कोविड-19: ज़रूरतमन्दों तक मानवीय सहायता पहुंचाने की ज़िम्मेदारी

कोविड-19 महामारी की विकराल चुनौती से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर व्यापक स्तर पर तेज़ कार्रवाई जारी है. इसके साथ ही यूएन की मानवीय राहत एजेंसियों ने युद्ध प्रभावित क्षेत्रों और आपात हालात में रहने को मजबूर 10 करोड़ से ज़्यादा लोगों तक मदद पहुंचाने का काम भी जारी रखा है. इन प्रयासों के तहत साढ़े आठ करोड़ से ज़्यादा लोगों को भोजन सहित जीवनरक्षक सहायता मुहैया कराई जा रही है.
यूएन मानवीय राहत मामलों में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय में प्रवक्ता येन्स लारके ने जिनीवा में शुक्रवार को एक संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा, “कोविड-19 को कहीं भी रोकने के लिए इसे हर जगह रोकना होगा.”
उन्होंने कहा कि अगर विश्वव्यापी फैलाव की कड़ियों को नहीं तोड़ा गया तो वायरस की उन देशों में फिर वापसी हो सकती है जिन्होंने सुरक्षित महसूस करना शुरू कर दिया था.
🗺️Identify potential vulnerability📉Monitor markets, supply chains and prices🪂 Immediate actions like airlifting life-saving itemsAlways on the frontline of the toughest emergencies, WFP is ready to rise to the challenge. #COVID19
WFP
उन्होंने वैश्विक स्तर पर मानवीय राहत के कार्य जारी रखने को वैश्विक एकजुटता की कार्रवाई क़रार दिया और कहा कि यह सभी के हित से भी जुड़ा हुआ है.
मौजूदा समय में 10 करोड़ से ज़्यादा लोग युद्धक्षेत्र और अन्य आपात हालात में रहने को मजबूर हैं और जीवन-यापन के लिए संयुक्त राष्ट्र से मिलने वाली मानवीय राहत पर निर्भर हैं. इस वजह से मानवीय रास्तों को खुला रखने की अपील की गई है.
उन्होंने कोविड-19 से उपजे संकट के दौरान भी जीवनरक्षक सहायता को जारी रखने की अहमियत को रेखांकित करते हुए कहा कि यह भी सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि इस महामारी को वहां फैलने से रोका जा सके.
“बहुत से लोग तंग हालात में रहते हैं और उनके पास समुचित सफ़ाई व्यवस्था या बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है. अगर वायरस यहां पहुंचा तो उसके विनाशकारी नतीजे हो सकते हैं.”
इसकी गंभीरता के मद्देनज़र यूएन एजेंसी वायरस से बचाव के उपायों के प्रति जागरूकता फैलाने और लोगों व अपने कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में जुटी है.
प्रवक्ता येन्स लारके ने कहा कि कोविड-19 से अतिरिक्त भार पड़ा है जिससे हैज़ा और पीत ज्वर (Yellow fever) जैसी कई अन्य बीमारियों की चुनौती से ध्यान हट सकता है.
इसलिए यूएन की मानवीय राहत एजेंसियों द्वारा ज़रूरतमंदों व प्रभावितों के लिए मानवीय राहत प्रयास व समर्थन जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया गया है.
‘सैंट्रल एमरजेंसी रिलीफ़ फ़ंड’ (CERF) ने नाज़ुक हालात वाले देशों में वायरस पर क़ाबू पाने के लिए डेढ़ करोड़ डॉलर की धनराशि स्वीकृत की है.
कई देशों में यूएन कार्यालयों ने तैयारियों को मुस्तैद करने के लिए धन आबंटित किया है और अगले सप्ताह से यूएन मानवीय राहत एजेंसी वैश्विक योजना की शुरुआत करेगी.
विश्व खाद्य कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर खाद्य असुरक्षा से मुक़ाबले के काम में जुटा है और साढ़े आठ करोड़ लोगों को भोजन सहायता उपलब्ध कराने में उसकी अहम भूमिका है.
कोविड-19 के कारण 86 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा हासिल करने वाले 30 करोड़ बच्चों को स्कूलों में भोजन मिलने पर विराम लग गया है.
ऐसे हालात में यूएन एजेंसी बच्चों व उनके परिवारों तक भोजन पहुंचाने व पोषण सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है.
विश्व खाद्य कार्यक्रम की प्रवक्ता एलिज़ाबेथ बायर्स ने पत्रकारों को बताया, “क़रीब 90 लाख बच्चों को विश्व खाद्य कार्यक्रम की ओर से स्कूलों में भोजन नहीं मिल पा रहा है, और आने वाले दिनों और हफ़्तों में यह संख्या और ज़्यादा बढ़ने की संभावना है.”
यूएन खाद्य कार्यक्रम स्कूलों में भोजन उपलब्ध कराने का कार्य 61 देशों में करता है और निर्धन व ज़रूरतमंद परिवारों के लिए यह एक बेहद अहम सेवा है.
जिन देशों में स्कूल अब भी खुले हैं वहां प्राथमिकता - स्वच्छता के स्तर को बनाए रखना और खाद्य मानकों का पालन सुनिश्चित करना है.
साथ ही स्कूलों में एक दूसरे से दूरी बरतने को बढ़ावा देने के ज़रिए संक्रमण के मामलों को कम करने का प्रयास हो रहा है.
उन्होंने कहा कि विश्व खाद्य कार्यक्रम लोगों तक जल पहुंचाने और साफ़-सफ़ाई की व्यवस्था करने के लिए अपने साझीदार संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है.
उन्होंने कहा कि जिन देशों में स्कूल बंद हैं, वहां यूएन एजेंसी अन्य विकल्पों – घर ले जाने के लिए खाद्य सामग्री, घर पर भोजन वितरण और नक़दी या वाउचर देने – पर विचार कर रही है.