'युवाओं को सहारा देने से होगा पूरी दुनिया का फ़ायदा'

संयुक्त राष्ट्र के अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि जो युवा अपने कामकाज के ज़रिये समुदायों पर सकारात्मक छाप छोड़ना चाहते हैं, उन्हें कामयाब होने और कोविड-19 महामारी का असर कम करने के लिये, सरकारों से और ज़्यादा मदद की तत्काल ज़रूरत है.
संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक व सामाजिक मामलों के विभाग (डेसा) द्वारा जारी रिपोर्ट मे कहा गया है कि दुनिया भर में कोविड-19 महामारी के कारण बदतर होते रोज़गार व कामकाज हालात में युवाओं के लिए कामकाज व कारोबार के अवसर बढ़ाने से बेरोज़गारी कम करने के साथ-साथ अनेक सामाजिक फ़ायदे हो सकते हैं.
Young people don’t just want to do well. They want to do good.🆕 New @UNDESA report shows the potential of youth social entrepreneurship to support youth employment & development 🌎🌈https://t.co/CF0kNTI5HR #WorldYouthReport #EveryoneIncluded🌟 pic.twitter.com/TO5QPEOSk1
UNDESA
रिपोर्ट में कहा गया है कि योरोप और मध्य एशिया में सामाजिक लाभ को ध्यान में रखकर काम करने वाले कारोबारी समूहों ने वर्ष 2016 में लगभग 87 करोड़ 10 लाख लोगों को फ़ायदा पहुँचाया.
उन्होंने लगभग 6 अरब 70 करोड़ डॉलर के बराबर सेवाएँ और उत्पाद मुहैया कराए, और ख़ासतौर से हाशिये पर धकेल दिये गए समूहों के लिये रोज़गार सृजित किये.
अनेक देशों में जिन युवा उद्यमियों ने असाधारण कामयाबी हासिल की है, उनमें जॉर्डन के ज़ायद सौउक़ी भी एक हैं जिन्होंने 2014 में The Orenda Tribe: Art for Hope शुरू किया था.
उनकी इस कला व उपचार पहल के ज़रिये सीरिया व जॉर्डन के वंचित हालात में रहने वाले बच्चों को सशक्त बनाने की कोशिश की जाती है.
मलावी में कारोबारी प्रशिक्षक एलेन चिलेम्बा ने 18 वर्ष की आयु में तिवाले शुरू किया था, अब उनकी उम्र 30 वर्ष है. इन वर्षों में उन्होंने 150 से ज़्यादा महिलाओं को उद्यमी बनने के लिए प्रशिक्षित किया है.
एक अल्बानियाई युवा आर्किटैक्ट पेज़ाना रेक्सहा ने दास्तानें बयान करने वाला फ़र्नीचर ईजाद किया. ये फ़र्नीचर ऐसी लकड़ी से बनाया गया जो आमतौर पर रोज़गार पाने में मुश्किलों का सामना करने वालों - उम्रदराज़ लोगों और विकलांग व्यक्तियों - की मदद से हासिल किया गया हो.
संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक व सामाजिक मामलों के विभाग – डेसा की एक बड़ी सिफ़ारिश ये है कि युवा उद्यमियों के रास्ते में आने वाली वित्तीय कठिनता को दूर किया जाए.
बहुत से देशों में ये एक आम मुश्किल है कि युवा उद्यमियों को अपना कोई कारोबार शुरू करने के लिए धन व सेवाओं की जो ज़रूरत होती है वो नियामक प्रणालियों की जटिलता के कारण उन्हें उपलब्ध नहीं हो पाती है.
डेसा का कहना है कि इसके अलावा, प्रशिक्षण अवसरों, तकनीकी सहायता, नैटवर्क और बाज़ारों की कमी, इन सब कठिनाइयों के कारण युवा उद्यमियों का जोश ठण्डा पड़ जाता है.
डेसा की 2020 की विश्व युवा रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में 15 से 24 वर्ष की उम्र के लगभग एक अरब 20 करोड़ युवाओं में बेरोज़गारी वयस्कों की तुलना में कहीं ज़्यादा है.
डेसा रिपोर्ट कहती है कि कोविड-19 महामारी ने रोज़गार के परिदृश्य को और भी ज़्यादा मुश्किल बना दिया है.
हालाँकि दिसम्बर 2019 में कोविड-19 का फैलाव शुरू होने से पहले श्रम विशेषज्ञों का अनुमान था कि अगले 15 वर्षों के दौरान युवाओं की रोज़गार ज़रूरतों को पूरा करने के लिये 60 करोड़ से भी ज़्यादा रोज़गार अवसरों की दरकार होगी.