दरारों व चुनौतियों पर पार पाने व आशा संचार के लिये वैश्विक गठबन्धन की पुकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को आगाह किया कि विश्व भर में लोग राहत व आशा की पुकार लगा रहे हैं, जबकि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय जलवायु परिवर्तन से लेकर हिंसक संघर्ष जैसी विकराल चुनौतियों का सामना करने में, लाचारी महसूस कर रहा है, और वैश्विक कार्रवाई भूराजनैतिक तनावों की भेंट चढ़ रही है.
यूएन महासचिव ने महासभा के 77वें सत्र के उच्चस्तरीय सप्ताह के उदघाटन दिवस पर विश्व नेताओं को सम्बोधित करते हुए सचेत किया: “हमारा विश्व एक बेहद बहुत बड़ी मुश्किल में है. विभाजन गहरे हो रहे हैं, विषमताएँ ज़्यादा चौड़ी हो रही हैं, चुनौतियों तेज़ी से फैलती जा रही हैं...”
“हमें आशा की आवश्यकता है...हमें हर तरफ़ कार्रवाई की ज़रूरत है.”
We are gridlocked in colossal global dysfunction.The @UN Charter and the ideals it represents are in jeopardy.We have a duty to act.We need concerted action everywhere anchored in respect for international law and the protection of human rights. pic.twitter.com/GDwATq56rf
antonioguterres
यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि यूक्रेन में युद्ध के कारण पनपे वैश्विक संकट से निपटने के लिये, यूएन की मध्यस्थता के ज़रिये काला सागर अनाज पहल की शुरुआत की गई.
इससे इथियोपिया, यमन और अन्य ज़रूरतमन्द देशों में लाखों टन यूक्रेनी अनाज रवाना किया गया है.
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि जिन प्रयासों के परिणामस्वरूप ये पहल सम्भव हो पाई, वो हिंसक टकराव या भूख को नहीं, बल्कि सहयोग का प्रतीक हैं.
यूएन प्रमुख के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के झण्डे तले, अनाज लेकर रवाना होने वाले जहाज़ दर्शाते हैं कि एकजुटता से क्या कुछ हासिल किया जा सकता है.
“विशाल जटिलताओं, ना-नुकुर करने वालों और नारकीय युद्ध के बावजूद, यूक्रेन और रूसी महासंघ, तुर्कीये के सहयोग से, इसे साकार करने के लिये एक साथ आए.”
“यह हरकत में नज़र आने वाली बहुपक्षीय कूटनीति है. हर जहाज़, आज के दौर में एक दुर्लभ वस्तु भी लेकर जा रहा है: आशा.”
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने संगठन के कामकाज पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिये.
“हम उथलपुथल भरे समुद्र में हैं. वैश्विक असन्तोष का कठिन दौर क्षितिज पर दिख रहा है. जीवन-व्यापन की क़ीमत का संकट उफ़ान पर है. भरोसा दरक रहा है. हमारा ग्रह जल रहा है.”
“लोग पीड़ा में हैं, और सर्वाधिक निर्बलों के लिये सबसे अधिक वेदना है. यूएन चार्टर और उसमें दर्शाए गए उसके आदर्श जोखिम में हैं.”
महासचिव के अनुसार, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का दायित्व क़दम उठाने का है, मगर “हम एक विशाल वैश्विक लचरपन में फँसे हुए से हैं.”
“अन्तरराष्ट्रीय समुदाय मौजूदा दौर की विकराल, नाटकीय चुनौतियों से निपटने के लिये तैयार या इच्छुक नहीं है.” उन्होंने कहा कि इन संकटों से मानवता और हमारी पृथ्वी के भविष्य के लिये ख़तरे पनपते हैं.
यूएन प्रमुख ने कहा कि जलवायु आपात स्थिति व जैवविविधता हानि, यूक्रेन में युद्ध के साथ, विकासशील देशों को गम्भीर वित्तीय स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जिससे टिकाऊ विकास लक्ष्यों का भविष्य ख़तरे में है.
नई प्रोद्योगिकी के उभर से नए ख़तरे उभरे हैं, नफ़रत भरी बोली व सन्देशों को बढ़ावा मिल रहा है, जबकि बेरोकटोक डिजिटल निगरानी की जा रही है. “हमारे पास इस किसी से भी निपटने के लिये कोई एक वैश्विक तंत्र शुरुआती रूप में भी नहीं है.”
उन्होंने कहा कि इन सभी मुद्दों पर प्रगति, भूराजनैतिक तनावों की भेंट चढ़ रही है.
यूएन प्रमुख ने कहा कि विश्व, जोखिमपूर्ण दौर से गुज़र रहा है और राजनैतिक विभाजन इसे पंगु बना रहा है, जिनसे सुरक्षा परिषद का कामकाज, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून, लोकतांत्रिक संस्थाओं और अन्तरराष्ट्रीय सहयोग के हर रूप में लोगों का भरोसा, भी प्रभावित होता है.
ना सहयोग. ना सम्वाद. ना सामूहिक समस्या समाधान. “मगर, सच्चाई ये है कि हम एक ऐसे विश्व में रहते हैं कि जहाँ सहयोग व संवाद का तर्क ही, आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है.”