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अफ़ग़ानिस्तान में 'भयावह' हमलों की कड़ी निंदा, दोषियों को सज़ा की माँग

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में पुल-ए-ख़ेश्ती मस्जिद.
UNAMA/Freshta Dunia
अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में पुल-ए-ख़ेश्ती मस्जिद.

अफ़ग़ानिस्तान में 'भयावह' हमलों की कड़ी निंदा, दोषियों को सज़ा की माँग

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल के एक अस्पताल में हुए भयावह हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है. मंगलवार को दो अलग-अलग हमलों मे कम से कम 38 लोगों की मौत हुई है जिनमें कुछ बच्चे भी हैं. यूएन प्रमुख ने देश में हिंसक घटनाओं में तेज़ी आने पर चिंता जताई है और कहा है कि हालात पर नज़र रखी जा रही है.

 

 

राजधानी काबुल में बन्दूकधारियों ने मंगलवार सुबह एक जच्चा-बच्चा अस्पताल हमला किया जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई जिनमें दो नवजात शिशु भी हैं.   

इस हमले से कुछ घंटे पहले ही देश के पूर्वी हिस्से में स्थित नांगरहार में एक अंतिम संस्कार के दौरान आत्मघाती हमले में 24 लोगों की मौत हुई थी और अनेक घायल हुए थे.

महासचिव गुटेरेश ने मृतकों व घायलों के परिजनों, अफ़ग़ान सरकार और जनता के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है.

उन्होंने दोहराया है कि आम लोगों, अस्पतालों, चिकित्सा केंद्रों और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले अस्वीकार्य हैं और इसके ज़िम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय की जानी होगी.  साथ ही अफ़ग़ानिस्तान की जनता और सरकार के साथ एकजुटता ज़ाहिर की है.

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) ने ट्विटर पर अपने संदेश में कहा है कि काबुल के एक जच्चा-बच्चा अस्पताल और नांगरहार में एक अंतिम संस्कार के दौरान हुए हमले से मिशन स्तब्ध है. 

यूएन मिशन ने हताहतों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना जताई है और दोषियों को सज़ा देने का आग्रह किया है.

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के मानवीय राहत कार्यों के समन्वयक टोबी लान्ज़ेर ने कहा कि साद बिस्तर अस्पताल पर हुए इस हमले से वह आहत हैं. 

इस अस्पताल में मरीज़ों के इलाज के लिए 100 बिस्तरों की व्यवस्था है और हमले के दौरान इसमें बड़ी संख्या में मरीज़ और मेडिकल स्टाफ़ मौजूद था. 

अपने बयान में उन्होंने कहा कि विश्वास करना कठिन है कि यह जघन्य कृत्य ऐसे समय में किया गया जब अफ़ग़ानिस्तान कोविड-19 महामारी से त्रस्त है.

“अस्पतालों में इलाज कराने वाले आम नागरिकों, स्वास्थ्यकर्मियों, चिकित्सा सेवाओं और राहतकर्मियों को अन्तरराष्ट्रीय मानवीय राहत क़ानूनों में संरक्षण प्राप्त है.”

उन्होंने कहा कि इन क़ानून के उल्लंघन के मामलों की जाँच की जानी चाहिए और ज़िम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाना होगा.