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'स्वर्णिम त्रिकोण' इलाक़े में ड्रग तस्करी से टक्कर: ब्लॉग

थाईलैण्ड में यूएन आरसी गीता सभरवाल (मध्य में पीछे) मेकाँग नदी पर एक गश्त के दौरान.
© UNODC
थाईलैण्ड में यूएन आरसी गीता सभरवाल (मध्य में पीछे) मेकाँग नदी पर एक गश्त के दौरान.

'स्वर्णिम त्रिकोण' इलाक़े में ड्रग तस्करी से टक्कर: ब्लॉग

क़ानून और अपराध रोकथाम

गोल्डन ट्रायंगल यानि स्वर्णिम त्रिकोण क्षेत्र में काफ़ी लम्बे समय से ड्रग ट्रैफ़िकिंग यानि नशीले पदार्थों की तस्करी से एक समस्या रही है. स्वर्णिम त्रिकोण इलाक़ा उस क्षेत्र को कहा जाता है जो थाईलैण्ड के चियाँग राय प्रान्त और म्याँमार व लाओस से मिलता है. थाईलैण्ड में संयुक्त राष्ट्र की रैज़िडैण्ट कोऑर्डिनेटर (आरसी) गीता सभरवाल और यूएनओडीसी के दक्षिण-पूर्व एशिया व प्रशान्त के लिये प्रतिनिधि जेरेमी डगलस के इस ब्लॉग में, इस पर कुछ प्रकाश डाला गया है कि संयुक्त राष्ट्र और थाईलैण्ड सरकार ड्रग ट्रैफ़िकिंग की समस्या से निपटने के लिये किस तरह मिलजुलकर काम कर रहे हैं...

"थाईलैण्ड ने हाल के दशकों में अफ़ीम के व्यापार का मुक़ाबला करने के लिये उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है. इन प्रयासों में ऐसे तरीक़े अपनाए गए हैं जो वैश्विक स्तर अच्छे कामकाज के उदाहरण पेश करते हैं. संयुक्त राष्ट्र के मादक पदार्थों व अपराधों की रोकथाम के लिये काम करने वाले कार्यालय – यूएनओडीसी स्वर्णिम त्रिकोण क्षेत्र में ड्रग ट्रैफ़िकिंग को रोकने के लिये थाईलैण्ड सरकार और अन्य साझीदारों के साथ मिलकर लम्बे समय से काम कर रहा है.

मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिये दोई चाँग स्थित एक सैन्य ठिकाने से संयुक्त रूप से गश्त लगाई जाती हैं. इस ठिकाने से म्याँमार साफ़ नज़र आता है. लेकिन, अफ़ीम का व्यापार कम होने के साथ-साथ ही, सिन्थैटिक ड्रग्स को सीमा पार पहुँचाए जाने का सिलसिला काफ़ी हद तक बढ़ गया है, इनमें मेथैम्फ़ेटेमाइन (मेथ) ख़ास है.

ड्रग कारोबार की रोक और विकास के बीच सम्बन्ध

थाईलैण्ड के चियाँग राय प्रान्त के हमारे हाल के एक दौरे के दौरान हम ये देखकर दंग रह गए थे कि क्षेत्र को टिकाऊ तरीक़े से विकसित करने के लिये किस तरह स्थानीय स्तर पर प्रयास किये गए. ये देखकर अहसास हुआ है कि विकास व लोगों की ज़िन्दगी बेहतर बनाने के प्रयास किस तरह मादक पदार्थों के कारोबार को मुक़ाबला करने से गुँथे हुए हैं. इन्हीं प्रयासों में जुड़ा हुआ है ये जज़्बा कि मादक पदार्थों और आपराधिकता के व्यक्तियों और समुदायों पर होने वाले गहरे प्रभावों का मुक़ाबला करना कितना अहम है.

चुनौतियाँ, अलबत्ता बहुत सी हैं, ख़ासतौर से कोविड-19 महामारी के दौरान, हमने सभी लोगों का रहन-सहन बेहतर बनाने के लिये स्थानीय समुदाय की सहनशीलता, मज़बूती और प्रतिबद्धता देखकर प्रेरित महसूस किया.

थाईलैण्ड के चाँग राय प्रान्त में एक गाँव की महिलाएँ स्थानीय जंगलों से एकत्र की गई बाँस सामग्री का वज़न बिक्री के लिये तौलते हुए.
UN Thailand
थाईलैण्ड के चाँग राय प्रान्त में एक गाँव की महिलाएँ स्थानीय जंगलों से एकत्र की गई बाँस सामग्री का वज़न बिक्री के लिये तौलते हुए.

