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कोविड-19: ‘ग़लत दिशा’ में आगे जा रहे हैं अनेक देश

मैक्सिको सिटी में सड़क किनारे एक अस्थाई स्टाल के पास से गुज़रता व्यक्ति.
U.N. Mexico/Alexis Aubin
मैक्सिको सिटी में सड़क किनारे एक अस्थाई स्टाल के पास से गुज़रता व्यक्ति.

कोविड-19: ‘ग़लत दिशा’ में आगे जा रहे हैं अनेक देश

स्वास्थ्य

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के संक्रमण के तेज़ी से बढ़ते मामलों से चिन्तित विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने चेतावनी जारी की है कि बहुत से देश ग़लत दिशा में आगे जा रहे हैं और आने वाले दिनों में वहाँ हालात और भी ज़्यादा ख़राब हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि व्यापक रणनैतिक कार्रवाई और स्थानीय लोगों द्वारा ऐहतियाती उपायों के पालन से संक्रमण की कड़ी को तोड़ना सम्भव है लेकिन कई देशों में स्थिति की गम्भीरता के अनुरूप क़दम नहीं उठाए जा रहे हैं. 

विश्व स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने बताया कि रविवार, 12 जुलाई को कोविड-19 के संक्रमण के दो लाख 30 हज़ार मामलों की पुष्टि हुई जिनमें 80 फ़ीसदी से ज़्यादा मामले महज़ 10 देशों से थे. 

उन्होंने कहा कि प्रतिदिन मौतों की संख्या में ज़्यादा बदलाव नहीं आया है लेकिन मौजूदा रुझान चिन्ता बढ़ाने वाले हैं.

“मुझे बिना किसी लागलपेट के कहने दें, बहुत से देश ग़लत दिशा में आगे जा रहे हैं. यह वायरस जनता का नम्बर एक शत्रु है लेकिन अनेक सरकारों और लोगों के बर्ताव में यह परिलक्षित नहीं होता.”

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यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने कहा कि इस वायरस का एकमात्र उद्देश्य लोगों को ढूँढकर उन्हें संक्रमित करना है.

नेताओं की ओर से मिलने वाले मिश्रित सन्देशों से जवाबी कार्रवाई का सबसे अहम घटक - भरोसा, कमज़ोर पड़ रहा है. 

उन्होंने कहा कि अगर सरकारें अपने नागरिकों के साथ स्पष्टता से बातचीत नहीं करती हैं, संक्रमणों पर क़ाबू पाने के लिए व्यापक रणनीति नहीं अपनातीं, और अगर लोग शारीरिक दूरी बरतने और मास्क पहनने सहित अन्य ऐहतियाती उपायों का पालन नहीं करते तो फिर यह महामारी एक ही रास्ते पर आगे बढ़ती रहेगी.

उन्होंने चेतावनी जारी की है कि हालात और भी बदतर होते चले जाएंगे. 

“वायरस का जोखिम सभी देशों के लिये है लेकिन जैसाकि आप जानते हैं कि हर देश समान रूप से इससे प्रभावित नहीं हुआ है.” 

यूएन एजेंसी के महानिदेशक ने स्पष्ट किया कि विश्व में इस समय चार तरह की परिस्थितियाँ दिखाई दे रही हैं.

- वे देश जो सचेत और जागरूक हैं और मामलों का पता लगने पर त्वरित व असरदार जवाबी कार्रवाई के लिये तैयार हैं.

इस वजह से अभी तक वहाँ बड़े पैमाने पर संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद मिली है. इनमें मेकॉन्ग क्षेत्र में स्थित देश, पैसिफ़िक देश, कैरिबियाई क्षेत्र और अफ़्रीकी देश इस श्रेणी में आते हैं. 

- दूसरी श्रेणी उन देशों की है जहाँ व्यापक स्तर पर संक्रमण फैला लेकिन फिर मज़बूत नेतृत्व और लोगों द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों का पालन करने से हालात में सुधार देखने को मिला.

योरोपीय देशों का अनुभव दर्शाता है कि व्यापक संक्रमण को क़ाबू में लाना सम्भव है.

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- तीसरी श्रेणी में वे देश हैं जहाँ संक्रमणों की संख्या अपने उच्चतम स्तर पहुँच गई थी जिस पर क़ाबू पाने के बाद पाबन्दियों में ढील दी गई लेकिन अब संक्रमणों में फिर उभार आया है और नए मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं.

अनेक देशों में ऐसे हालात देखने को मिल रहे हैं और अस्पतालों में भर्ती किये जाने वाले मरीज़ों की संख्या फिर बढ़ रही है.

- चौथी श्रेणी उन देशों की है जहाँ संक्रमण अब तेज़ी से फैल रहा है – अमेरिका क्षेत्र, दक्षिण एशिया और अफ़्रीका के अनेक देश कोविड-19 के प्रकोप से जूझ रहे हैं.   

महानिदेशक घेबरेयेसस ने बताया कि वैश्विक महामारी का मौजूदा केन्द्र अभी अमेरिका क्षेत्र ही है जहाँ विश्व के कुल संक्रमणों के 50 फ़ीसदी मामले दर्ज किये जा रहे हैं. 

उन्होंने कहा कि अनेक देशों ने यह दर्शाया है कि संक्रमणों का विस्फोट होने के बावजूद स्थिति को नियन्त्रण में लाना सम्भव है. 

यूएन एजेंसी के महानेदेशक ने ध्यान दिलाया कि हर सरकार और व्यक्ति को संक्रमण की कड़ी को तोड़ने में अपना योगदान देना होगा है और इसी से सामूहिक पीड़ा का अन्त करने में मदद मिलेगी.