यूएन चार्टर: चुनौतीपूर्ण दौर में संयुक्त राष्ट्र के मज़बूत स्तम्भ की 75वीं वर्षगाँठ

दशकों पहले युद्ध की विभीषिका और बर्बादी झेल रही दुनिया में संयुक्त राष्ट्र चार्टर ने नियम आधारित व्यवस्था, शन्ति और आशा का संचार करने में अहम भूमिका निभाई थी. यूएन चार्टर पर हस्ताक्षर के 75 वर्ष पूरे होने पर महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि मौजूदा समय में वैश्विक महामारी, विषमता व हिंसा की चुनौतियों के बीच चार्टर के मूल्यों और शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व की अवधारणा की प्रासंगिकता बनी हुई है.
यूएन चार्टर को सदस्य देशों ने दूसरे विश्व युद्ध के अन्तिम दिनों में पारित किया था. इस चार्टर पर हस्ताक्षर 26 जून 1945 को सैन फ्रांसिस्को शहर में किये गए और फिर 24 अक्टूबर 1945 को यह लागू हुआ.
The values of the @UN Charter enabled us to avoid the scourge of a Third World War many had feared.At a time of colossal global upheaval and risk, the Charter still points the way to a better future.Our shared challenge is to rise to this moment. pic.twitter.com/ZMBpbo72ub
antonioguterres
इस चार्टर का लक्ष्य भावी पीढ़ियों को युद्ध की विभीषिका से बचाना था. चार्टर में अन्तरराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा क़ायम रखने, सामाजिक प्रगति और बेहतर जीवन के मानकों को बढ़ावा देने, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून को मज़बूत बनाने और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने की पुकार लगाई गई है.
महासचिव गुटेरेश ने आगाह किया कि दुनिया इस पड़ाव की वर्षगाँठ ऐसे समय में मना रही है जब वैश्विक दबाव बढ़ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि चार्टर में व्यक्त दूरदृष्टि ने समय की परीक्षाओं का बख़ूबी सामना किया है और इसके मूल्य हमें आगे बढ़ाना जारी रखेंगे.
“विश्वव्यापी महामारी में धँसी, भेदभाव से विदीर्ण, जलवायु परिवर्तन से ख़तरे से घिरी और निर्धनता, विषमता व युद्ध से दाग़दार दुनिया में यह हमारी कसौटी बनी हुई है.”
मौजूदा समय में विश्व को नस्लवाद, पर्यावरणीय क्षरण, बढ़ते साइबर हमलों, परमाणु अप्रसार, भ्रष्टाचार और बुनियादी मानवाधिकारों पर विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
इस परिदृश्य में यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि वैश्विक महामारी, अवसाद और युद्ध से गुज़र चुके प्रतिनिधियों ने सैन फ्रांसिस्को में उन्हें मिले अवसरों का लाभ उठाते हुए एक बेहतर और नवीन पहल के बीज बोए थे.
“आज हमें भी ऐसा ही करना होगा. उस ऐतिहासिक लम्हे को हासिल करने के लिए हमें बहुपक्षवाद की कल्पना फिर से करनी होगी, उसे संस्थापकों की मूल भावना के अनुरूप मज़बूत बनाना होगा, और यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रभावी वैश्विक संचालन एक वास्तविकता है, जब भी उसकी ज़रूरत हो.”
उन्होंने स्पष्ट किया कि आज समावेशी बहुपक्षवाद के लिए नागरिक समाज, शहरों, निजी क्षेत्र और युवाओं की आवाज़ें सम्मिल्लित करने की ज़रूरत है ताकि हम विश्व को अपनी इच्छाओं के अनुरूप आकार दे सकें.
उन्होंने कहा कि हमें आगे बढ़ने को प्रोत्साहित करने के लिए बहुत कुछ है – महामारी से निपटने के लिए वैश्विक एकजुटता दिखाई गई है, टिकाऊ विकास लक्ष्य अपनाए गए हैं, और हाल ही में नस्लीय न्याय के लिए प्रदर्शनकारियों ने सक्रियता दिखाई है. साथ ही समानता, जलवायु कार्रवाई और हरित अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रयास हो रहे हैं.
महासचिव गुटेरेश ने यूएन मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिये अपने प्राणों का बलिदान करने वाले शान्तिरक्षकों, कर्मचारियों व अन्य लोगों की सेवा व त्याग को श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि पिछले 75 सालों में जितना कुछ हासिल किया गया है वह उनके लिए बेहद प्रेरणादायी है.
“अब समय उसे संरक्षित रखने, आगे बढ़ने, अपने उद्देश्यों को पाने का प्रयास करने, दुनिया के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी दिखाने और एक दूसरे का ख़याल रखने का समय है...यह हम पर निर्भर है कि हमारे भविष्य के लिए इस अहम लम्हे में इस परीक्षा में सफल हों.”
संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रमुख तिजानी मोहम्मद-बांडे ने इस अवसर पर कहा कि यूएन चार्टर की नींव के मूल में एक ऐसी दुनिया की कल्पना की गई थी जिसमें शान्ति और समानता सुनिश्चित की जा सके.
“अब हमें पहले से कहीं ज़्यादा एक मज़बूत यूएन विकास प्रणाली और संयुक्त राष्ट्र व अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के बीच प्रभावी सहयोग की आवश्यकता है.”
उन्होंने कहा कि समावेशी बहुपक्षवाद को हासिल करने के प्रयासों के तहत नागरिक समाज के लिए स्थान सुनिश्चित करना भी ज़रूरी है और उन सभी आवाज़ों को शामिल किया जाना होगा जिन्हें अभी तक अनसुना किया गया है – महिलाएँ, युवा, आदिवासी और विकलाँग.
यूएन महासभा अध्यक्ष ने ध्यान दिलाया कि 75 साल पहले संशयवादियों ने यूएन के सदस्य देशों के संकल्प पर संदेह जताया था लेकिन निराशावाद की ना उस समय जीत हुई और ना ही अब होगी.