'अवैध ड्रग्स व सोशल मीडिया के बीच कड़ी' को तोड़ने की पुकार

एक स्वतंत्र व संयुक्त राष्ट्र समर्थित निकाय - अन्तरराष्ट्रीय नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड (INCB), ने सरकारों से सोशल मीडिया मंचों को विनियमित करने के लिये और अधिक कार्रवाई करने का आहवान किया है जो नशीली दवाओं से सम्बन्धित नकारात्मक व्यवहार और नियंत्रित पदार्थों की बिक्री को बढ़ावा देते हैं.
आईएनसीबी ने गुरुवार को जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में, सोशल मीडिया के प्रयोग और नशीली दवाओं के उपयोग के बीच एक सम्बन्ध के बढ़ते सबूतों को रेखांकित है, जिससे युवजन व्यापक पैमाने पर प्रभावित हो रहे हैं.
ध्यान रहे कि सोशल मीडिया मंचों के ज़्यादातर प्रयोग करने वाले युवजन ही हैं. और यही वो आयु वर्ग है जिसके ज़्यादा लोग मादक पदार्थों का सेवन या दुरुपयोग करते हैं.
रिपोर्ट में निजी क्षेत्र से अपने मंचों की निगरानी व स्व-विनियमित करने और ड्रग्स के ग़ैर-चिकित्सा उपयोग के विज्ञापन और प्रचार को सीमित करने का भी आहवान किया गया है.
अपराधी समूह, सोशल मीडिया मंचों के साथ-साथ अनेक अन्य डिजिटल उपकरणों का भी उपयोग कर रहे हैं, जिनमें डिजिटल मुद्राएँ, मोबाइल भुगतान और ई-वॉलेट सेवाएँ शामिल हैं, जो धन के अन्तरराष्ट्रीय हस्तान्तरण को आसान और तेज़ बनाती हैं, व उन्हें अवैध धन के स्रोत को छिपाने और उससे अधिकतम लाभ उठाने में सहायता करती हैं.
आईएनसीबी की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि संगठित अपराध के समूह, नशीली दवाओं की तस्करी से लाखों डॉलर की वसूली करते हैं, जिनके समाजों और आर्थिक विकास के लिये नकारात्मक परिणाम होते हैं.
इनमें भ्रष्टाचार और रिश्वतख़ोरी से लेकर बढ़ते संगठित अपराध में वृद्धि, हिंसा, ग़रीबी और असमानता जैसे परिणाम शामिल हैं.
संगठन ने, मादक पदार्थों के कारोबार के नकारात्मक प्रभावों और इनसानों के लिये इसके नुक़सानों का मुक़ाबला करने के लिये, देशों की सरकारों से, मादक पदार्थों की तस्करी के सभी चरणों का सामना करने की सिफ़ारिश की है, जिनमें मादक पदार्थों के उत्पादन और खेती से लेकर बिक्री और अवैध मुनाफ़े को छिपाने तक के स्तर शामिल हैं.
साथ ही, अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर संगठित अपराध पर ख़ुफ़िया जानकारी साझा किये जाने की भी सिफ़ारिश की गई है.
आईएनसीबी की अध्यक्ष जगजीत पवाड़िया ने कहा, "आईएनसीबी ने अवैध वित्तीय प्रवाह को विशेष ध्यान और जाँच के योग्य माना क्योंकि मादक पदार्थों की तस्करी संगठित आपराधिक समूहों के लिये एक अत्यधिक आकर्षक उद्योग है.
ये समूह अपनी आपराधिक गतिविधियों को बढ़ाने और बनाए रखने के लिये अवैध वित्तीय प्रवाह पर भरोसा करते हैं."
ये वित्तीय प्रवाह, ग़रीबी को कम करने और सामाजिक व आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये निर्धारित संसाधनों का रास्ता बदल देते हैं, जिसका विकासशील देशों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जहाँ आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और असमानता को कम करने के लिये धन की बहुत आवश्यकता है.
उदाहरण के लिये अफ्रीकी देशों में, संगठित अपराध का नुक़सान विशेष रूप से अधिक है जोकि, अनुमानित 88 अरब 60 करोड़ डॉलर यानि महाद्वीप के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3.7 प्रतिशत हिस्सा है.
इसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक संसाधन व्यर्थ जाते हैं और विकास के लिये धन जुटाने के प्रयास कमज़ोर होते हैं.
आईएनसीबी ने कुछ देशों में भांग के ग़ैर-चिकित्सा प्रयोग को वैध बनाए जाने की ओर भी ध्यान खींचा है.
जगजीत पवाड़िया ने ज़ोर देकर कहा कि "भांग के ग़ैर-चिकित्सा उपयोग को वैध बनाए जाने से, दवा नियंत्रण सम्बन्धित कन्वेन्शन्स का उल्लंघन होता है."
अपराधियों के पास अवैध ड्रग्स बनाने के लिये, क़ानूनी बाज़ार में, आवश्यक रसायनों की आसान पहुँच हासिल है.
आईएनसीबी ने 2021 में किये गए एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए, मादक पदार्थ बनाने के लिये प्रयोग होने वाले रसायनों व अन्य सामग्री की बिक्री को नियंत्रित करने के लिये, बेहतर नियंत्रण और विनियम प्रणाली लागू करने का आग्रह किया.
इस सर्वेक्षण में, घरेलू निर्माण, व्यापार और रसायनों के वितरण पर नियंत्रण में महत्वपूर्ण ख़ामियाँ सामने आई हैं.
आईएनसीबी