वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

महासभा 75वाँ सत्र: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा, शक्ति के ज़रिये शान्ति का प्रसार

यूएन महासभा के 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प.
UN Photo/ Rick Bajornas
यूएन महासभा के 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प.

महासभा 75वाँ सत्र: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा, शक्ति के ज़रिये शान्ति का प्रसार

यूएन मामले

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए अमेरिका की सैन्य शक्ति की सराहना करते हुए कहा है कि उनका देश शान्ति क़ायम करने की अपनी नियति को पूर्ण कर रहा है लेकिन इस शान्ति का स्रोत शक्ति है. 

यूएन महासभा में वार्षिक जनरल डिबेट के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति के सम्बोधन का प्रसारण किया गया जिसे पहले से ही रिकॉर्ड किया गया था.

राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि अमेरिकी सेना पर व्यय काफ़ी हद तक बढ़ा है और पिछले चार सालों में यह बढ़कर ढाई ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच गया है. सेना के लिये इतना बजट होने के कारण ही अमेरिका दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश है. 

हाल ही में इसराइल, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के साथ हुए समझौते का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि मध्य पूर्व के अनेक अन्य देशों के नेताओं के व्हाइट हाउस का दौरा करने की योजना है. 

अमेरिकी राष्ट्रपति के मुताबिक ज़मीनी हालात को बदल कर रख देने वाले ये शान्ति समझौते मध्य पूर्व में नई सुबह का संकेत हैं. 

वर्ष 2019 में दिये अपने सम्बोधन के दौरान लगाई गई पुकार को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि सभी देशों को अमेरिका का अनुसरण करते हुए अपने देश के नागरिकों को प्राथमिकता देनी चाहिये. यही सहयोग के लिये एक वास्तविक आधार है. 

कोविड-19, चीन और यूएन स्वास्थ्य एजेंसी

राष्ट्रपति ट्रम्प ने विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 से निपटने के लिये अमेरिका द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की. उन्होंने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार इतने व्यापक पैमाने पर संगठित प्रयास किये जा रहे हैं.  

उन्होंने बताया कि वैण्टीलेटर की रिकॉर्ड आपूर्ति सुनिश्चित की गई है, जीवनरक्षक उपचारों की दिशा में प्रगति दर्ज की गई है जिससे मृत्यु दर में 85 फ़ीसदी तक कमी लाने में सफलता मिली है. 

उन्होंने कहा कि अमेरिका एक वैक्सीन के उत्पादन और महामारी को हराने की तैयारी कर रहा है जिससे अभूतपूर्व समृद्धि, सहयोग और शान्ति के नए युग में प्रवेश किया जा सकेगा. 

राष्ट्रपति ट्रम्प ने कोरोनावायरस को ‘चीनी वायरस’ क़रार दिया और महामारी के फैलाव का दोष भी उसी देश पर मढ़ा. उन्होंने वायरस के ख़तरे के प्रति जारी की गई शुरुआती चेतावनियों का उल्लेख करते हुए चीन द्वारा घरेलू यात्राओं पर पाबन्दी लगाने के बावजूद अन्तरराष्ट्रीय उड़ाने जारी रखने की निन्दा की. 

अमेरिकी राष्ट्रपति ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की भी आलोचना की है. उन्होंने दावा किया कि यूएन स्वास्थ्य एजेंसी पर लगभग पूरी तरह चीन का नियन्त्रण है. 

अपने इस दावे के समर्थन में उन्होंने चीन और यूएन एजेंसी की उन घोषणाओं का हवाला दिया जिनमें कहा गया था कि कोविड-19 संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता. 

‘अभूतपूर्व पर्यावरणीय रिकॉर्ड’

जलवायु परिवर्तन की चुनौती के सन्दर्भ में राष्ट्रपति ट्रम्प ने चीन पर हमला जारी रखते हुए उसे महासागरों में प्रदूषण फैलाने, अत्यधिक पैमाने पर मछलियाँ पकड़ने, मूँगा चट्टानों (Coral reefs) को नष्ट करने, और पारा (Mercury) वायुमण्डल में फैलाने के लिये ज़िम्मेदार ठहराया. 

उन्होंने कहा कि अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र पैरिस जलवायु समझौते पर हस्ताक्षरकर्ता के रूप में किसी अन्य देश की तुलना में ज़्यादा बड़े पैमाने पर कार्बन उत्सर्जनों में कटौती की है. 

“जो लोग चीन द्वारा अनियन्त्रित प्रदूषण को नज़रअन्दाज़ करते हुए अमेरिका के असाधारण पर्यावरणीय रिकॉर्ड पर हमले करते हैं, उनकी पर्यावरण में दिलचस्पी नहीं है.”

“वे सिर्फ़ अमेरिका को दण्डित करना चाहते हैं, और मैं इसे अपना समर्थन नहीं दूँगा.”

जनरल डिबेट के लिये सम्बोधनों की अवधि 15 मिनट के लिये सीमित की गई है लेकिन राष्ट्रपति ट्रम्प का भाषण लगभग सात मिनट का रहा. 

अपने सम्बोधन में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से कहा कि संगठन को असरदार भूमिका निभाने के लिये विश्व की वास्तविक समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित करना होगा.

इन समस्याओं के रूप में उन्होंने आतंकवाद, महिलाओं के दमन, जबरन मज़दूरी, नशीले पदार्थों की तस्करी, मानव और यौन तस्करी, धार्मिक कारणों से प्रताड़ित किये जाने और धार्मिक अल्पसंख्यकों के सफ़ाए का ज़िक्र किया. 

उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों के मुद्दे पर अमेरिका सदैव अग्रणी रहा है. अपने भाषण के समापन में राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपना भरोसा दोहराया कि वर्ष 2021 मानव इतिहास के महानतम वर्षों में शुमार किया जाएगा.