादा असर महिलाओं के रोज़गारों पर हुआ है, और पुरुषों की तुलना में उनकी आजीविका का साधन खोने की सम्भावना भी अधिक है. 

बताया गया है कि स्कूलों व बाल देखभाल केन्द्रों में तालाबन्दी, बुज़ुर्गों का ख़याल रखने व घर के भीतर ही सीमित हो जाने के कारण, महिलाओं व लड़कियों के लिये अवैतनिक कार्य का बोझ बढ़ा है.

महासचिव के मुताबिक लैंगिक सन्तुलन को बेहतर बनाने से ना केवल महिलाओं को लाभ होगा, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी फ़ायदा पहुँचेगा. 

यूएन प्रमुख ने उन तथ्यों का हवाला दिया जोकि दर्शाते हैं कि महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से आर्थिक नतीजे बेहतर होते हैं, सामाजिक संरक्षा में निवेश बढ़ता है और टिकाऊ शान्ति व जलवायु कार्रवाई की दिशा में ज़्यादा प्रगति सम्भव होती है.   

“महिलाओं की समान भागीदारी, हालात बदलने का ऐसा कारक है, जिसकी हमें ज़रूरत है.”

महिलाएँ हों धुरी

यूएन प्रमुख ने कोविड-19 महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में महिला नेतृत्व की सराहना की, जिसके फलस्वरूप, संक्रमण के मामलों की दर को कम रखना और देशों को पुनर्बहाली के रास्ते पर ला पाना सम्भव हुआ है. 

सेवाओं व सूचनाओं के प्रावधान में आई कमियों को दूर करने में महिला संगठनों ने अहम भूमिका निभाई है.

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश के अनुसार, महिलाएँ कोविड-19 पर जवाबी कार्रवाई और पुनर्बहाली की धुरी हैं. 

उन्होंने अनौपचारिक अर्थव्यवस्थाओं को सहारा प्रदान करने, देखभाल कार्यों पर आधारित अर्थव्यवस्था में निवेश करने और महिला उद्यमियों के साथ मिलकर कार्य करने का आहवान किया है. 

साथ ही आगाह किया है कि महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के बढ़ते मामलों से निपटने के लिये, सरकारों के साथ मिलकर प्रयास किये जाने होंगे. 

महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि सार्वजनिक जीवन में पुरुषों का दबदबा बरक़रार है और इसलिये निर्णय-निर्धारण प्रक्रियाओं में महिलाओं को शामिल किया जाना अहम है. 

“जब महिलाएँ निर्णय लेने की प्रक्रिया से दूर होती हैं, तो हम दुनिया को केवल एक परिप्रेक्ष्य से देखते हैं.”

“हम अर्थव्यवस्था के ऐसे ढाँचे तैयार करते हैं, जोकि घरों में होने वाले फलप्रद कार्य को मापने में विफल रहते हैं.”

यूएन प्रमुख ने स्पष्ट किया कि संयुक्त राष्ट्र में लैंगिक सन्तुलन की कायापलट करने के लिये बदलाव लाए जा रहे हैं. 

थाईलैण्ड के पश्चिमी प्रान्त माए सोत की एक फ़ैक्ट्री में काम कर रही प्रवासी महिलाएँ.
UN Women/Piyavit Thongsa-Ard
थाईलैण्ड के पश्चिमी प्रान्त माए सोत की एक फ़ैक्ट्री में काम कर रही प्रवासी महिलाएँ.

इस क्रम में वरिष्ठ पदों पर महिलाओं की नियुक्ति की गई है, वरिष्ठ प्रबन्धन के स्तरों पर लैंगिक बराबरी हासिल की गई है. 

साथ ही शान्तिरक्षा, मध्यस्थता और शान्ति-निर्माण प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित किये जाने की दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं. 

यूएन महासचिव ने लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने के लिये विश्व नेताओं के समक्ष पाँच उपाय पेश किये हैं: 

- महिलाओं के समान अधिकारों को पूर्ण रूप से वास्तविक बनाना, भेदभावपूर्ण क़ानूनों को निरस्त करना और सकारात्मक उपाय लागू करना. 

- समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना – विशेष उपायों व आरक्षण के ज़रिये, कम्पनी बोर्ड से लेकर संसदों तक, उच्चतर शिक्षा से लेकर सार्वजनिक संस्थाओं तक.

- महिलाओं के आर्थिक समावेशन को समान वेतन, लक्षित उधार, रोज़गार संरक्षा सहित अन्य उपायों से प्रोत्साहन देना .

- महिलाओं व लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा से निपटने के लिये, हर देश में एक आपात जवाबी कार्रवाई करना.

- अन्तर-पीढ़ीगत बदलाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिये स्थान मुहैया कराना.