थाईलैण्ड और उसके पड़ोसी देशों के बीच सीमावर्ती इलाक़ों में मादक पदार्थों के उत्पादन, कारोबार और उपभोग में ख़ासी बढ़ोत्तरी देखी गई है, ये इलाक़े मेकाँग नदी के किनारे स्थित हैं. इन मादक पदार्थों में ख़ासतौर से सिन्थेटिक ड्रग्स ज़्यादा हैं और ये सिलसिला इस दशक के ज़्यादातर हिस्से के दौरान जारी रहा है.

वर्ष 2019 में, पूर्वी व दक्षिण-पूर्वी एशिया में हानिकारक मेथ की बरामदगी लगभग 140 टन तक पहुँच गई, जिसका ज़्यादातर हिस्सा म्याँमार के शान प्रान्त में उत्पादित हुआ, ये थाईलैण्ड की सीमा के बिल्कुल दूसरी तरफ़ है. म्याँमार में मादक पदार्थों के उत्पादन में वृद्धि के कारण थाईलैण्ड और लाओस के साथ मिलने वाले इसके सीमावर्ती इलाक़े, दुनिया भर को मादक पदार्थों की तस्करी करने के महत्वपूर्ण स्थान बन गए हैं.

अरबों डॉलर का अवैध मुनाफ़ा

इस क्षेत्र में, गत वर्ष, मादक पदार्थों के उत्पादन व तस्करी से, अनुमानतः 71 अरब डॉलर की रक़म वजूद में आई. इसमें केवल मेथ का हिस्सा लगभग 61 अरब डॉलर था. छह साल पहले की तुलना में ये रक़म लगभग चार गुना थी. मेथ का उत्पान व तस्करी, आज के दौर में अन्तरराष्ट्रीय संगठित आराधिक संगठनों व जातीय सशस्त्रगुटों की वित्तीय मज़बूती की रीढ़ है. इस वित्तीय मज़बूती के ज़रिये ही ये गुट म्याँमार में स्वायत्त क्षेत्रों पर नियन्त्रण के लिये प्रयास करते हैं, देश में लड़ाई-झगड़े व असुरक्षा भड़काते हैं. साथ ही, सीमावर्ती इलाक़ों में भी ऐसा ही करते हैं, जिनमें थाईलैण्ड के साथ मिलने वाली इलाक़े भी शामिल हैं.

साथ ही, मेथ की भारी मात्रा बरामद किये जाने के बावजूद इसकी आपूर्ति में बहुत तेज़ी आई है और हाल के समय में इसकी क़ीमतों में इतनी कमी आई है जो एक दशक में सबसे निचले स्तर पर पहुँची है.

थाईलैण्ड में यूएन आरसी गीता सभरवाल (दाएँ) और यूएनओडीसी के प्रतिनिधि जेरेमी डगलस (मध्य) देश के उत्तर में स्थित माए साई में कस्टम हाउस में अधिकारियों से जानकारी हासिल करते हुए.
© UNODC
थाईलैण्ड में यूएन आरसी गीता सभरवाल (दाएँ) और यूएनओडीसी के प्रतिनिधि जेरेमी डगलस (मध्य) देश के उत्तर में स्थित माए साई में कस्टम हाउस में अधिकारियों से जानकारी हासिल करते हुए.

मेथ की टिकिया को थाईलैण्ड व मेकाँग क्षेत्र में याबा के नाम से जाना जाता है और थाईलैण्ड के उत्तरी इलाक़ों में इस टिकिया की क़ीमत फ़िलहाल लगभग एक डॉलर 60 सेण्ट है. इस कारण से ये मादक पदार्थ उपभोग करने वालों या नए लोगों को इसका उपभोग करने के लिये आसानी से उपलब्ध होने लगा है.

कुछ हिस्सों में, इसकी कम क़ीमतों और आसान उपलब्धता के कारण, थाईलैण्ड में इसके उपभोग में ख़ासी तेज़ी देखी गई है, ख़ासतौर से युवाओं में. थाईलैण्ड की जेलों में बन्द लगभग 80 फ़ीसदी आबादी पर लगे आरोपों का सम्बन्ध किसी ना किसी रूप में मेथ से जुड़ा हुआ है, इससे साबित होता है कि इस मादक पदार्थ की बढ़ी तस्करी व कम होती क़ीमतों ने देश में आपराधिक न्याय व्यवस्था और मावनाधिकारों से सम्बन्धित चुनोतियाँ बढ़ा दी हैं. 

