वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

रोज़गार के अनगिनत अवसर लेकिन निर्णायक फ़ैसलों की भी ज़रूरत

इंडोनेशिया में तोशिबा कंपनी के इलैक्ट्रॉनिक सामान को तैयार करते कर्मचारी.
ILO/A. Mirza
इंडोनेशिया में तोशिबा कंपनी के इलैक्ट्रॉनिक सामान को तैयार करते कर्मचारी.

रोज़गार के अनगिनत अवसर लेकिन निर्णायक फ़ैसलों की भी ज़रूरत

आर्थिक विकास

दुनिया भर में नई खोज़ों और तकनीकों के इस्तेमाल से रोज़गार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं लेकिन निर्णायक प्रयासों और नीतियों में बदलाव के ज़रिए अगर उन्हें नहीं संवारा गया तो फिर कार्यस्थलों परअसमानताएं और अनिश्चितताएं और गहरा जाएंगी. अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष मना रहे अंतरराष्ट्रीय संगठन (ILO) की एक नई रिपोर्ट में ये बातें सामने आई हैं. 

कामकाज के भविष्य पर श्रम संगठन द्वारा गठित एक आयोग की रिपोर्ट कहती है कि "कामकाजी जीवन को बेहतर बनाने, विकल्पों का दायरा बढ़ाने, लैंगिक खाई को पाटने और वैश्विक असमानता से हुए नुक़सान की भरपाई के अनगिनत अवसर हमारे सामने हैं."

"लेकिन ये सब अपने आप नहीं होने वाला है. निर्णायक प्रयासों के बग़ैर हम सोते हुए चलते चलते एक ऐसी दुनिया में प्रवेश कर रहे होंगे जहां पहले से कायम असमानताएं और अनिश्चितताएं और बढ़ जाएंगी."

नई तकनीक, जनसांख्यिकी और जलवायु परिवर्तन से पैदा होने वाली चुनौतियों का  खाका खींचते हुए आयोग ने बेहतरी की ओर कदम बढ़ाने के लिए विश्वव्यापी और सामूहिक प्रयासों की अपील की है. इसके तहत नीतिगत बदलावों को महत्वपूर्ण बताया गया है. 

रिपोर्ट बताती है कि आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस, स्वचालित यंत्रों और रोबोटिक्स से नौकरियो पर प्रभाव ज़रूर पड़ेगा. इन क्षेत्रों में नई नौकरियां भी  पैदा होंगी लेकिन ऐसे अवसरों को पाने के लिए अपने कौशल को भी लगातार निखारना पड़ेगा और सीखने में पीछे रह गए लोग इनका लाभ नहीं उठा पाएंगे. तकनीकी आधुनिकीकरण और हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण की कोशिशों से नई नौकरियों के सृजन की भी संभावना बनती है. 

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गाय रायडर का मानना है कि इस रिपोर्ट में जिन बातों का ज़िक्र किया गया है वे दुनिया में सभी के लिए महत्व रखती हैं. "ये निष्कर्ष चुनौतीपूर्ण लग सकते हैं लेकिन इन्हें नज़रअंदाज़ करने का जोख़िम हम मोल नहीं ले सकते."

दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा और स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टेफ़ान लोवेन की सहअध्यक्षता में वैश्विक आयोग ने मानवीय पहलुओं पर आधारित एजेंडा पर काम किया जिसमें लोगों, संस्थानों और टिकाऊ रोज़गार में निवेश करने पर ख़ासा ज़ोर दिया गया है.

राष्ट्रपति रामाफोसा ने इस रिपोर्ट को एक ऐसा अहम योगदान करार दिया है जिससे दुनिया में कामकाज के तरीक़ो में आ चुके और भविष्य में आने वाले बदलावों को समझने में मदद मिलेगी." इस  रिपोर्ट से राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तरों पर साझेदारी और आपसी मेलजोल का रास्ता खुलना चाहिए ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था और समाज में समानता, न्याय और समावेशिता कायम करना सुनिश्चित किया जा सके."

प्रधानमंत्री लोवेन ने ज़ोर देकर कहा कि तेज़ी से आते व्यापक बदलावों से बेहतर नौकरियों के लिए अवसर पैदा होंगे. इसके लिए सरकारों, कर्मचारी संगठनों और नियोक्तओं को साथ मिलकर काम करना होगा. "समाज में संवाद कायम करने से हम वैश्वीकरण के फ़ायदे हर एक तक पहुंचाने में कामयाब हो जाएंगे."

रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में मानव आधारित आर्थिक एजेंडा को विकसित करने में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की अहम भूमिका की भी चर्चा की गई है.  श्रम संगठन की स्थापना 1919 में पहले विश्व युद्ध के बाद हुई थी और 2019 में उसका शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है. 

15 महीने तक काम करने के बाद रिपोर्ट को तैयार करने वाले 27 सदस्यीय आयोग में व्यापार, सरकारों और ग़ैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे.