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कोविड-19: 'पीड़ा और मौत के सबब' अन्तरराष्ट्रीय प्रतिबन्धों को हटाने की अपील

ईरान के अहवाज़ में हाशिए पर रहने वाले समुदाय में एक बच्चा. कोविड-19 के बावजूद देश को अन्तरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है.
© UNICEF
ईरान के अहवाज़ में हाशिए पर रहने वाले समुदाय में एक बच्चा. कोविड-19 के बावजूद देश को अन्तरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है.

कोविड-19: 'पीड़ा और मौत के सबब' अन्तरराष्ट्रीय प्रतिबन्धों को हटाने की अपील

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञों के एक समूह ने आग्रह किया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान क्यूबा, ईरान, सूडान सहित अन्य देशों पर लगे प्रतिबन्ध हटाया जाना या उनके असर को कम करना बेहद अहम है. यूएन विशेषज्ञों के मुताबिक प्रभावित देशों में जनता कष्टों का सामना कर रही है और प्रतिबन्ध हटाने या उनमें ढील देने से स्थानीय समुदायों तक अहम राहत सामग्री पहुँचाना सम्भव हो सकेगा. 

स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञों के मुताबिक प्रतिबन्धों की वजह से क्यूबा, ईरान, सूडान, सीरिया, वेनेज़ुएला और यमन जैसे देशों में लोगों को पीड़ा व मौत का सामना करना पड़ रहा है.

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जिन देशों पर प्रतिबन्ध लगे हैं वहाँ जनता के पास महामारी से बचाव के लिये रक्षात्मक औज़ार पूरी तरह से उपलब्ध नहीं है.

विशेषज्ञों ने शुक्रवार को एक साझा बयान में कहा कि प्रतिबन्धों का सामना कर रहे देशों की सहायता के लिये मानवीय आधार पर जो छूट दी गई थी वह कारगर साबित नहीं हुई है. 

उन्होंने कहा कि लोगों के मानवाधिकार सुनिश्चित करने के लिये जो प्रतिबन्ध थोपे गए थे उनसे लोगों की मौतें हो रही हैं और वे अपने बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित हैं. उन्हें स्वास्थ्य, भोजन और जीवन का अधिकार हासिल नहीं हो पा रहा है.

प्रतिबन्धों के कारण जल, साबुन, अस्पतालों में बिजली आपूर्ति, महत्वपूर्ण सामानों की ढुलाई के लिए ईंधन और भोजन सहित अन्य ज़रूरी वस्तुओं की क़िल्लत महसूस की जा रही है. 

बताया गया है कि इस सम्बन्ध में अप्रैल 2020 में भी एक अपील जारी की गई थी जिसमें सभी प्रतिबन्धों को एकतरफ़ा कार्रवाई के तहत हटाने की पुकार लगाई गई थी.

ऐसा किये जाने से कोविड-19 महामारी से प्रभावित और प्रतिबन्ध झेल रहे देशों को राहत मिलती लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं. 

यूएन विशेषज्ञों ने इन प्रतिबन्धों को तत्काल हटाए जाने, स्थगित करने या उनके असर को कम करने का आहवान किया है ताकि ज़रूरतमन्द लोगों तक दवाएँ, मेडिकल उपकरण, भोजन और ईंधन पहुँचाए जा सकें. 

विशेषज्ञों ने उन सभी देशों, अन्तरसरकारी संगठनों और ग़ैर-सरकारी संगठनों के प्रयासों का स्वागत किया है जिन्होंने प्रतिबन्धों का सामना कर रहे देशों की कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में मदद की है. 

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“हम योरोपीय संघ, ब्रिटेन, स्विट्ज़रलैण्ड, रूस, चीन, अमेरिका और अन्य दानदाताओं द्वारा स्वेच्छा से बेहद ज़रूरी मेडिकल आपूर्ति करने का ख़ासतौर पर स्वागत करते हैं.”

विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि मानवीय आधार पर प्रतिबन्धों में छूट पाने की प्रक्रिया लम्बी व ख़र्चीली है.

उनकी राय में इसके बजाय यह मानकर छूट दिया जाना बेहतर है कि वास्तव में मानवीय ज़रूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से सहायता की जा रही है, और यह साबित करने का भार दूसरे पक्ष पर होना चाहिये कि ऐसा नहीं है.

यूएन विशेषज्ञों के मुताबिक महामारी के दौरान मानवाधिकारों व आपसी एकजुटता सुनिश्चित करने की ख़ातिर मानवीय राहत के वितरण के लिये लाइसेंस प्रदान किया जाना सबसे आसान तरीक़ा है.  

उनका कहना है कि मानवीय सहायता के काम में जुटे व्यक्तियों व संगठनों पर किसी भी प्रकार के प्रतिबन्ध नहीं लगाए जाने चाहिये.

विशेष रैपोर्टेयर और कार्यदल संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया के नाम से जाने जाते हैं. ये विशेष प्रक्रिया संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार प्रणाली की सबसे बड़ी संस्था हैं जिसमें स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञ होते हैं. ये प्रक्रिया किसी ख़ास देश में या दुनिया के किसी भी हिस्से में किसी ख़ास मानवाधिकार स्थिति की निगरानी करने और उसकी जाँच-पड़ताल करने के लिये मानवाधिकार परिषद की स्वतन्त्र व्यवस्था है. विशेष प्रक्रिया के विशेषज्ञ इस हैसियत में स्वैच्छिक आधार पर काम करते हैं; वो संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और उन्हें उनके काम के लिये संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है. वो किसी भी सरकार या संगठन से स्वतन्त्र होते हैं और वो अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं.