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विश्व भर में आतंकवाद के बढ़ते ख़तरे पर सुरक्षा परिषद में अहम चर्चा

यूएन प्रमुख ने मुम्बई में ताज महल पैलेस होटल में 26 नवम्बर 2008 को हुए आतंकवादी हमले के पीड़ितों को श्रृद्धा सुमन अर्पित किये.
UN Photo/Vinay Panjwani
यूएन प्रमुख ने मुम्बई में ताज महल पैलेस होटल में 26 नवम्बर 2008 को हुए आतंकवादी हमले के पीड़ितों को श्रृद्धा सुमन अर्पित किये.

विश्व भर में आतंकवाद के बढ़ते ख़तरे पर सुरक्षा परिषद में अहम चर्चा

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद-निरोधक कार्यालय के प्रमुख व्लादीमीर वोरोन्कोफ़ ने गुरूवार को सुरक्षा परिषद की एक अहम बैठक में सदस्य देशों को आगाह किया है कि आतंकवाद से उपजे ख़तरों का नए क्षेत्रों में विस्तार हो रहा है, जिससे लाखों-करोड़ों लोगों की ज़िंदगियों पर असर हो रहा है. उन्होंने इस चुनौती से निपटने के लिये रोकथाम उपायों, सम्पूर्ण समाज को साथ लेकर चलने वाले तौर-तरीक़ों, मानवाधिकारों के लिये सम्मान व क्षेत्रीय तंत्रों को मज़बूती प्रदान करने पर बल दिया है.

आतंकवादी कृत्यों के कारण अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा के लिये पनपने वाले ख़तरों पर भी, 15 दिसम्बर को एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई गई है, जिसका उद्देश्य आतंकवाद से निपटने के लिये वैश्विक प्रयासों को गति प्रदान करना था.

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बैठक की अध्यक्षता की, और उन्होंने विश्व भर में आतंकवाद के पीड़ितों की स्मृति में एक मिनट का मौन रखने के लिये प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया.

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संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद-निरोधक कार्यालय के प्रमुख व्लादीमीर वोरोन्कोफ़ ने सचेत किया कि आतंकवाद से उपजे वैश्विक ख़तरों पर ना केवल सुरक्षा परिषद द्वारा निरन्तर ध्यान दिया जाना आवश्यक है, बल्कि इससे निपटने के लिये सामूहिक तौर-तरीक़ों में भी नए सिरे से बदलाव करने होंगे.

“अल-क़ायदा और दाएश (आइसिल) नेतृत्व को हो रहे लगातार नुक़सान के बावजूद, आतंकवाद का और अधिक प्रसार और भौगोलिक रूप से विस्तार हुआ है, जिससे विश्व भर में लाखों-करोड़ों जीवन प्रभावित हुए हैं.”

यूएन कार्यालय प्रमुख के अनुसार इन गुटों और उनके सहयोगियों ने अस्थिरता, नाज़ुक हालात और हिंसक टकराव का फ़ायदा उठाना जारी रखा है, विशेष रूप से पश्चिम अफ़्रीका और सहेल क्षेत्र में, जहाँ हालात ज़्यादा ख़राब हैं.

इन आतंकी गुटों की गतिविधियों के कारण मध्य व दक्षिणी अफ़्रीका में और अफ़्रीकी महाद्वीप के अन्य क्षेत्रों में सुरक्षा परिस्थितियाँ बद से बदतर हुई हैं.

आतंकी गुट अफ़ग़ानिस्तान में भी सक्रिय हैं, जहाँ वे क्षेत्र और उससे परे भी स्थिरता के लिये गम्भीर ख़तरा उत्पन्न कर रहे हैं.

बढ़ती आतंकी चुनौती

व्लीदीमीर वोरोन्कोफ़ ने चिन्ता जताई कि तालेबान प्रशासन ने देश में पनाह लेने वाले आतंकी गुटों के साथ अपने सम्बन्ध अब भी क़ायम रखे हैं, जबकि सुरक्षा परिषद द्वारा यह मांग की गई थी.

उन्होंने सचेत किया कि आतंकवादी अवसरवादी ढँग से स्वयं को ढाल रहे हैं, ग़ैरक़ानूनी वित्तीय लेनदेन का सहारा ले रहे हैं और अन्य आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हैं, जिससे उनके विरुद्ध समन्वित अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई मुश्किल है.

यूएन के शीर्ष अधिकारी ने आगाह किया कि विदेशियों के प्रति नापसन्दगी व भय, नस्लवाद, असहिष्णुता के अन्य रूपों या फिर धर्म या आस्था के आधार पर किये जाने वाले आतंकी हमलों में वृद्धि हुई है.

उन्होंने कहा कि यह कोई नया रुझान नहीं है, मगर कुछ सदस्य देशों के अनुसार ऐसी घटनाएँ सबसे तेज़ी से बढ़ रही हैं या फिर घरेलू स्तर पर उनके समक्ष मौजूद यह सबसे बड़ा ख़तरा है.  

यूएन के शीर्ष अधिकारी ने आतंकवाद की चुनौती पर पार पाने के लिये चार अहम उपायों पर बल दिया है.

पहला, रोकथाम कार्रवाई. दूसरा, समग्र-समाज के स्तर पर उन जटिल परिस्थितियों से निपटना, जिनमें आतंकवाद पनपता है.

तीसरा, आतंकवाद-रोधी जवाबी कार्रवाई की बुनियाद में मानवाधिकारों पर ध्यान केन्द्रित करना. चौथा, क्षेत्रीय तंत्रों को मज़बूती प्रदान करना.

समर्थन का संकल्प

व्लादीमीर वोरोन्कोफ़ ने अक्टूबर महीने में सुरक्षा परिषद की आतंकवाद-निरोधक समिति की विशेष बैठक का स्वागत किया, जिसे भारत में आयोजित किया गया था.

इस बैठक के दौरान, आतंकी गुटों द्वारा नई व उभरती हुई प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल और उससे पनपने वाले ख़तरों पर चर्चा हुई. मुख्य रूप से तीन बिन्दुओं पर:

इंटरनैट व सोशल मीडिया, आतंकवाद के लिये वित्त पोषण व नई भुगतान तकनीकों पर रोक, और मानव रहित वायु प्रणालियाँ यानि ड्रोन इत्यादि का ग़लत इस्तेमाल.

आतंकवाद-निरोधक कार्यकारी निदेशालय के कार्यवाहक प्रमुख वाइशियाँग चेन ने बताया कि विशेष बैठक के दौरान मानवाधिकारों की रक्षा करने, नागरिक समाज की भूमिका, और आतंकवाद के पीड़ितों का सम्मान करने पर भी ध्यान केन्द्रित किया गया.

“समिति ने दिल्ली घोषणापत्र पारित किया, जिसमें सदस्य देशों के साथ मिलकर काम करने के संकल्प को पुष्ट किया गया है, ताकि आतंकवाद के कारण उपजे ख़तरों से निपटने के लिये सुरक्षा परिषद के सभी प्रासंगिक प्रस्तावों को पूर्ण रूप से लागू किया जा सके.”

सुरक्षा परिषद की भूमिका

बैठक की अध्यक्षता कर रहे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि यह बैठक, सुरक्षा परिषद में भारत के उन प्रयासों का हिस्सा है, जोकि आतंकवाद-रोधी एजेंडा में नए सिरे से स्फूर्ति भरने पर केन्द्रित हैं.

उनके अनुसार यह विलम्बित है, चूंकि आतंकवाद का ख़तरा पहले से भी अधिक गम्भीर हो गया है.

उन्होंने कहा कि आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में कोई विराम नहीं है, और ना ही इससे ध्यान हटाने या समझ-बूझ कर कोई समझौता करने का जोखिम मोल लिया जा सकता है.

विदेश मंत्री ने कहा कि सुरक्षा परिषद को आतंकवाद से निपटने के प्रयासों की अगुवाई करनी होगी, और आज की यह बैठक उसी दिशा में उठाया गया एक क़दम है.

आतंकवाद निरोधक समिति के सदस्यों ने 'दिल्ली घोषणापत्र' को पारित किया.
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आतंकवाद निरोधक समिति के सदस्यों ने 'दिल्ली घोषणापत्र' को पारित किया.

अराजकता के बीच साहस

सुरक्षा परिषद की आतंकवाद-निरोधक समिति की विशेष बैठक दिल्ली और मुम्बई में आयोजित की गई.

वर्ष 2008 में मुम्बई में तीन दिनों तक चले आतंकवादी हमलों में 150 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे.

गुरूवार को सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान, मुम्बई के कामा एंड ऐल्बलेस अस्पताल की एक वरिष्ठ नर्स अंजलि विजय कुल्थे ने भी आंतकी हमले की पहली रात के भयावह अनुभव को साझा किया.

उन्होंने बताया कि किस तरह दो आतंकवादियों ने, माताओं व नवजात शिशुओं के लिये बनाए गए स्वास्थ्य केन्द्र की दीवार फाँदकर वहाँ प्रवेश किया और फिर वहाँ गोलियों की आवाज़ गूँज उठी.

नर्स अंजलि विजय कुल्थे के साथ उस समय दो सहायक थे, और लगभग 20 महिलाएँ गर्भावस्था अग्रिम चरण में थी. भय के बावजूद, उन्होंने हर किसी को सुरक्षित स्थान की ओर भेजा और अंधेरे में अस्पताल के रसोई भंडार में शरण ली.

कार्रवाई की मांग

नर्स कुल्थे ने दुभाषिये की मदद से बताया कि आतंकवादी हमले की उस रात को याद करके वह आज भी काँप उठती हैं.

“जब आतंकवादी आम लोगों को कीड़ों की तरह मार रहे थे, मुझे ख़ुशी है कि मैं 20 गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों के जीवन की रक्षा करने में सक्षम रही.”

एक महीने बाद, परिवारजन के भयभीत होने के बावजूद निडर नर्स ने आतंकवादी हमले के दौरान जीवित पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब की शिनाख़्त की.

उन्होंने कहा कि अजमल कसाब में किसी भी तरह की शर्मिंदगी, अपराध बोध, पछतावे का भाव दिखाई नहीं दिया, और उसमें झलकने वाला विजय का ऐहसास उन्हें आज भी परेशान करता है.

नर्स कुल्थे ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से मुम्बई हमले को प्रायोजित करने वालों की जवाबदेही तय किये जाने का आग्रह किया है.

आतंक के सभी रूपों की निन्दा

सुरक्षा परिषद ने बैठक के समापन पर एक वक्तव्य जारी किया, जिसमें आतंकवाद के सभी रूपों व अभिव्यक्तियों की निन्दा की गई है.

सुरक्षा परिषद ने आतंकी कृत्यों में मारे जाने वाले व्यक्तियों के परिजनों के प्रति अपनी सम्वेदना व्यक्त की और जीवित बच गए लोगों व पीड़ितों के प्रति समर्थन को रेखांकित किया.  

सदस्य देशों ने महिलाओं व बच्चों समेत आतंकवाद के पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें बढ़ावा दिये जाने की आवश्यकता पर बल दिया है.

सात ही, आतंकवादी हमलों के भुक्तभोगियों और पीड़ित देशों के साथ गहरी एकजुटता जताई है.