तालमेल व जागरूकता

क्षेत्र में सीमा पार अधिकारियों के बीच सहयोग व तालमेल बिठाने के बेहतर तरीक़े निकालने में, और सीमा प्रबन्धन व नियन्त्रण बढ़ाने में सीमावर्ती सम्परक अधिकारियों की भूमिका अहम रही है जिन्हें यूएनओडीसी का समर्थन हासिल है. पुलिस, कस्टम, सैन्य, नौसेना और सीमावर्ती गश्ती पुलिस अधिकारियों के बीच तालमेल प्रयासों के तहत संगठित आपराधिक गुटों पर गुप्तचर जानकारी एकत्र करने के साथ-साथ एक दूसरे को मुहैया कराई गई है. 

इस समय थाईलैण्ड अधिकारियों के पास मादक पदार्थों के अवैध कारोबार का मुक़ाबला करने के लिये नई प्रोद्योगिकी व औज़ार उपलब्ध हैं जिनमें एक्सरे मशीनों के साथ-साथ छोटे से लॉरी के आकार वाले उपकरण शामिल हैं. इनके ज़रिये हर तरह के मादक पदार्थों व उन्हें तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले रसायनें की पहचान करना भी शामिल है जो इस विनाशकारी कारोबार को रोकने के लिये अहम हैं.

कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के प्रयासों के तहत सीमा चौकियों की संख्या बढ़ाई गई है जिसकी बदौलत प्रान्त से होकर मादक पदार्थों का आवागन कम हुआ है. हालाँकि, आपराधिक गुटों ने बहुत तेज़ी से अपनी कार्यप्रणाली में सुधार भी किया है, उन्होंने अपने मार्ग बदलते हुए चियाँग राय प्रान्त के बाहरी इलाक़ों से होकर अन्य प्रान्तों के ज़रिये रास्ता लिया है या फिर लाओस के ज़रिये थाइलैण्ड में दाख़िल होते हैं. इन मार्गों के ज़रिये उनकी लागत और असुविधा में मामूली सी वृद्धि होती है जिसका कुछ असर कारोबार पर होता है.

टिकाऊ भविष्य के लिये नवाचार

चियाँग राय प्रान्त की अर्थव्यवस्था निकट भविष्य में तो मुख्य रूप से कृषि, पर्यटन और सीमा पार व्यापार पर निर्भर रहेगी. कृषि व पर्यटन क्षेत्रों में अपनाए जाने वाले नवाचार तरीक़ों से टिकाऊ भविष्य के उदाहरण मिल रहे हैं. मसलन, चियाँग राय नगर के मेयर की तरफ़ से खेतीबाड़ी के ऐसे तरीक़ों को बढ़ावा दिया जा रहा है जो टिकाऊ और रसायननुक्त हों. साथ ही, चियाँग राय प्रान्त के किसानों को स्कूलों, अस्पतालों और निर्यात बाज़ारों से जोड़ा जा रहा है.

पहाड़ी गाँवों में रहने वाले क़बायली समुदायों को सिविल सोसायटी व समाजिक उद्यमियों के ज़रिये वैकल्पिक नक़दी फ़सलों की तरफ़ रुख़ करने के लिये प्रेरित किया गया है. ये प्रयास करने वालों में माए फ़ाह लुआँग संस्थान शामिल हैं. इस तरह के नवाचार आधारित तरीक़ों व उपायों से,  थाईलैण्ड अन्य पड़ोसी देशों में, और उससे भी आगे, मादक पदार्थों के कारोबार से हटकर टुकाऊ आजीविकाओं की तरफ़ रुख़ करने में मदद मिलेगी. अगर कृषि पर आधारित समुदायों को टिकाऊ भविष्य का हिस्सा बनना है तो वैकल्पिक आजावीकाओं और फ़सलों की तरफ़ रुख़ करने की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है.

हम, चियाँग राय प्रान्त में टिकाऊ विकास की तरफ़ काम करने वाले इतने सारे पक्षों के साथ जुड़ने पर ख़ुद को सौभाग्यशाली समझते हैं, और महामारी से उबरने के एकजुट प्रयासों में हम अपना और भी ज़्यादा सहयोग व समर्थन मुहैया करने के लिए उत्सकु भी हैं.”

यूएन रैज़िडैण्ट कोऑर्डिनेटर 

यूएन रेज़िडैण्ट कोऑर्डिनेटर, जिन्हें अक्सर आरसी भी कहा जाता है, किसी देश में संयुक्त राष्ट्र विकास प्रक्रिया के शीर्षतम विकास अधिकारी होते हैं. इस श्रृंखला में, यूएन न्यूज़,  उन देशों के लिये अति महत्वपूर्ण मुद्दो पर आरसी की राय प्रकाशित करता है जिन देशों में वो काम करते हैं.