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अफ़ग़ानिस्तान: जलालाबाद के जेल परिसर में आतंकी हमले की कड़ी निन्दा

अफ़ग़ानिस्तान के काबुल में एक पुलिसकर्मी.
区域综合信息网图片/Obinna Anyadike
अफ़ग़ानिस्तान के काबुल में एक पुलिसकर्मी.

अफ़ग़ानिस्तान: जलालाबाद के जेल परिसर में आतंकी हमले की कड़ी निन्दा

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अफ़ग़ानिस्तान के जलालाबाद शहर स्थित जेल परिसर में हुए एक आतंकी हमल को जघन्य और कायराना क़रार देते हुए कड़े शब्दों में उसकी निन्दा की है. सोमवार, 3 अगस्त, को हुए इस हमले में आम नागरिकों सहित 29 लोगों की मौत हो गई थी और अनेक लोग घायल हुए थे. इस्लामिक स्टेट (दाएश) ने इस हमले की ज़िम्मेदारी लेने का दावा किया है. 

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक यह हमला पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के जलालाबाद में स्थित एक जेल परिसर पर रविवार रात को शुरू हुआ और आतंकियों व सुरक्षा बलों में घण्टों तक गोलीबारी होने के बाद सोमवार को हालात पर क़ाबू पाया जा सका. 

हमले के दौरान सैकड़ों बन्दियों के फ़रार होने की भी रिपोर्टें थीं जिन्हें पकड़ने में स्थानीय प्रशासन को ख़ासी मशक़्कत करनी पड़ी. 

सुरक्षा परिषद के सभी सदस्य देशों ने पीड़ितों के परिजनों और अफ़ग़ानिस्तान सरकार के प्रति अपनी गहरी सम्वेदनाएँ व्यक्त की हैं और इस हमले में घायल हुए लोगों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना की है.

सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने बुधवार को जारी एक वक्तव्य में पुरज़ोर ढंग से कहा है कि आतंकवाद अपने सभी रूपों में अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा के लिये सबसे गम्भीर ख़तरों में है.

सुरक्षा परिषद ने इस निन्दनीय आतंकी कृत्य के दोषियों, हमले में उनकी मदद करने वालों और धन मुहैया कराने वालों की जवाबदेही तय करने और सज़ा दिलाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है.

साथ ही सभी सदस्य देशों से अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों और सुरक्षा परिषद प्रस्तावों के अन्तर्गत तय हुए दायित्वों को निभाने और अफ़ग़ानिस्तान सरकार व अन्य प्रशासनिक एजेंसियों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करने की बात कही है.

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सुरक्षा परिषद ने दोहराया है कि कोई भी आतंकी कार्रवाई आपराधिक है जिसे न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता, चाहे वो किसी ने भी की हो और किसी भी मन्तव्य से की गई हो. 

सुरक्षा परिषद ने कहा है कि आतंकवादी हमलों से अन्तररराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा के लिये ख़तरा है जिससे सभी देशों को निपटने की ज़रूरत है, और यह कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों और मानवीय क़ानूनों के तहत की जानी चाहिये.