ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों से, स्वच्छ पर्यावरण, स्वास्थ्य व जीवन के अधिकारों का हनन

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने मंगलवार को जारी अपने एक वक्तव्य में सचेत किया है कि ईरान पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों से, पर्यावरण को बड़ा नुक़सान पहुँच रहा है. साथ ही, इन पाबंदियों से ईरान में सभी लोगों के स्वास्थ्य व जीवन के अधिकार पर असर हुआ है, और वायु प्रदूषण समेत अन्य समस्याओं में वृद्धि हो रही है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जुलाई 2022 में पारित एक प्रस्ताव में स्वच्छ, स्वस्थ और टिकाऊ पर्यावरण के मानव अधिकार को मान्यता दी थी, जिसके पक्ष में अमेरिका ने भी मतदान किया था.
#US sanctions contribute to environmental harm and prevent all people in #Iran, including migrants and Afghan refugees, from fully enjoying their rights to health and life and a clean environment – UN experts
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UN_SPExperts
विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया कि, "अनेक देशों की तरह, ईरान में भी पर्यावरण सम्बन्धी समस्याएँ हैं. प्रतिबंध ईरानी सरकार को ना केवल उनसे प्रभावी ढँग से निपटने से रोकते हैं, बल्कि वे उन चुनौतियों को और कठिन बना देते हैं.”
वायु प्रदूषण, ईरान में एक विशेष चिन्ता का विषय है और बड़े पैमाने पर श्वसन तंत्र सम्बन्धी व अन्य बीमारियों का कारण भी है.
इन बीमारियों से केवल राजधानी तेहरान में प्रति वर्ष चार हज़ार असामयिक मौतें होती हैं और देश भर में, सालाना 40 हज़ार लोग समय से पहले अपनी जान गँवा देते हैं.
यूएन विशेषज्ञों ने कहा कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि तेहरान, विश्व में सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है.
अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण, लोगों को लम्बे समय तक पुराने वाहनों को इस्तेमाल करने के लिये मजबूर होना पड़ता है, जिनमें ईंधन दहन की दक्षता कम होती है.
मौजूदा पाबंदियों के कारण ईरान के लिये वाहन उत्सर्जन कम करने के लिये बेहतर उपकरण व तकनीक प्राप्त करना असम्भव हो गया है.
यूएन विशेषज्ञों के अनुसार, "ईरान में कारोबार करने वाली विदेशी कम्पनियों पर जुर्माना लगाने की धमकी देने के ज़रिये, अपने प्रतिबंधों को लागू करने की अमेरिकी कोशिशों ने, विदेशी कार निर्माताओं को देश छोड़ने के लिए विवश कर दिया है.”
“इसलिये ईरान को घरेलू निर्मित मोटरों और अन्य उपकरणों पर निर्भर होना पड़ता है जोकि नवीनतम तकनीकों का उपयोग नहीं कर सकते हैं."
ईरान पर प्रतिबंधों के कारण विदेशी ऊर्जा कम्पनियों को भी अपनी परियोजनाएँ रद्द करनी पड़ी है. ये कम्पनियाँ, जिस पैमाने पर बिजली उत्पादन के लिये सौर ऊर्जा संयंत्र बना रही थीं, वैसा ईरानी संस्थाएँ फ़िलहाल नहीं बना सकती हैं.
"यह भी प्रतिबंधों का नतीजा है क्योंकि वे विदेशी निवेश को रोकते हैं."
विशेष रैपोर्टेयर ने ध्यान दिलाया कि मौजूदा प्रतिबंध, ईरानी वैज्ञानिकों को विदेश में साझा पर्यावरण शोध परियोजनाओं में हिस्सा लेने से रोकते हैं.
यहाँ तक कि ईरान के लोगों को ऑनलाइन डेटाबेस और पर्यावरणीय व सततता सम्बन्धी मुद्दों की जानकारी सुलभ नहीं हो पाती है.
"शिक्षा के अधिकार और वैज्ञानिक प्रगति से लाभ के अधिकार पर प्रतिबंधों का असर हुआ है, जिससे ईरान के पर्यावरण में बेहतरी का मार्ग भी बाधित हो रहा है."
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिका स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार को मान्यता देता है.
अमेरिका ने पर्यावरणीय गुणवत्ता को मानव स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण बताया है और पर्यावरण सुधार के लिए वह इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ सहयोग करने के लिए सहमति जताई है.
विशेष रैपोर्टेयर के अनुसार, मगर ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध, इस मुद्दे पर अमेरिकी रुख़ के विपरीत हैं.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पर्यावरण की बेहतरी के लिये ईरान की क्षमता में रुकावट पैदा करने वाली पाबंदियों में ढिलाई दी जानी होगी या फिर उन्हें पूरी तरह हटा लेना होगा.
इस वक्तव्य को जारी करने वाले मानवाधिकार विशेषज्ञों की सूची यहाँ देखी जा सकती है.
सभी स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, जिनीवा स्थित यूएन मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किये जाते हैं, और वो अपनी निजी हैसियत में, स्वैच्छिक आधार पर काम करते हैं.
ये मानवाधिकार विशेषज्ञ संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं, और ना ही उन्हें उनके काम के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन मिलता है.