कोविड-19: गम्भीर मरीज़ों को Dexamethasone से मिली राहत
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों के उपचार की तलाश के लिए हो रहे मेडिकल ट्रायल के उन शुरुआती नतीजों का स्वागत किया है जिनमें गम्भीर रूप से बीमार मरीज़ों के उपचार में डेक्सामीथेसोन (Dexamethasone) नामक एक स्टेरॉयड से मदद मिली है. ट्रायल के मुताबिक वेण्टिलेटर का सहारा लेने वाले मरीज़ों को यह दवाई दिए जाने से मृत्यु दर में एक तिहाई की कमी आई, जबकि उन संक्रमितों की मृत्यु दर 20 प्रतिशत घटाने में सफलता हासिल हुई जिन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया था.
डेक्सामीथेसोन को 1960 के दशक से सूजन (Inflammation) और कुछ प्रकार के कैंसर जैसी कई तरह की बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल की जाती रही है. यह दवाई अधिकाँश देशों में किफ़ायती दरों पर आसानी से उपलब्ध है.
कोरोनावायस के शुरुआती दिनों में 11 फ़रवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रीसर्च एण्ड इनोवेशन फ़ोरम का आयोजन किया था जिसका उद्देश्य वैक्सीन, रोग निदान और उपचार की तलाश के काम को तेज़ गति से आगे बढ़ाना था.
इसी क्रम में शोधकर्ताओं ने पहले से मौजूद दवाइयों और स्टेरॉयड्स को कोविड-19 के मरीज़ों के उपचार में प्रायोगिक परीक्षण के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया.
बुधवार को ब्रिटेन में ऐसे ही एक ट्रायल में शुरुआती नतीजों के उत्साहजनक होने की रिपोर्टें आई हैं.
डेक्सामीथेसोन (Dexamethasone) एक आम स्टेरॉयड है जिसे कोविड-19 के गम्भीर रूप से बीमार मरीज़ों को दिए जाने पर कुछ की हालत में सुधार आया है.
ट्रायल के मुताबिक जिन मरीज़ों को ऑक्सीजन पर रखा गया था उनमें यह स्टेरॉयड दिए जाने के बाद मृत्यु दर में 20 फ़ीसदी तक की कमी लाने में सफलता मिली है.
वेण्टिलेटर के सहारे पर रखे गए मरीज़ों में मृत्यु दर एक तिहाई तक कम करना सम्भव हुआ है.
लेकिन डेक्सामीथेसोन से उन संक्रमितों को ज़्यादा फ़ायदा नहीं हुआ जिनमें लक्षण ज़्यादा गम्भीर नहीं थे और जिन्हें साँस लेने में मदद की आवश्यकता नहीं थी.
दुनिया भर में कोरोनावायरस संक्रमण के अब तक 80 लाख से ज़्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है और चार लाख 35 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो गई है.
संक्रमण के पहले मामले की पुष्टि के बाद के दो महीनों में 85 हज़ार मामलों की जानकारी मिली थी लेकिन पिछले दो महीनों में 60 लाख से ज़्यादा संक्रमितों का पता चला है.
अमेरिका क्षेत्र और दक्षिण एशिया में संक्रमितों की सँख्या तेज़ी से बढ़ रही है.
स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ने गम्भीर संक्रमण से जूझ रहे मरीज़ों के लिए इसे अच्छी ख़बर बताते हुए कहा है कि इस वायरस पर पूरी तरह क़ाबू पाने के लिए अन्य उपचारों की तलाश भी की जानी होगी, उनके लिए भी, जिनमें ज़्यादा गम्भीर लक्षण नहीं हैं.
उन्होंने आगाह भी किया है कि ये दवाइयाँ डॉक्टर की देखरेख में ही दी जानी होंगी.
इसके अलावा कोविड-19 के लिए उपचार को ढूँढने के साथ-साथ संक्रमण की रोकथाम के लिए ज़्यादा से ज़्यादा प्रयास करने होंगे.
यूएन एजेंसी के महानिदेशक ने कहा कि अनेक देशों ने वायरस पर असरदार ढँग से क़ाबू पाने का उदाहरण प्रस्तुत किया है – टैस्टिन्ग, ट्रेसिन्ग, संक्रमित लोगों की एकान्तवास में देखरेख और बीमारों की चिकित्सा देखभाल.
दुनिया भर में कोविड-19 संक्रमण के परीक्षणों के लिए लैब क्षमता में नाटकीय ढँग से इज़ाफ़ा हुआ है जिनसे रणनीतियाँ बनाने में सरकारों को ज़रूरी जानकारी हासिल हो रही है.
निजी बचाव उपकरणों के साथ-साथ कुछ कम्पनियों ने ऐसी ऐप्लीकेशन भी विकसित की हैं जिनसे कॉन्टैक्ट ट्रेसिन्ग का काम पूरा किया जा सकता है. इसके समानान्तर रीसर्च तेज़ रफ़्तार से आगे बढ़ रही है.
डॉक्टर घेबरेयेसस ने कहा कि कोविड-19 से पूरा विश्व प्रभावित हो रहा है और इन हालात में सबसे निर्बल समुदायों का ध्यान रखा जाना अहम है.
इन प्रयासों के तहत ज़रूरी स्वास्थ्य सेवाएँ जारी रखनी होंगी, जिनमें नियमित टीकाकरण और मलेरिया, टीबी और एचआईवी के मरीज़ों की देखभाल शामिल है.